kanpur : पैसेंजर्स इस उम्मीद के साथ रेलवे स्टेशन पहुंचते हैं कि यहां आते ही उनकी प्रॉब्लम्स सॉल्व हो जाएंगी. उनको अपनी ट्रेन की पूरी इंफॉर्मेशन मिल जाएगी. अगर कोई प्रॉब्लम होगी तो स्टेशन पर बने काउंटर्स पर बैठे रेलवे इम्प्लाइज उसको दूर कर देंगे. पर जनाब ‘बेदर्द रेलवे’ को पैसेंजर्स के दर्द का ख्याल कहां है? कड़ाके की ठंड में जब ट्रेनें 12 से 15 घंटे तक देरी से चल रही हैं. वेटिंग रूम में बैठने की जगह नहीं है. तब ट्रेनों की जानकारी के लिए पैसेंजर्स इधर-उधर भटक रहे हैं. पैसेंजर्स की सहूलियत के लिए दर्जनों काउंटर्स खोले गए हैं लेकिन वो सिर्फ दिखावे के लिए. रेलवे कैसे पैसेंजर्स के साथ ‘सौतेला व्यवहार’ कर रहा है. पैसेंजर्स की शिकायत पर थर्सडे को आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने सेंट्रल का जायजा लिया तो मालूम चला कि यहां पैसेंजर्स की सुनने वाला कोई नहीं है. सुनवाई के नाम पर सिर्फ और सिर्फ दावे ही किए जा रहे हैं.


------------------क्या करें पैसेंजर्स?-----------------टाइम-1 बजकर 10 मिनटजगह-प्लेटफॉर्म नंबर एक


प्लेटफॉर्म नंबर एक पर पैसेंजर्स इंक्वॉयरी के साथ ही पांच दूसरे काउंटर्स भी हैं। वहां खड़े रिपोर्टर की नजर इनमें से एक काउंटर्स पर जाती है। जहां पैसेंजर्स की जबरदस्त भीड़ थी। अपनी ट्रेन की जानकारी के चक्कर में हर कोई एक दूसरे के ऊपर गिरा जा रहा था। आप सोच रहे होंगे कि जब छह काउंटर्स थे तो पैसेंजर्स एक ही पर भीड़ क्यों लगाए थे। उसकी वजह थी कि सिर्फ उसी काउंटर में रेलवे का एक इम्प्लाइ बैठा था। ऐसे में रिपोर्टर की नजर जब दूसरे काउंटर पर गई तो वो खाली था। कुछ ऐसा ही हाल तीसरे, चौथे, पांचवे और छठे काउंटर का था। दो काउंटर बंद थे तो तीन में कोई इम्प्लाइ बैठा ही नहीं था। जिस काउंटर में भीड़ लगी थी, वहां का नजारा देखने के बाद जैसे ही रिपोर्टर उस तरफ बढ़ा तो देखा कि पैसेंजर्स आपस में ही एक दूसरे से भिड़ रहे थे। रिपोर्टर ने पूछा कि क्या हो गया? तो चार-पांच पैसेंजर्स ने रिपोर्टर को घेर लिया और कहा कि सारे काउंटर्स पहले से ही खाली थे। एक में इम्प्लाइ बैठा था वो भी कहीं चला गया है। इतनी सर्दी में हम लोग क्या करें? किसके पास जाएं?

नोट-रिपोर्टर ने पैसेंजर्स की शिकायत के बाद काउंटर्स का 1 बजकर 45 मिनट पर 2 बजकर 15 मिनट पर और 2 बजकर 45 मिनट पर काउंटर्स का जायजा लिया लेकिन वहां एक भी इम्प्लाई नहीं मिला।---------------सुबह आ गए थे स्टेशनपूछताछ काउंटर्स के पास खड़े बिजनेसमैन राकेश कपूर कहते हैं कि उन्हें अचानक बिजनेस के सिलसिले में नई दिल्ली जाना था। सुबह प्लान बना तो वो सामान पैक करके स्टेशन पहुंच गए। ये सोचकर की यहां पूछताछ काउंटर पर इंक्वायरी के दौरान ट्रेन के बारे में मालूम चल जाएगा और फिर ट्रेन पकड़ लेंगे। पर ऐसा नहीं हुआ। वो कहते हैं कि सुबह साढ़े नौ बजे सेंट्रल पहुंच गया था। यहां एक काउंटर पर जबरदस्त भीड़ लगी थी मैंने आगे जाने की कोशिश की लेकिन इतनी भीड़ होने की वजह से हर बार पीछे आ गया। जब मैं किसी तरह से आगे काउंटर तक पहुंचा तो वहां बैठा इम्प्लाइ गायब हो गया। कई घंटे हो गए पर समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करूं? किस ट्रेन से दिल्ली जाऊं? क्योंकि मुझको जिन ट्रेनों के बारे में पता है वो सब 20-20 घंटे लेट चल रही हैं। अब आप ही बताइए हम लोग क्या करें?

अब क्या करें हम?सिर्फ राकेश नहीं संजय मित्तल, संजना वर्मा, शैलेश मिश्रा, राजीव सक्सेना जैसे कई पैसेंजर्स आई नेक्स्ट रिपोर्टर को मिले जिनका कहना था कि इतनी सर्दी में पैसेंजर्स क्या करें? ट्रेनें कई-कई घंटे लेट चल रही हैं। पैसेंजर्स को कोई जानकारी नहीं मिल रही है वो कैसे अपने घर पहुंचेगा? राकेश कौशल बताते हैं कि अगर स्टेशन पहुंचने के बाद पता चल जाए कि कौन सी ट्रेन सही में कितनी देर से आएगी तो फिर वो कोई और व्यवस्था न कर लें लेकिन ऐसी कोई व्यवस्था ही नहीं है। बस रेलवे को तो पैसेंजर्स से किराया वसूलना है। ---------------------पैसेंजर्स की प्रॉब्लम सुनने वाला स्टेशन पर कोई नहीं है। ट्रेनें 15-15 घंटे से ज्यादा लेट चल रही हैं और काउंटर्स पर कोई नहीं है।अनुभव दीक्षित, स्टूडेंट फोटो नंबर-8968-----------------कब कौन सी ट्रेन आएगी। ये तो प्लेटफॉर्म पर बने काउंटर्स पर ही मालूम चलेगा। पर जब कोई इम्प्लाइ होगा तभी तो वो कुछ बताएगा।अर्जुन, सर्विसमैनफोटो नंबर-8976---------------रेलवे को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे प्लेटफॉर्म पर बना कोई भी काउंटर खाली न हो। क्योंकि काउंटर्स खाली होने से पैसेंजर्स को काफी प्रॉब्लम फेस करनी पड़ती है।डॉ। एसके पांडेयफोटो नंबर-8981-------------------
मुझको ये समझ में नहीं आता है कि रेलवे के ऑफिसर्स क्या करते हैं? अगर वो समय-समय पर निरीक्षण करें तो कोई काउंटर्स से गायब नहीं रहेगा।अभिषेक रंजनफोटो नंबर-8990-----------------जब काउंटर्स पर किसी ने कोई जानकारी नहीं दी तभी तो मैंने अब बस से जाने का प्लान बना लिया है। सारे काउंटर्स खाली हैं।शुभम गुप्ताफोटो नंबर-9013--------------------ड्यूटी ऑवर्स में प्लेटफॉर्म पर बने काउंटर्स पर हर हाल में इम्प्लाइज को होना चाहिए। ड्यूटी के बाद भी अगर काउंटर्स पर इम्प्लाइज नहीं हैं तो ये गलत है। पैसेंजर्स शिकायत करें कार्रवाई होगी।नवीन बाबू, सीपीआरओ, एनसीआर------------------कौन-कौन सी ट्रेनें रहीं लेटनंदनकानन एक्सप्रेसमुरी एक्सप्रेससीमांचल एक्सप्रेसकालका मेलमहानंदा एक्सप्रेसराप्ती सागर एक्सप्रेसजोधपुर एक्सपे्रससंपर्क क्रान्ति एक्सप्रेसग्वालियर एक्सप्रेस-------------------आई कनेक्ट===========मैं जब-जब सेंट्रल गया हूं मुझको प्लेटफॉर्म पर बने एंक्वॉयरी काउंटर्स पर एक भी व्यक्ति नहीं मिला।मो। अरशदरेलवे ऑफिसर्स को पैसेंजर्स का ध्यान कहां रहता है। काउंटर्स पर कोई बैठे या न बैठे।सीमा गुप्ताएक इंक्वॉयरी काउंटर और लाखों पैसेंजर्स। अब बताइए कैसे पब्लिक की प्रॉब्लम सॉल्व होगी।अर्पण शुक्लारेलवे के काउंटर्स अक्सर खाली रहते हैं। लगता है कि इम्प्लाइज की भारी किल्लत है।आकांक्षा मिश्रा

Posted By: Inextlive