पीएम नरेंद्र मोदी के नाम के वाट्स एप मैसेजेस के जरिए लोगों के फोन में घुस कर रहे चोरी...

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VARANASI:
अभी निपटे चुनाव में कई तरह के दावे वादे किए गए. उनके पूरा होने न होने की बात तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन इधर कुछ जालसाजों ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के नाम पर लोगों को ठगना शुरू कर दिया है. इस समय वाट्सएप पर कुछ ऐसे मैसेज वायरल हो रहे हैं जिनके नाम पर जमकर ठगी की जा रही है. मोदी के नाम आने के कारण आसानी से लोग उनकी चपेट में आ जा रहे हैं.

केस-वन
रोहनिया के जगतपुर निवासी अम्बिका प्रसाद के मोबाइल पर वाट्सएप मैसेज आया कि प्रधान मंत्री फ्री सोलर पैनल योजना के तहत घर या दुकान में फ्री सोलर पैनल लगवाएं. आपको कुछ भी खर्च नहीं करना, बस फार्म भर दें. आवेदन की लास्ट डेट 30 मई 2019 है. आवेदन के लिए ब्लू लाइन को टच करें. लेकिन ब्लू लाइन टच करने के दो दिन बाद अंबिका के एसबीआई खाते से 35 हजार 325 रुपये कट गए.

केस-टू
चोलापुर के रितेश पांडेय के मोबाइल पर वाट्सएप मैसेज आया कि नरेंद्र मोदी ने दोबारा प्रधानमंत्री बनने की खुशी में 'मेक इन इंडिया' के तहत दो करोड़ युवाओं को मुफ्त लैपटाप देने का ऐलान किया है. अभी तक 30 लाख युवा सफलतापूर्वक आवेदन कर चुके हैं. अब आपकी बारी है. अंतिम तिथि से पहले अपना आवेदन सबमिट करें. नीचे ब्लू लाइन का एक लिंक आ गया. लिंक पर रितेश ने टिक कर पूरा आवेदन भरा और इधर खाते से दस हजार रुपये उड़ गए.

लोकेशन तक नहीं मिलती
ये केस तो महज बानगी भर हैं. शहर में ऐसे कितने लोग हैं जो रोज साइबर ठगी के शिकार हो रहे हैं. कुछ थाना तक पहुंचते हैं तो कुछ चुप मार कर बैठ जाते हैं. अब प्रधानमंत्री के नाम पर साइबर जालसाजों ने ठगी का नया पैंतरा इजाद किया है. जागरूक यूजर्स तो इन पचड़ों में नहीं पड़ते, लेकिन जो लालच में आते हैं उनकी गाढ़ी कमाई भी लूट जा रही है. इस तरह की फ्राडगिरी करने वालों की लोकेशन कभी महाराष्ट्र तो कभी पुणे या बंगलुरू में मिलती है.

डाटा कर लेते हैं कॉपी
वाट्सएप पर आने वाले ऐसे भ्रामक संदेशों पर जो यकीन कर अपना आवेदन भरता है. उसमें नाम, पता, आधार नंबर, बैंक एकाउंट नंबर और कुछ में तो डेबिट-क्रेडिट कार्ड नंबर तक मांगा जाता है. बिना कुछ सोचे समझे आवेदन भरने वालों का साइबर ठग पूरा डाटा कॉपी कर लेते हैं. फिर बाद में आधार नंबर और बैंक एकाउंट से लेकर डेबिट-क्रेडिट कार्ड नंबर के सहारे बैंक से रुपये साफ कर देते हैं. मोबाइल नंबर को भी साफ्टवेयर के सहारे अपने काबू में कर लेते हैं.

दस ग्रुप में शेयर करो
आपने भी ध्यान दिया होगा कि फ्री मोबाइल, एक हजार में आईफोन, ब्रांडेड जूता आदि को लेकर मैसेज आते रहते हैं. कुछ लोग मैसेज पढ़कर उसे फॉलो करते हुए आवेदन करते हैं तो तुरंत निर्देश मिलता है कि इस मैसेज को पहले दस ग्रुप में शेयर करें. आप अपने करीबी सहित दस ग्रुप में शेयर करते हैं, आपके मैसेज शेयर करते ही आप पर विश्वास करने वाले फॉलो करते हैं और बाद में लुट जाते हैं.

फ्री में कोई क्यों देगा?
यह बात लोगों को समझनी चाहिए कि आज के जमाने में फ्री में कोई सामान आपको क्यों देगा. खास कर अंजान व्यक्ति के मैसेज पर लालच में आकर पूरी जानकारी शेयर कर देते हैं. लिंक पर टच करते ही बैंक डिटेल, एटीएम और आधार नंबर सहित मोबाइल नंबर तक दर्ज करा देते है. बाद में उसी बैंक डिटेल से फ्राडगिरी हो जाती है. जब तक सरकारी विभागों के वेबसाइट पर कुछ न आए तब तक ऐसे मैसेज से बचना चाहिए.

रक्षित टंडन, साइबर एक्सपर्ट

ऐसे मैसेज तुरंत कर दें डीलिट
इस तरह के मैसेज पर साइबर टीम काम कर रही है. अधिकतर ये मैसेज महाराष्ट्र, पुणे, बंगलुरू आदि बड़े महानगरों से जनरेट हो रहे हैं. इनके लोकेशन में टीम लगी हुई है. वाट्सएप यूजर्स से अपील है कि मोबाइल पर आने वाले मैसेज पर डिटेल कत्तई दर्ज न कराएं. बैंक डिटेल और आधार तो एकदम नहीं दें. यह भी ध्यान रखें कि आपको मैसेज आता है तो दूसरे ग्रुपों में शेयर न करके बल्कि तुरंत डीलिट मार दें. ऐसे में आप और आपके करीबी दोनों सेफ रहेंगे.

ज्ञानेंद्रनाथ प्रसाद, एसपी क्राइम

ध्यान दें, ऐसा ही करें
किसी भी सरकारी विभाग से जुड़े विकास कार्यो या फिर वितरण को लेकर प्रसारित होने वाली सूचनाएं संबंधित विभाग से मिलती हैं. डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर जाकर ही आवेदन करें. इसमें किसी भी तरह की कोई फ्राडगिरी नहीं होती है. फिर भी यदि कोई संबंधित व्यक्ति आपको ऐसे मैसेज बार-बार भेजता है तो संबंधित थाने पर जाकर शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

एक नजर

10 से 15

आईटी से जुड़ी शिकायतें रोज पहुंच रही हैं डिस्ट्रिक्ट पुलिस के पास

290

से अधिक आनलाइन फ्राड की शिकायतें जनवरी से अब तक पुलिस के पास आई

05 से 10

शिकायतों का होता है हर माह निपटारा

40 से 50

मोबाइल नंबर की लोकेशन मिली है झारखंड, कोलकाता, बंगलुरू पुणे, महाराष्ट्र आदि में

Posted By: Vivek Srivastava