manish.mishra@inext.co.inPATNA : गुमशुम सी रहने वाली गीता की उम्मीद अब टूट रही है. अपनों की राह देख रही आंखें भी थक रही हैं. बोल पाती तो दर्द बांट लेती लेकिन बोलने-सुनने की क्षमता भी नहीं है. नाम तो भारत सरकार ने दे दिया लेकिन अब मां का आंचल कहां से आए. यह दर्द भरी दास्तां हालात की मारी एक ऐसी लड़की की है जो पाकिस्तान जेल से भारत आ गई लेकिन अब देश में ही वह परदेशी बनकर रह गई है. उसके संकेत बिहार से जोड़ रहे हैं लेकिन यहां कोई सुराग नहीं लग रहा है. काफी तलाश के बाद केंद्र ने फिर बिहार सरकार को यह बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. पूर्व में भी बिहार सरकार प्रयास कर चुकी है लेकिन सफलता नहीं मिली.

10 वर्ष पूर्व गई थी पाकिस्तान 

पीडि़ता को लेकर बताया जा रहा है कि वह दस वर्ष पूर्व सीमा पार कर पाकिस्तान चली गई थी। काफी दिनों बाद भारतीय दूतावास की सूचना पर उसे कराची से दिल्ली लाया गया था। जब वह भारत लाई गई तो केंद्र सरकार ने उसे गीता नाम दिया। गृह विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उसके संकेतों के हिसाब से उसकी पहचान बिहार के सहरसा की रहने वाली के रूप में की गई। जनार्दन महतो को उसका पिता बताया गया। इसके पूर्व जब भारतीय दूतावास के अधिकारी जनार्दन के परिवार की फोटो लेकर कराची गए तो गीता ने उन्हें इशारे से अपना परिवार बताया था। लेकिन भारत आने पर कहानी बदल गई। उसने पहचानने से इनकार कर दिया था. 

 

डीएनए में भी सुराग नहीं 

बिहार सरकार ने गीता और सहरसा के उसके कथित परिजनों का डीएनए परीक्षण भी कराया था लेकिन यह मैच नहीं किया। सहरसा के डीएम ने एक रिपोर्ट बनाकर दी थी जिसमें पहचान नहीं मिलने की बात कही गई। इसके बाद उसे भोपाल की एक संस्था को दे दिया गया, जहां वह रह रही है। केंद्र सरकार ने काफी प्रयास किया लेकिन उसके परिजनों का कोई सुराग नहीं लगा। ऐसे में फिर विदेश मंत्रालय को गीता के परिजनों की तलाश की जा रही है।

 

फिर बिहार को जिम्मा 

विदेश मंत्री एवं प्रवासी भारतीय कार्य मंत्री ने पत्र भेजकर बिहार सरकार से गीता के परिजनों की तलाश करने को कहा है। इस पत्र के बाद बिहार सरकार ने प्रदेश के सभी डीएम और एसपी के साथ अन्य अधिकारियों को निर्देश दिया है। इसके अलावा गृह मंत्रालय द्वारा प्रचार प्रसार भी किया  जा रहा है। गृह विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उसके परिवार वालों की तलाश की जा रही है।

 

Highlights

गीता के अनुसार वह सात भाई बहन है।

गीता छोड़ सभी बोलते-सुनते हैं।

उसके माता-पिता भी बोलते-सुनते हैं।

10 वर्ष पूर्व वह सीमा के पार पाकिस्तान चली गई थी।

बाई आंख की सीध में और भौंह पर चोट के दो बड़े निशान हैं।

बिहार के चित्र दिखाने पर उसने वहां का संकेत दिया है।

बिहार को लेकर वह काफी पहचान बताती है।

उसके अनुसार उसके घर की गली के नजदीक अस्पताल है।

Posted By: Inextlive