RANCHI: गोस्सनर कंपाउंड के मॉडरेटर हाउस स्थित जुबिली पत्थर गोस्सनर मिशन के क्70 साल की कहानी कह रहा है। यह पत्थर उसी स्थान पर लगाया गया है, जहां ख् नवंबर क्8ब्भ् को चार जर्मन मिशनरियों ने गोस्सनर कलीसिया की बुनियाद रखी थी। आज भी यह पत्थर उसी जगह पर है, लेकिन इसकी शाखाएं दूर-दूर तक फैल चुकी हैं। जर्मनी से फादर एवंजेलिस्ता गोस्सनर ने रेव्ह एमिल शच, रेव्ह अगस्तुस ब्रंत, रेव्ह फेड्रिक बत्स, रेव्ह थियोडोर जानके को सुसमाचार प्रचार के लिए भारत भेजा था। गोस्सनर कलीसिया की विधिवत स्थापना 9 जून क्8भ्0 को हुई, लेकिन जर्मन मिशनरियों के आगमन को गोस्सनर कलीसिया मिशन पर्व के रूप में मनाता है। गोस्सनर मिशन के लोगों का कहना है कि छोटानागपुर में मिशनरीज की बुनियाद रखने का श्रेय इन्हीं चार जर्मन मिशनरीज को है। शिक्षा, स्वास्थ्य व समाज सेवा के क्षेत्र में जीईएल कलीसिया काम कर रहा है। सिर्फ रांची की बात करें तो ग‌र्ल्स एजुकेशन के लिए गोस्सनर कलीसिया की ओर से दर्जनों शैक्षणिक संस्थान चलाए जा रहे हैं। प्राइमरी से लेकर बीएड तक का एजुकेशन गोस्सनर मिशन दे रहा है। असम, छत्तीसगढ़, ओडि़शा समेत तमाम गोस्सनर कलीसिया का हेडक्वार्टर भी रांची ही है।

धूमधाम से मना मिशन पर्व

जीईएल चर्च काउंसिल ऑफ रांची कांग्रीगेशन की ओर से सोमवार को मिशन पर्व मनाया गया। प्रोग्राम के चीफ गेस्ट गोस्सनर मिशन जर्मनी के डायरेक्टर क्रिश्टियन रेजर थे। उन्होंने कहा कि छोटानागपुर में क्70 साल पहले लगाया गया पौधा अब एक वृक्ष का रूप धारण कर लिया है। झारखंड की जड़ से फैली शाखाएं असम, ओडि़शा, छत्तीसगढ़ के तमाम इलाकों में फल- फूल रही हैं। रेजर ने जर्मनी में होने वाले कार्यक्रमों की घोषणा भी की। जर्मनी में होने वाले दो दिन के कार्यक्रम का विषय यू सी मी रखा गया है। उनका कहना था कि परमेश्वर हमें देखता है। वह हमारी अच्छाइयों से प्रेम करता है। कार्यक्रम में मॉडरेटर जोहन डांग, बिशप जॉनसन लकड़ा, रेव्ह एमएम एक्का, एनडब्ल्यू जीईएल चर्च के बिशप दुलार लकड़ा, डीटर हेकर आदि तमाम लोग मौजूद थे।

लगा मेला

जीईएल चर्च माता मंडली की ओर से गोस्सनर कंपाउंड में मेला लगाया गया है। इसमें खाने-पीने सहित हैंड आइटम्स के दर्जनों स्टॉल हैं। बच्चों के लिए कॉम्पटीशन का भी आयोजन किया गया। जर्मनी से आए गोस्सनर मिशन के डायरेक्टर क्रिश्टियन रेजर ने भी मेले का अवलोकन किया।

Posted By: Inextlive