आदेश के बाद भी कामर्शियल वाहनों में नही लग पा रहे स्पीड गर्वनर

बिना गर्वनर मिल रही वाहनों को फिटनेस

Meerut। कामर्शियल वाहनों की गति को काबू में रखने की परिवहन विभाग की योजना दो साल बाद भी आज पूरी तरह परवान नही चढ़ सकी है, दो साल पहले तत्कालीन आरटीओ ने शासन के आदेश पर सभी प्रकार के कामर्शियल वाहन खासतौर पर स्कूल और पब्लिक ट्रांसपोर्ट के वाहनों में स्पीड गर्वनर को लगाने का निर्णय लिया था। इसके बिना किसी भी कीमत पर इन वाहनों का संचालन नही होना था, लेकिन बावजूद इसके शहर की सड़कों पर तेज रफ्तार कॉमर्शियल वाहन फर्राटा भर रहे हैं और हादसों को अंजाम दे रहे हैं।

दौड़ रहे वाहन

दरअसल दो साल पहले साल 2016 में सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए कामर्शियल वाहनों में अलग से स्पीड गर्वनर लगाने का आदेश जारी किया गया था। इसके तहत पुरानी कॉमर्शियल गाडि़यों में खासतौर पर स्कूली वाहन और पब्लिक ट्रांसपोर्ट के वाहनों में अधिकतर 40 किमी प्रति घंटा की रफ्तार फिक्स की गई थी लेकिन आज सड़क पर कॉमर्शियल वाहनों की रफ्तार 60 से 80 की स्पीड पर दौड़ रहे हैं।

नही लगे गर्वनर

आदेश के बावजूद 60 प्रतिशत स्कूली वाहनों में अभी तक स्पीड गर्वनर नही लग सका है। ऐसे में स्कूली वाहनों की रफ्तार पर लगाम सबसे अधिक जरुरी होने के बाद भी नही लग पा रही है। जबकि स्कूली वाहनों की फिटनेस के लिए स्पीड गर्वनर का नियम सबसे अधिक जरुरी है।

179 वाहनों का हुआ चालान

आरटीओ के आंकड़ों की बात करें तो पिछले चार माह में केवल 179 वाहनों का चालान स्पीड गर्वनर ना होने के कारण कटा है। ऐसे में शहर की सड़कों पर दौड़ रहे हजारों वाहनों में से मात्र 179 वाहनों ही विभाग की पकड़ में आए जिन में स्पीड गर्वनर नही था जबकि अधिक आटो रिक्शा, बस, डीसीएम, लोडर वाहन बिना स्पीड गर्वनर के फर्राटा भर रहे हैं।

कॉमर्शियल वाहनों की फिटनेस ही स्पीड गर्वनर की जांच के बाद दी जाती है। जो वाहन बिना फिटनेस के दौड़ रहे हैं उनकी जांच के बाद चालान समय समय पर होता रहता है।

चंपा लाल निगम, आरआई

Posted By: Inextlive