पटना में खौफ का 'बंद'
-बेअसर रहा बंद लेकिन अशांति के डर से नहीं खुले स्कूल
श्चड्डह्लठ्ठड्ड@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ क्कन्ञ्जहृन् : मुजफ्फरपुर बालिका आश्रय गृह कांड के विरोध और सरकार के दो मंत्रियों की बर्खास्तगी को लेकर गुरुवार को वाम दलों का बंद पटना में बेअसर रहा । लेकिन खौफ की वजह से राजधानी के 95 प्रतिशत स्कूल बंद रहे। राजधानी के प्रमुख बाजार, मॉल और व्यापारिक प्रतिष्ठान भी बंद रहे। बिहार बंद को राजद, कांग्रेस, हम समेत कई राजनैतिक दलों ने समर्थन दिया था। कौन लौटाएगा एक दिन की पढ़ाईवाम दलों की बिहार बंद की घोषणा के बाद गुरुवार को राजधानी के लगभग सभी स्कूल बंद रहे। इसके लिए स्कूल प्रशासन ने एसएमएस के माध्यम से पैरेंट्स को मैसेज किया। जिन्हें एसएमएस नहीं मिला वे स्कूल आने के बाद वापस लौट गए। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के टीम ने शहर कई स्कूल प्रिंसिपल और डायरेक्टर से बात की तो सभी ने कहा कि बंदी के दौरान राजनैतिक पार्टियों कार्यकर्ता स्कूली बसों पर पथराव करने लगते हैं। इस दौरान कई बच्चे घायल हो जाते हैं। इसलिए स्कूल को बंद करने का निर्णय लिया गया।
बाहरी इलाकों में खुली रहीं दुकानेंशहर के मीठापुर, गांधी मैदान, नाला रोड, राजेन्द्र नगर, राजा बाजार, बाजार समिति, राजीव नगर, कंकड़बाग सहित कई इलाकों में दुकानें बंद रहीं। कंकड़बाग के दुकान संचालक विनोद कुमार ने बताया कि डर की वजह से लोग घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं। बाम दलों का बंदी बेअसर है।
पटना में एक भी नहीं हुआ गिरफ्तार पटना में बंद का कोई खास असर नहीं रहा है। जबकि प्रदेश के अन्य चार जिलों में बंदी का आंशिक असर देखने को मिला है। पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक नवादा, कटिहार, सारण, मधुबनी में ही बंदी का आंशिक असर रहा है। बंद का असर -स्कूल व मुख्य बाजार की दुकानें बंद रहीं। -कॉलेजों में 50 प्रतिशत से कमउपस्थिति। -पुलिस का कड़ा पहरा। बंद बेअसर -मोहल्लों में दुकानें खुली रही। -ऑटो, बस सभी चलते रहे। -कहीं भी कोई बड़ा प्रदर्शन नहीं हुआ। बंदी के दौरान अक्सर स्टूडेंट्स परेशान होते हैं। पार्टी कार्यकताओं द्वारा पत्थरबाजी किया जाता है। जिसमें स्टूडेंट्स घायल हो जाते हैं। -सत्यम सिद्धार्थ, एम.डी मे फ्लावर स्कूल