वन विभाग ने शुरू की सोतीगंज व लालकुर्ती में छापेमारी

टीम दे रही दबिश, प्रतिबंधित वन्य जीव मिला तो होगी कार्रवाई

Meerut। दिवाली खुशियों का त्योहार है लेकिन समाज का एक तबका ऐसा भी है जो अंधविश्वास के चलते इस दौरान तंत्र-मंत्र और मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उल्लू की बलि देता है। इसी कारण दिवाली आते ही पक्षी बाजार में उल्लू की खरीद-फरोख्त तेज हो जाती है। इसी के मद्देनजर प्रमुख वन संरक्षक (वन्य जीव) पवन कुमार के निर्देश पर मेरठ समेत सूबे के सभी जनपदों में वन विभाग खास चौकसी बरत रहा है। डीएफओ अदिति शर्मा के निर्देशन में वन विभाग की टॉस्क टीमें प्रचलित स्थलों पर रोजाना छापेमारी कर रही हैं।

एक लाख तक कीमत

जानकारी के मुताबिक अमावस्या पर तंत्र क्रिया के लिए उल्लू, मुनिया समेत कई पक्षियों की तस्करी प्रचलित है। आमतौर पर पक्षी बाजारों में दिवाली पर प्रतिबंधित उल्लू के दाम बढ़ जाते हैं। अंधविश्वास में घिरे लोग उल्लू को 10 हजार से एक लाख रुपये तक में खरीदते हैं। जिसके बाद तंत्र क्रिया के दौरान लोग उल्लू के नाखून, हड्डियों, चोंच और आंखों की बलि देते हैं। इसके अलावा कई अन्य पक्षियों के अंगों को भी तंत्र क्रिया के लिए दिवाली के दौरान प्रयोग में लाया जाता है।

दिवाली के मद्देनजर उल्लू व मुनिया आदि पक्षियों की तस्करी होती है। अंधविश्वास के चलते लोग इन पक्षियों का शिकार कर उन्हें बेंचते हैं। मेरठ में टॉस्क टीमों का गठन कर निगरानी की जा रही है। सोतीगंज व लालकुर्ती स्थित पक्षियों की दुकानों पर वन विभाग की टीम नियमित छापेमारी कर रही है।

अदिति शर्मा, डीएफओ, मेरठ

Posted By: Inextlive