RANCHI : बकाए फेलोशिप के पेमेंट की डिमांड को लेकर करीब 40 रिसर्च स्कॉलर्स ने गुरुवार को रांची यूनिवर्सिटी के वीसी डॉ एलएन भगत का घेराव किया। वीसी ने तीन-चार दिनों में फेलोशिप के पेमेंट का आश्वासन रिसर्च स्कॉलर्स को दिया। इस मौके पर आरयू के रजिस्ट्रार डॉ अमर चौधरी ने कहा कि वे दिल्ली जा रहे हैं। वहां वे यूजीसी से फेलोशिप के पेमेंट को लेकर बात करेंगे.रांची यूनिवर्सिटी के कमोबेश सभी डिपार्टमेंट्स में जेआरएफ, आरजीएनएफ और मौलाना आजाद फेलोशिप के तहत स्टूडेंट्स रिसर्च कर रहे हैं। इन रिसर्च स्कॉलर्स को पिछले डेढ़ साल से फेलोशिप की राशि नहीं मिली है। यूजीसी के प्रावधान के तहत रिसर्च स्कॉलर्स को हर महीने 16 हजार रुपए सैलरी के अलावे डीए और कंटिजेंसी भी मिलता है। इस बाबत यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन को हर साल फेलोशिप की राशि क उपयोगिता प्रमाण पत्र यूजीसी को भेजना होता है, पर यूनिवर्सिटी द्वारा उपयोगिता प्रमाण पत्र समय पर नहीं भेजे जाने की वजह से रिसर्च स्कॉलर्स को फेलोशिप की राशि नहीं मिल रही है।

कम पड़ गए क्वेश्चन पेपर्स

डोरंडा कॉलेज में चल रहे इंटरमीडिएट फ‌र्स्ट ईयर के एग्जाम के दौरान गुरुवार को क्वेश्चन पेपर के कम पड़ जाने का मामला सामने आया। कॉलेज में एक बेंच पर चार स्टूडेंट्स बैठे थे, जबकि उन्हें मात्र एक क्वेश्चन पेपर ही मिला। ऐसे में स्टूडेंट्स एक ही क्वेश्चन पेपर के सहारे अपनी-अपनी कॉपीज में आंसर्स लिख रहे थे।

स्टूडेंट्स रहे परेशान

डोरंडा कॉलेज में इंटरमीडिएट के आ‌र्ट्स, कॉमर्स और साइंस के करीब 1900 स्टूडेंट्स हैं। गुरुवार को इंटर फ‌र्स्ट ईयर के इकोनॉमिक्स पेपर का एग्जाम था। झारखंड एकेडमिक कौंसिल (जैक) ने इस पेपर के लिए तीन सौ क्वेश्चन पेपर्स भेजे थे, जबकि इससे कहीं ज्यादा स्टूडेंट्स एग्जाम लिख रहे थे। ऐसे में कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने स्टूडेंट्स के बीच किसी तरह क्वेश्चन पेपर्स का डिस्ट्रिब्यूशन किया। स्टूडेंट्स को कहा गया कि वे आपस में मैनेज कर एग्जाम लिखें। इस बाबत जब कॉलेज ने जैक से पूछा तो उन्हें कहा गया कि जितने क्वेश्चन पेपर्स भेजे गए हैं, उसी में ही मैनेज कीजिए।

Posted By: Inextlive