ज्येष्ठ मास कृष्णपक्ष की अमावस्या को शनि का जन्म होने के कारण इस तिथि को शनि जयन्ती के रुप में मनाया जाता है। शनि जयन्ती को शनि के समक्ष जो भी पूजा जप तप आदी उपाय किए जाते हैं उनसे शनि देवता प्रसन्न होते हैं और उनके दुख-कष्टों में कमी करते हुए उसे श्रेष्ठ जीवन यापन करने की प्रेरणा प्रदान करते हैं।


भगवान सूर्य और छाया की सन्तान शनि का जन्म ज्येष्ठ अमावस्या को हुआ था। भगवान सूर्य के अन्य पुत्रों की अपेक्षा शनि प्रारम्भ से ही विपरीत स्वभाव के थे। कहते हैं कि जब शनि पैदा हुए तो उनकी नजर अपने पिता सूर्य पर पड़ते ही उन्हें कुष्ठरोग हो गया था। धीरे-धीरे शनि बड़े होने लगे और उनका अपने पिता से मतभेद भी गहराने लगा। सूर्य सदैव अपने इस पुत्र के प्रति चिन्तित रहते थे। वे चाहते थे कि शनि अच्छे कर्म करे परन्तु प्राय: निराश होना पड़ा। हालांंकि इस वर्ष शनि जयन्ती 3 जून 2019 को है।शनि पीड़ा के लक्षणपरिजनों में अकारण वाद-विवाद, शत्रुओं से परेशानी, कानूनी उलझने, बार-बार नजर लगना, अकारण झगड़ा, नौकरी मं अड़चने, अत्याधिक मानसिक तनाव, व्यापार में घाटा, वाहन दुर्घटना, नौकरों से असन्तुष्टि और उनसे वाद-विवाद, अचानक ही वस्त्र और जूतों का फटना और टूटना। नीलद्युति: भूलधर: किरीटी गृद्धस्थितस्त्रासक रोधनुष्मान
हनुमान जयंती: इतने वर्षों पूर्व जन्मे थे राम भक्त हनुमान, व्रत-पूजा से कष्टों का होगा निवारणहनुमान जयंती पर पूजा के दौरान ध्यान रखने वाली 8 महत्वपूर्ण बातेंशनिमुक्ति के उपायचर्तुभुज: सूर्यसुत: प्रभान्त सदास्तुमधू वर मंदगामी


नीला वर्ण है, हाथ में शूल है, सिर पर मुकुट है, एक हाथ में धनुष है, गिद्ध के ऊपर विराजमान हैं जिन्हें देखने से भय लगता है। मैं शनिदेव मुझे वंछित फल दें। शनि जयन्ती से प्रारम्भ कोक शनिवार को बन्दरों को मीठी खील, केला, काले चेन एवं गुड़, खिलाए, काली गाय की सेवा करें। शनि जयन्ती को काली गाय के मस्तक पर रोली का तिलक लगाएं, शनि जयन्ती को काले कुत्ते को रोटी खिलाएं, मांस मदिरा का सेवन न करें। जयन्ती के दिन 'ऊं शनैश्यराय नम:' मंत्र का उच्चारण करें। 9 हाथ का काला धामा लें और उसे गले में धारण करें, पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं, शनि जयन्ती के दिन काले चेन, कोयला और लोहे का टुकड़ा एक काले कपड़े में बांधकर तालाब में मछलियों के समीप डाल एक वर्ष तक करें तो शनि से मुक्ति मिलेगी।पंडित दीपक पांडेय

Posted By: Vandana Sharma