पाकिस्तान में इमरान ख़ान और ताहिरुल क़ादरी के चल रहे आंदोलन और कुछ साल पहले भारत में चले भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में क्या कोई समानता है?


क्या यह पाकिस्तान में लोकतंत्र को मज़बूत कर रहा है या उसकी जड़ें खोद रहा है? ये ऐसे सवाल हैं जो इस समय हर शख़्स को परेशान कर रहे हैं जो पाकिस्तान के हालात पर नज़र गड़ाए हुए हैं.आम आदमी पार्टी के नेता योगेंद्र यादव का मानना है कि ऊपरी तौर पर यह आंदोलन तो भारत के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन जैसा ही लगता है लेकिन इसके पीछे पाक फ़ौज की शह से इसे नया आयाम मिलता है.उनका मानना है कि भारत के आंदोलन की तरह इसका उद्देश्य रचनात्मक नहीं है.पढ़ें, योगेंद्र यादव का विश्लेषणपाकिस्तान में जो चल रहा है उसे जनउभार, जनांदोलन या जनाक्रोश की तरह देख सकते हैं लेकिन मुझे लगता है कि सिर्फ़ इस अर्थ में समझना नाकाफ़ी होगा.


इसके पीछे एक स्थापित राजनीतिक दल है, एक स्पष्ट राजनीतिक मंशा है, इसमें चुनाव में जीत कर आई एक सरकार को डेढ़ दो साल में ही उखाड़ फेंकने का इरादा है और इसके पीछे कहीं न कहीं पाकिस्तान फ़ौज की शह है.ये इसे एक सामान्य जनांदोलन की बजाय दूसरा चरित्र देता है. इसमें एक ख़तरनाक पुट है- जैसे कि लोकतंत्र को चुनौती दी जा रही हो, जैसे कि यह कुछ बनाने का नहीं बल्कि कुछ उखाड़ने का आंदोलन हो.बुनियादी फ़र्क़

इमरान ख़ान के आंदोलन में जड़ खोदने की एक मंशा भी दिखाई देती है. यही बात इसे भारत के आंदोलन से बहुत अलग बनाती है.भारत में आंदोलन स्वतःस्फूर्त था, उसके पीछे कोई स्थापित राजनीतिक दल नहीं था और उसकी एक स्पष्ट मांग थी- भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ जन लोकपाल बिल.उस आंदोलन के पीछे एक स्पष्ट रचनात्मक उद्देश्य था. ऐसा उद्देश्य पाकिस्तान के प्रदर्शनकारियों में दिखाई नहीं देता.लोकतंत्र में जब जड़ता आ जाती है तो उसे तोड़ने के लिए जनता का स्वतःस्फूर्त उभार होता है. यह बहुत महत्वपूर्ण है.यह खड़े और सड़ रहे पानी में कुछ बदलाव की गुंजाइश लाते हैं, वो सत्ता और उसके चरित्र में बदलाव की गुंजाईश खोलते हैं.लेकिन ये उभार अपने आप में किसी चीज़ की गारंटी नहीं है. इस उफ़ान की ऊर्जा को किसी तरह बांधा जाता है यह महत्वपूर्ण है. असफलता की स्थिति में यह ऊर्जा भाप बनकर उड़ जाएगी.उम्मीदयह आंदोलन इमरान ख़ान और ताहिरुल क़ादरी के व्यक्तित्व और उनकी महत्वकांक्षाओं से ज़्यादा बड़ा और पाकिस्तान के नवनिर्माण में सहयोग करने वाला होगा.

एक पड़ोसी और एक व्यक्ति होने के नाते हम सब की अपेक्षा यही होनी चाहिए कि पाकिस्तान की घटनाएं उसके लोकतंत्र को मज़बूत करेंगी, न कि उसके विध्वंस में.यह भारत के लिए बहुत ज़रूरी है. पाकिस्तान में ऐसा कुछ हो जो उसके लोकतंत्र को ही हिलाए, यह भारत के लिए कतई अच्छी ख़बर नहीं है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh