गणितज्ञ शकुंतला देवी आज बेशक इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन अपनी गणना क्षमता से हर पल होने का अहसास कराती है। जानें कैसे शकुंतला ने 18 जून 1980 में कंप्यूटर को भी पीछे छोड़ दिया था...

ताश खेलते समय पिता को हुआ था अहसास
कानपुर। मानव कंप्यूटर के नाम से प्रसिद्ध शकुंतला देवी का जन्म बेंगलुरू में एक रूढ़िवादी कन्नड़ ब्राह्मण परिवार में 4 नवंबर 1929 को हुआ था।शकुंतला देवी के पिता सर्कस में करतब दिखाते थे। एक बार जब वह 3 वर्ष की उम्र में अपने पिता जी के साथ ताश खेल रही थीं उस समय उनके पिता को अहसास हुआ कि इनकी गणना क्षमता बहुत तीव्र है।खास बात तो यह है कि उनके पिता का ये अहसास सही साबित हुआ।  
अंकगणितीय प्रतिभाओं की वजह से छा गई थीं
मिड की एक रिपोर्ट के मुताबिक शकुंतला 6 वर्ष की उम में मैसूर विश्वविद्यालय के एक बड़े कार्यक्रम में शामिल होने गई थीं। यहां उन्होंने अपनी गणना कला का शानदार प्रदर्शन किया। शकुंतला ने इसकी कोई औपचारिक शिक्षा भी नहीं ली थी।1944 में अपने पिता के साथ लंदन चली गई थीं। शकुंतला देवी 1950 में यूरोप के और 1976 में न्यूयॉर्क शहर के दौरे में अपनी अंकगणितीय प्रतिभाओं की वजह से चर्चा में छा गई थीं।

घनमूल निकालने में कंप्यूटर को पछाड़ दिया

शकुंतला ने 1977 में दक्षिणी मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में 88132517 का घनमूल निकालने में कंप्यूटर को पछाड़ दिया था। वहीं इम्पीरियल कॉलेज, लन्दन में 18 जून, 1980 को, उन्होंने फिर से दो 13 अंकों की संख्याओं 7,686,369,774,870 एक्स 2,465,099,745,77 9  के गुणा को हल किया। इतनी बड़ी संख्याओं को शकुंतला देवी ने बिना कैलुकेटर के महज 28 सेकेंड के समय में हल कर दिया था।
 
लोग कहते बच्चा शकुंतला देवी जैसा बन रहा है

खास बात तो यह है कि इस सवाल के जवाब को देने में सबसे तेज कंप्यूटर को 10 सेकंड का ज्यादा समय लगा था। इस घटना को गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है। हर तरफ शकुंतला देवी की ही चर्चा होने लगी थी। इसके बाद से तो यह होने लगा था जो भी बच्चा गणित में तेज दिखता था लोग कहते थे कि ये तो शंकुतला देवी बन रहा है। इन्होंने 1977 में  'द वर्ल्ड ऑफ होमोसेक्सुअल' नाम की किताब भी लिखी थी।

शकुंतला को ह्यूमन कंप्यूटर नाम दिया गया

इस विषय पर उस दौर में लिखने वाली यह अकेली महिला थीं। वहीं गणना करने में शकुंतला के सामने कैलकुलेटर भी फेल साबित हुए। इसीलिए लोग आज भी इन्हें ह्यूमन कंप्यूटर के नाम से  पुकारते हैं। शकुंतला का कहना था कि दुनिया में चारों तरफ गणित हैं। हर चीज नंबरों में है। शकुंतला देवी उम्र के आखिरी पड़ाव में काफी बीमार हो गईं थीं। उन्होंने 83 साल की उम्र में 21 अप्रैल 2013 इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।

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Posted By: Shweta Mishra