भारतीय संसद ने शुक्रवार के दिन बेहद तेज़ी दिखाते हुए छह विधेयक पारित कर दिए. इनमें से कुछ पर तो चर्चा भी ना के बराबर हुई.


शुक्रवार को लोकसभा अनिश्चितकाल के स्थगित कर दी गई. इससे पहले, सदन में संक्षिप्त चर्चा कर चार बिल पारित कर दिए गए.लोकसभा में पारित होने वाले विधेयकों में रेहड़ी-पटरी वालों की आजीविका सुरक्षा और नियमन विधेयक2012, राजीव गांधी राष्ट्रीय उड्डयन विश्वविद्यालय बिल 2012, सिर पर मैला ढोने के लिए नियुक्ति को प्रतिबंधित करने और इस कार्य से जुड़े लोगों के पुनर्वास संबंधी विधेयक 2012 औऱ भारतीय जन प्रतिनिधित्व (संशोधन) विधेयक 2013 हैं.उड्डयन विश्विद्यालय औऱ जनप्रतिनिधि क़ानून से संबंधित विधेयक तो तुरत-फ़ुरत तरीक़े से केवल 15 मिनट के भीतर ही निपटा दिए गए.ख़ासकर जनप्रतिनिधि क़ानून की बात की जाए तो यह विधेयक सज़ा पाने वाले दाग़ी नेताओं के चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाने वाले फ़ैसले को निष्प्रभावी करने के उद्देश्य से लाया गया है.राज्यसभा ने 28 अगस्त को ही इस विधेयक को पारित कर दिया था.शुक्रवार को पारित हुए बिल


-फेरी वालों की आजीविका सुरक्षा और नियमन विधेयक-राजीव गांधी राष्ट्रीय उड्डयन विश्वविद्यालय बिल-सिर पर मैला ढोने पर प्रतिबंध और पुनर्वास संबंधी विधेयक-भारतीय जन प्रतिनिधित्व (संशोधन) विधेयक-पेशन कोष नियामक औऱ विकास प्राधिकरण विधेयक-संविधान-अनुसूचित जनजाति आदेश संशोधन विधेयकमैला ढोने की प्रथा को ख़त्म करने संबंधी विधेयक पर थोड़ी सी ही चर्चा हुई.राज्यसभा

भारतीय संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा ने पेंशन कोष नियामक और विकास प्राधिकरण विधेयक-2011 को मंज़ूरी दी.ये बिल लोकसभा में 4 सितंबर को पारित हो चुका था.विधेयक पेश करते हुए वित्तमंत्री पी चिदम्बरम ने कहा कि इसके अंतर्गत एक प्राधिकरण स्थापित किया जाएगा, जो पेंशननिधियों की योजनाओं के सदस्यों के हितों की रक्षा के लिए पेंशननिधियों की स्थापना, विकास और नियमन करेगा।सदन ने संविधान-अनुसूचित जनजाति आदेश संशोधन विधेयक 2012 पारित कर दिया है। ये विधेयक भी लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है। विधेयक में छत्तीसगढ और केरल में अनुसूचित जनजातियों की सूची में संशोधन करने का प्रावधान है।बिना किसी चर्चा या संक्षिप्त चर्चा के संसद में बिल पारित कर देने की इस प्रवृत्ति पर राजनैतिक विश्लेषक अक्सर चिंता व्यक्त करते आए हैं.

Posted By: Satyendra Kumar Singh