-डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की ओपीडी के रूम नं। 4 का हाल

-होम्योपैथी, यूनानी और आयुर्वेद के लिए मिला है सिर्फ एक रूम

-दिन-ब-दिन बढ़ रही मरीजों की संख्या, हो रही परेशानी

GORAKHPUR: डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की ओपीडी। रूम नं। ब्। मरीजों की भीड़। किसी के पैर में दर्द है तो किसी के पेट में प्रॉब्लम। किसी के शरीर पर गांठ है। मतलब सभी बीमारियों का इलाज एक ही रूम में। ऐसा कौन डॉक्टर है, जो इन सभी बीमारी का इलाज कर रहा है। चौंकिए मत। क्योंकि इन सभी बीमारियों का इलाज एक डॉक्टर नहीं बल्कि तीन डॉक्टर कर रहे हैं, वह भी अलग-अलग पद्धति से। ओपीडी के बाकी रूम में जहां एलोपैथी के डॉक्टर अलग-अलग बीमारी का इलाज कर रहे हैं, वहीं होम्योपैथी, यूनानी और आयुर्वेद के लिए सिर्फ एक रूम मिला है। स्पेशलिस्ट बैठने के साथ मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वहीं अक्सर दवा खत्म होने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

किसी से कम नहीं है ओपीडी

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में आर्थो, ईएनटी, चेस्ट, आई, डेंटल, फिजीशियन, हार्ट, चाइल्ड, मानसिक समेत लगभग सभी बीमारियों का इलाज होता है। हर बीमारी के स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं। दवा भी फ्री दी जाती है। ओपीडी के डिफरेंट रूम में बैठने वाले स्पेशलिस्ट डॉक्टर की ओपीडी क्00 से कम नहीं है। इस एलोपैथी हॉस्पिटल में लास्ट इयर यूपी सरकार ने आयुष डॉक्टर की तैनाती की। हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन ने खानापूर्ति करते हुए खाली पड़े रूम नं। ब् आयुष डॉक्टर के नाम पर एलॉट कर दिया। अब टेंशन थी कि डॉक्टर तीन और रूम एक। किसी तरह होम्योपैथी के डॉ। डीपी सिंह, यूनानी के डॉ। मो। समी अख्तर और आयुर्वेद के डॉ। आशीष त्रिपाठी ने एक रूम में ही बैठ कर ओपीडी स्टार्ट की। करंट में इन डॉक्टर्स की ओपीडी भ्0 से अधिक और रूम में मरीजों की संख्या क्70 से अधिक रहती है।

साहब, कहां मिलेगी दवा

समय बीतने के साथ आयुष डॉक्टर की ओपीडी बढ़ती जा रही है, मगर एडमिनिस्ट्रेशन की अनदेखी और शासन के ढुलमुल रवैये के चलते अक्सर दवा खत्म हो जाती है। इससे दूरदराज से आने वाले मरीज दवा के चक्कर में परेशान रहते हैं। हॉस्पिटल के स्टोर से दवा न मिलने के साथ परिसर के बाहर मेडिकल स्टोर पर भी नहीं मिलती, क्योंकि हॉस्पिटल के बाहर आयुष डॉक्टर की दवा के एक भी मेडिकल स्टोर नहीं है। इसलिए अक्सर डॉक्टर के चेकअप कराने के बाद दवा कहां मिलेगी, अक्सर पूछने दोबारा आते हैं।

एलोपैथी से परेशान आते हैं मरीज

आयुष डॉक्टर ने बताया कि ओपीडी में आने वाले अधिकांश मरीज पुरानी बीमारी से परेशान रहते हैं। वे एलोपैथी में कई डॉक्टर से इलाज कराने के बाद जब परेशान हो जाते हैं, तब एडवाइस लेने आते हैं। अगर ये मरीज स्टार्टिग में आए तो उनका इलाज जल्दी संभव है। एक्सपर्ट के मुताबिक इन तीनों पद्धति में सस्ता, घरेलू और सुलभ इलाज है।

इन पद्धति में सबसे अधिक आते हैं ऐसे मरीज

आयुर्वेद - ल्यूकोरिया, आईबीएस, कोलाइटिस, लीवर, पेट, जोड़, सर्दी-खांसी।

यूनानी - पेट, लीवर, जांडिस और सेक्सुअल।

होम्योपैथी - स्किन डिजीज, शरीर में गांठ और किडनी में पथरी।

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में पहले सिर्फ एलोपैथी से इलाज होता था, मगर कुछ समय पहले शासन के आदेश पर आयुष डॉक्टर की भी तैनाती की गई। फिलहाल वे एक रूम में बैठ रहे हैं, क्योंकि उनकी ओपीडी के लिए अलग बिल्डिंग बन रही है। जल्द उन्हें अलग-अलग रूम मिल जाएगा। फिर मरीजों को कोई प्रॉब्लम नहीं होगी।

डॉ। सुधाकर मिश्रा, एसआईसी डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल

Posted By: Inextlive