DEHRADUN : एग्जाम टाइम में बच्चों को तनाव मुक्त करने के मकसद से सीबीएसई द्वारा स्टूडेंट्स ओर पेरेंट्स के लिए चलाए जा रहे कउंसिलिंग प्रोग्राम के बाद सिटी के काउंसलर्स के पास भी केसेज बढ़ गए हैं. पेरेंट्स काउंसलर्स के पास लगातार एग्जाम के प्रेशर से बचने और बच्चे को तनाव मुक्त रखने के लिए संपर्क कर रहे हैं.


आ रहे हैं कई केसेज


एग्जाम टाइम में आज सिर्फ बच्चा ही तनाव का शिकार नहीं है। सीबीएसई द्वारा एक फरवरी से 17 अप्रैल तक चलाए जा रहे स्पेशल काउंसिलिंग हेल्पलाइन पर आ रहे केसेज से यह बात सामने आई है। पेरेंट्स के तनाव में आने के बाद बच्चे का तनाव ग्रस्त होना स्वाभाविक हो जाता है। ऐसे में सिटी के साइकोलॉजिस्ट्स के पास भी काउंसिलिंग के केसेज बढ़ गए हैं। सीबीएसई की काउंसलर डा। सोना कौशल गुप्ता के मुताबिक हेल्पलाइन पर आने वाले केसेज में ज्यादातर केसेज पेरेंट्स के तनावग्रस्त होने के थे। हेल्पलाइन पर सभी को समाधान बताए गए हैं। सिर्फ हेल्पलाइन ही नहीं बल्कि सिटी के काउंसलर्स के पास भी केसेज आ रहे हैं। स्टूडेंट काउंसलर डा। मुकुल शर्मा ने बताया कि हर साल इस टाइमिंग में केसेज बढ़ जाते हैं, लेकिन इस साल बच्चों से ज्यादा पेरेंट्स के तनावग्रस्त होने के केसेज आ रहे हैं।

कॉम्पिटीशन की भावना से बढ़ी प्रॉब्लम

काउंसलर्स के मुताबिक केसेज में ज्यादातर पेरेंट्स प्रतिस्पर्धा के कारण तनाव ग्रस्त हैं। जबकि यह बिल्कुल गलत है। पेरेंट्स को बच्चे से बेस्ट की उम्मीद इतनी ज्यादा होने लगती है कि बच्चा बेवजह के दबाव में आने लगता है। अक्सर पेरेंट्स को पता तक नहीं है कि काउंसिलिंग की जरूरत बच्चे से ज्यादा उनको है। हम सभी पेरेंट्स को इससे दूर रहने की सलाह ही दे रहे हैं। काउंसिलिंग के सेशंस में बात सामने आ रही है कि पेरेंट्स ज्यादा तनाव में हैं, हालांकि उन्हें पता तक नहीं होता कि बच्चे से ज्यादा उन्हें काउंसिलिंग की जरूरत है, लेकिन असल में पेरेंट्स ज्यादा दबाव में हैं। हमारे पास आ रहे केसेज में पहले पेरेंट्स की काउंसलिंग की जरूरत ज्यादा महसूस हो रही है। - डॉ। मुकुल शर्मा, चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट एंड कांउसलर

Posted By: Inextlive