- शहर के तिलक इंटर कॉलेज का खो रहा वजूद, वर्ष 1870 में हुई थी कॉलेज की स्थापना

- फेमस डायरेक्टर और कई नेता यहां पढ़ाई कर देश भर में नाम कर रहे रोशन

-2 बच्चों ने 1872 में लिया एडमिशन

-170 स्टूडेंट थे वर्ष 1949 में

-12 साल से रेनोवेशन के लिए नहीं बना प्रस्ताव

-6 टीचर्स पर 500 बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी

बरेली : शहर के जिस इंटर कॉलेज से निकलने वाले स्टूडेंट्स ने हिंदी सिनेमा और राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई वही कॉलेज आज वजूद बचाने को जूझ रहा है. हम बात कर रहे हैं शहर के पुरातन कॉलेज में शुमार किला क्षेत्र में बना तिलक इंटर कॉलेज की. पिछले दस वर्षो की बात करें तो यहां लगातार छात्र संख्या में गिरावट आ रही है. वहीं कॉलेज की बिल्डिंग की हालत इतनी जर्जर है कि कभी भी बिल्डिंग भरभराकर जमींदोज हो सकती है.

अंग्रेजों ने की थी कॉलेज की स्थापना

जिस समय देश में अंग्रेजों की हूकूमत थी, उस वक्त लोगों का रुझान उच्च शिक्षित होने की बजाए अजीविका चलाने के लिए कारोबार तलाशने की जुगत में ज्यादा रहते थे. इसके बावजूद गर्वनर सर विलियम म्यूर ने किला में 1870 में इंग्लिश मेमोरियल स्कूल की स्थापना की, उन्होंने शहर भर में बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रेरित भी किया. वर्ष 1872 में दो बच्चों ने कॉलेज में दाखिला लिया. यह संख्या दस वर्षो में बढ़कर 30 के करीब पहुंच गई थी. देश की आजादी के बाद इसे तिलक इंटर कॉलेज नाम दिया गया.

आजादी के बाद निगम के अधीन हो गया था कॉलेज

जब देश आजाद हुआ तो अंग्रेजों के पलायन के बाद कॉलेज को नगर निगम के अधीन कर दिया गया था. वर्ष 1949 की बात करें तो उस वक्त कॉलेज में 170 स्टूडेंट पंजीकृत थे. जो कि 15 सालों में बढ़कर 300 के करीब पहुंच गई थी. उस वक्त शहर में एक और कॉलेज मनोहर भूषण इंटर कॉलेज की स्थापना हो गई थी.

नगर निगम ने ही धूमिल कर दिया भविष्य

नगर निगम शहर के विकास के दावे जो पेश करता है इसका असर धरातल पर कहीं नजर नहीं आता. निगम की इसी उपेक्षा का परिणाम है कि निगम ने पिछले 12 सालों से कॉलेज के सौंदर्यीकरण कराने के लिए प्रस्ताव तक जारी नहीं किया. कई बार कॉलेज प्रबंधन ने बजट के लिए निगम में प्रस्ताव भेजा लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

इन नामचीन हस्तियों ने की कॉलेज से पढ़ाई

हिंदी सिनेमा में शराबी, नमक हलाल, जंजीर जैसी कई सुपर हिट फिल्मों में डायरेक्टर की भूमिका निभाने वाले प्रकाश मेहरा ने भी दो साल तिलक इंटर कॉलेज में पढ़ाई की है, वहीं देश के उप राष्ट्रपति रहे गोपाल स्वरुप पाठक ने भी इसी कॉलेज से दीक्षा ली है.

सांसद बनकर कॉलेज कि तरफ देखा तक नहीं

हैरत की बात तो यह है बरेली से छह बार सांसद चुने गए भाजपा के संतोष गंगवार ने भी क्लास 6 से 12 तक की पढ़ाई तिलक इंटर कॉलेज से ही की है. लेकिन कॉलेज के विकास की तरफ उन्होने एक बार भी ध्यान नहीं दिया.

न पीने को पानी और न ही क्लास में बैठने को कुर्सी

कॉलेज में प्रवेश करते ही सबसे पहले नजर कॉलेज की दीवारों पर जाती हैं, जिसकी हालत बदतर है, वहीं क्लासेस में पंखे भी नहीं हैं और स्टूडेंट्स के लिए पर्याप्त कुर्सियां तक नहीं हैं. क्लासेज के गेट के दरवाजे तक नहीं हैं. दीवारों से प्लास्टर तक गायब है.

हो सकता है बड़ा हादसा

वर्तमान में कॉलेज में 600 स्टूडेंट पंजीकृत हैं, करीब 500 स्टूडेंट रोजाना कॉलेज में क्लासेस में बैठते हैं, इस दौरान अगर भूकंप और आंधी तूफान आता है तो बड़ी जनहानि हो सकती है.

बीस सालों से रिक्त है यह पद

सहायक अध्यापक - स्वीकृत पद रिक्त

24 9

चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी 14 9

प्रवक्ता 9 6

वर्जन ::

कॉलेज की हालत बहुत ही जर्जर है. शहर का सबसे पुराना कॉलेज होने के कारण कई ऐसे स्टूडेंट्स यहां पढ़े हैं जिन्होने देश-विदेशों में भी नाम कमाया है. पिछले दस सालों में छात्र संख्या लगातार गिर रही है. निगम में कई बार सौंदर्यीकरण कराने के लिए प्रस्ताव भेजा चुका है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

हरिओम मिश्रा, प्रिसिंपल

Posted By: Radhika Lala