PATNA: राजधानी के करीब एक लाख से अधिक व्यापारियों को निगम से ट्रेड लाइसेंस नहीं मिल रहा। इसके लिए वह निगम कार्यालय रोजाना दौड़ लगा रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि ट्रेड लाइसेंस न मिलने की वजह से उनकी पहचान व्यापारी वर्ग में नहीं हो पा रही है। इसके साथ ही बैंकों से लोन लेने और दूसरे कार्यो में अड़चनें आ रही हैं। व्यापारी चाहते हैं कि निगम उनकी पहचान सुनिश्चित कराते हुए हर साल लाइसेंस का टैक्स ले लेकिन निगम खुद के पास इसका अधिकार न होने का रोना रो रहा है। इसके पीछे की वजह जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जानने की कोशिश की तो पता चला निगम के पास वह एक्ट ही नहीं जिसके आधार पर व्यापारियों को ट्रेंड लाइसेंस जारी किया जाता है।

2013 से नियम लागू, नगर निगम नाकाम

सरकार के आदेश के बाद सभी जिलों को ट्रेड लाइसेंस के नियम में कुछ संशोधन किया गया जिसमें लाइसेंस के लिए शुल्क में इंक्रीमेंट करते हुए उसके लिए नए नियम बनाने की बात कही गई। अन्य जिलों के निगम ने इस आदेश का पालन भी किया और व्यापारियों के लिए ट्रेड लाइसेंस जारी किया। लेकिन पटना निगम ने पिछले 5 सालों से एक भी आवेदन न तो लिया और न ही व्यापारियों को लाईसेंस जारी की। व्यापारियों से निगम राजस्व के अधिकारी कहते हैं कि निगम के पास ट्रेड लाइसेंस शुल्क लेने का अभी तक अधिकार नहीं है।

एक्ट में संसोधन के बाद भी नहीं जारी हुई अधिसूचना

निगम सूत्रों की मानें तो वर्ष 2013 में ट्रेड लाइसेंस टैक्स में बढ़ोत्तरी के दौरान निगम की मिसलेनियस एक्ट में संसोधन की जरूरत पड़ी। जिसके लिए प्रस्ताव को कमेटी तथा कैबिनेट से पारित करवाकर नगर विकास विभाग के पास भेजा गया। लेकिन नगर विकास विभाग की ओर से आजतक अधिसूचना जारी नहीं की गई। जिसकी वजह से नया एक्ट अस्तित्व में नहीं आ पाया। इसकी वजह से निगम को ट्रेड लाइसेंस जारी करने और सालाना शुल्क वसूली में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इधर, अधिकारियों का दावा है कि ट्रेड लाइसेंस की राह आने वाली कमियों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है और भविष्य में जल्द ही व्यापारियों को ट्रेड लाइसेंस जारी करने का काम शुरू हो जाएगा।

हर साल 5 करोड़ लॉस

2013 के बाद करीब एक लाख से अधिक दुकानदारों द्वारा निगम को रिनुअल टैक्स नहीं मिल रहा है। जिसकी वजह से निगम को हर साल करीब 5 करोड़ रुपए का रेवेन्यू लॉस रहा है। निगम को दूसरे क्षेत्रों की भांति टैक्स नुकसान में हरसाल ट्रेड लाइसेंस से मिलने वाला करोड़ो रुपए शुल्क भी शामिल हो चुका है। शहर में वर्ष 2013 के बाद धड़ल्ले के साथ कमर्शियल गतिविधियों की स्थापना हुई। जिसमें जनरल स्टोर, मेडिकल स्टोर, इलेक्ट्रॉनिक्स दुकानें, मॉल, शॉप आदि की स्थापना तो हुई लेकिन उन्हें निगम से आजतक ट्रेड लाइसेंस प्राप्त नहीं हुआ। जिसकी वजह से ये व्यापार बिना किसी सूची, पहचान के रामभरोसे संचालित हैं।

ट्रेड लाइसेंस के अलावा भी दुकानदारों के पास उनकी पहचान के लिए कई दस्तावेज होते हैं लेकिन कई स्थानों पर निगम का ट्रेड लाइसेंस अनिवार्य होता है। अन्य गतिविधियों की तरह ट्रेड लाइसेंस के लिए भी व्यवस्था ऑनलाइन की जानी चाहिए ताकि हजारों व्यापारियों की सहूलियत हो सके।

पीके अग्रवाल, प्रेसिडेंट, बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्श एण्ड इंडस्ट्री

दुकानों को ट्रेड लाइसेंस जारी करने के लिए हमने कैबिनेट के पास प्रस्ताव भेजा है। एक्ट तैयार होने के बाद से ही यह प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

विशाल आनंद, अपर नगर आयुक्त, नगर निगम

Posted By: Inextlive