-नए बजट के हिसाब से एक अप्रैल से बढ़ाए गए हैं शराब के दाम

-दुकानदार पुरानी प्रिंट वाली शराब को बेच रहे हैं बढ़े हुए रेट के हिसाब से

आगरा। ताज सिटी में खुलेआम लूट हो रही है। यह सोलह आने सच है। अगर विश्वास नहीं हो तो जरा शराब की दुकानों पर जाकर देखें। यहां शराब के दामों में खुलकर खेल किया जा रहा है। पुराने प्रिंट की शराब नए दामों पर बेची जा रही है। प्रशासन को यह लूट दिखाई नहीं दे रही है। वजह साफ है। सुविधा शुल्क। इसी के चलते प्रशासनिक अधिकारी अपनी आंखे मूंदकर बैठे हुए हैं।

पुरानी बोतल, बढ़े हुए दाम

नए बजट के अनुसार एक अप्रैल से शराब के दामों में इजाफा हो गया है। लेकिन, ये नई शराब की बोतलों पर प्रिंट होकर ही सेल के लिए मार्केट में आएगी। जबकि आगरा में स्थिति इसके उलट ही देखने को मिल रही है। यहां पर पुरानी शराब को नए दामों में दुकानदार खुलेआम बेच रहे हैं। आलम यह है कि दुकानदार ग्राहकों से बीस रुपये से लेकर 120 रुपये तक अधिक वसूल कर रहे हैं, वह भी बिल्कुल ही अवैध तरीके से। बाजार के जानकारों के मुताबिक इस तरह से लूट की छूट के जरिए दुकानदार पूरे आगरा से इस अप्रैल के माह में ही लगभग 7 से लेकर 9 करोड़ रुपए तक अवैध कमाई कर लेंगे।

बढ़ गई है एक्साइज ड्यूटी

बताते चलें कि नए वित्तीय वर्ष में एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी गई है। यही वजह है कि शराब का दामों में इजाफा हो गया है। बढ़े हुए दामों की बात करें तो 20 रुपये से लेकर 120 रुपये तक पहुंच गए हैं। क्वार्टर में 20 से लेकर 30. हॉफ में 40 से 60. जबकि बोतल पर 80 से लेकर 120 रुपये तक बढ़ गए हैं। उधर, बीयर केन की बात करें तो इसपर 5 रुपये और बोतल पर 10 रुपये बढ़ गए हैं। आगरा के बाजार में शराब और बीयर का स्टॉक पुराने प्रिंट वाला ही चल रहा है जबकि ग्राहकों को यह नए दाम पर ही माल बेचा जा रहा है।

सरकार आपको चूना लग रहा है

बात अगर सरकारी खजाने की करें तो सबसे ज्यादा रेवेन्यू शराब से ही प्राप्त होता है। सरकारी खजाने में और अधिक इजाफा करने के उद्देश्य से ही सरकार ने एक्साइज ड्यूटी भी बढ़ाई है। लेकिन सरकार की यही वजह है कि लाख विरोध के बाद भी सरकारी स्तर से शराब के कारोबार को प्रतिंबधित नहीं किया जा रहा है। बीते दिनों तमाम जगहों पर शराब के खिलाफ बड़े-बड़े आन्दोलन हुए, लेकिन कुछ भी नहीं हो सका। आगरा की महिलाओं में अब भी उबाल है। हर दिन ही कहीं ना कहीं विरोध प्रदर्शन हो रहा है। सड़क पर उतरी महिलाओं की वजह से लॉ एंड ऑर्डर के लिए भी एक गंभीर चुनौती पैदा होती जा रही है। लेकिन, सरकार की ओर से शराब बिक्री बदस्तूर कराई जा रही है। इसी के लिए हर साल शराब के ठेके भी उठाए जाने की परम्परा है। लेकिन पुरानी दामों वाली शराब को मनमाने तरीके से दाम बढ़ाकर बेचने से सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लग रहा है।

खप रही तस्करी की शराब

इस गोरखधंधे का एक पहलू यह भी है कि इनदिनों दूसरे प्रदेशों से लाई जा रही तस्करी की शराब को भी आगरा के शराब ठेकों पर खपाया जा रहा है। जानकारों की मानें तो यह सब खेल आबकारी विभाग और पुलिस प्रशासन की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। तस्करी की शराब को यहां बेचने के पीछे वजह भी है। दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा आदि स्थानों पर शराब पर टैक्स कम है। इसके अलावा नकली शराब के जरिए भी शराब के माफिया और दुकानदार जमकर मुनाफा कमा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि नकली शराब गुड़गांव, गाजियाबाद, राजस्थान, नेपाल सहित तमाम स्थानों से लाई जा रही है। नकली शराब के जरिए शराब माफिया दो से लेकर तीन गुना तक मुनाफा कमाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि पुराने रेट की शराब और बीयर को नए रेट पर बेचने का काम सिंडिकेट ही कर रहे है। दुकानदार अंधाधुंध तरीके से अपनी जेब भरने में लगे हुए हैं। इसमें कुछ एक छुटभैये राजनेताओं का भी हाथ है। यही वजह है कि पुलिस इनपर हाथ डालने के बजाय अपना हिस्सा लेने में ही भलाई समझ रही है।

यूथ कर रहे फ्यूचर चौपट

यूं तो शराब के शौकीनों की कोई कमी नहीं है। नशे को शौक को बड़े-बड़े फरमा रह हैं। लेकिन इसमें यंगस्टर्स भी कतई पीछे नहीं रहना चाहते हैं। आगरा में आसपास के जिलों से बहुत बड़ी संख्या में यंगस्टर्स पढ़ाई और करियर की तैयारी के लिए आते हैं। इसका कारण भी है। आगरा में मेडिकल से लेकर इंजीनियरिंग तक के कॉलेज हैं। यही नहीं यहां टेक्निकल कॉलेजेज की भी कोई कमी नहीं है। केंद्र सरकार से लेकर यूपी सरकार के अधीन वाले पॉलिटेक्निक और आईटीआई भी यहां पर हैं। बाहर के रहने वाले स्टूडेंट्स बड़ी संख्या में हॉस्टल में रह रहे हैं। जिनको हॉस्टल नसीब नहीं है, वे प्राइवेट रूम लेकर रहते हैं। इनमें से बड़ी संख्या में यंगस्टर्स नशे की चपेट में आ जाते हैं। सेपरेट रेजीडेंटस और गलत संगत के चलते ये बहुत आसानी से शराब के आदी हो जाते हैं।

Posted By: Inextlive