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PATNA : सरकारी धन का इलाज कैसे होता है, अगर आप यह देखना चाहते हैं तो एक बार बिहटा स्थित ईएसआईसी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल हो आइए। सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च कर इस अस्पताल का निर्माण करवाया। अस्पताल में हाईटेक मशीनें लगाई गई। लेकिन एक एनस्थीसिया के डॉक्टर की नियुक्ति नहीं कर पा रहा है। जिसके कारण यहां कोई भी बड़ी सर्जरी नहीं हो रही है। हाईटेक मशीनें डॉक्टर के इंतजार में जंग खाने लगी है। आपको बता दें 4 महीने पहले ही इस अस्पताल का इनॉगरेशन करते समय डिप्टी सीएम ने बड़े-बडे़ दावे किए थे लेकिन आज अस्पताल के साथ यह दावे भी बेहोशी की अवस्था है। पेश है डीजे आई नेक्स्ट की यह स्पेशल रिपोर्ट।

मात्र 12 डॉक्टर भरोसे है अस्पताल

50 बेड वाले इस अस्पताल का उद्घाटन सात जुलाई 2018 को किया गया। नियम है कि किसी भी अस्पताल में बेड के हिसाब से डॉक्टरों और अन्य स्टाफ की नियुक्ति होती है। जबकि बिहटा स्थित ईएसआईसी अस्पताल में मात्र 12 डॉक्टरों की ही नियुक्ति हुई है। उसमें भी स्पेशलिस्ट और एनेस्थिशिया डॉक्टरों नियुक्त नहीं किए गए। डॉक्टरों सहित कुल 31 स्टाफ ही अब तक नियुक्त किए गए है।

केवल ओपीडी की ही सुविधा

सर्जरी की सुविधा नहीं होने की वजह से इस अस्पताल में केवल ओपीडी की सेवा ही शुरू हो पाई है। हर दिन केवल 70 से 75 मरीज ही आते है। इनमें से अधिकांश छोटी बीमारी वाले मरीज ही होते हैं। कोई मरीज बड़ी बीमारी से पीडि़त है तो उसे फुलवारी शरीफ स्थित ईएसआईसी अस्पताल रेफर किया जाता है।

किनका होता है इलाज

यह अस्पताल ईएसआईसी द्वारा बीमित कर्मचारियों और उनके आश्रितों के बेहतरीन इलाज के लिए खोला गया। साथ ही सरकार की ओर से यह भी घोषणा की गई थी कि पटना जिले के लोगों का भी मुफ्त में इलाज होगा।

लगानी पड़ रही फुलवारी शरीफ की दौड़

सर्जरी और बड़ी बीमारियों के इलाज के लिए बिहटा और आसपास के लोगों को आज भी फुलवारी शरीफ भेजा जा रहा है। अस्पताल के प्रभारी मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉक्टर वीके अग्रवाल ने बताया कि एनेस्थिशिया के डॉक्टर की नियुक्ति नहीं होने से सर्जरी नहीं हो पा रही है जबकि सर्जरी के लिए सभी संसाधन अस्पताल में मौजूद हैं।

डॉक्टरों की कमी की वजह से सभी रोगों का इलाज संभव नहीं है। डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए मुख्यालय को पत्र लिखा गया।

डॉ। वी के अग्रवाल, प्रभारी मेडिकल सुप्रीटेंडेंट, ईएसआईसी

Posted By: Inextlive