-हर माह पोर्टल होता है अपडेट, व्यापारियों की नहीं होती वर्कशॉप

-व्यापारी लगाते हैं, सीए और अकाउंटेंट के पास चक्कर, तब तक निकल जाती है डेट

BAREILLY:

केस-1

जगराज होटल के ओनर अमित पांडेय बताते हैं कि वह 12 महीने में 8 बार पेनाल्टी भुगत चुके हैं। एक बार में 3 हजार रुपए की चपत लगती है। जीएसटी की प्रक्रिया जटिल है, इसके बारे में कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट ने कोई वर्कशॉप कराई नहीं है। ऐसे में सीए के पास जाना हमारी मजबूरी है। सीए के पास काम इतना ज्यादा है कि सूचना अपडेट करने में लेट हो ही जाता है। जिससे खामियाजा पेनाल्टी देकर भुगतना पड़ रहा है।

केस-2

पीलीभीत रोड स्थित इलेक्ट्रॉनिक्स शॉप के ओनर योगेश कुमार ने बताया कि जीएसटी की जटिल प्रक्रिया व्यापारियों को भी समझ में आ जाती तो टैक्स के साथ पेनाल्टी की मार न सहनी पड़ती। एक तरफ जीएसटी फाइल कराने के लिए सीए को चार हजार रुपया दीजिए। ऑनलाइन जीएसटी फाइल करना का प्रयास खुद कई बार किया, लेकिन कभी वेबसाइट हैंग हो गई, तो कई बार प्रक्रिया ही समझ में नहीं आयी। कुछ गलत न हो जाए इस डर से नहीं भरा।

केस-3

पीलीभीत रोड स्थित इंवर्टर एंड बैट्री व्यापारी त्रिविद कुमार ने बातचीत में बताया कि जब से ऑनलाइन जीएसटी फाइल करने की बाध्यता हुई है दो बार पांच हजार रुपए जुर्माना भर चुका हूं। एक बार तो सीए के पास पहुंचने में ही लेट हो गए। इसकी प्रक्रिया इतनी टफ है कि कई प्वाइंट्स पर समझ में ही नहीं आता है कि आगे क्या करूं। इसके अलावा वेबसाइट हैंग होना भी एक बड़ी प्रॉब्लम है। जीएसटी की प्रक्रिया समझाने के लिए वर्कशॉप ऑर्गनाइज होनी चाहिए।

जीएसटी फाइल करने को लेकर यह हाल सिर्फ अमित पांडेय, योगेश और त्रिविद कुमार की ही नहीं है। कमोबेश शहर के 90 परसेंट व्यापारी इस मुश्किल से दो चार हो रहे हैं। उन्हें भी जुर्माना भरना पड़ रहा है। जीएसटी लागू होने के बाद कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट ने एक-दो बार अवेयरनेस के लिए वर्कशॉप तो करा दी थी, लेकिन हर महीने कुछ न कुछ हो रहे नियमों में संशोधन के चलते नई बातों से व्यापारी अनजान हैं, जो समस्या का सबब बन रही है।

पिस रहे छोटे व्यापारी

जीएसटी की तंग प्रक्रिया में छोटे व्यापारी खासतौर पर पिस रहे हैं। ऑनलाइन जीएसटी फाइल करना इनके बस की बात नहीं है। ऐसे में, उन्हें टैक्स के साथ सीए की फीस का दोहरा बोझ उठाना पड़ रहा है। व्यापारियों में इस बात को लेकर गुस्सा भी है कि सरकार टैक्स लेना चाहती है, तो उसकी प्रक्रियाओं से व्यापारी को भलीभांति अवगत क्यों नहीं करा रही है।

फिर शुरू हुअा पेनाल्टी

व्यापारियों का कहना है कि शुरुआत में अधिक प्रॉब्लम आई थी तो उस समय सभी ने वित्त मंत्री और पीएम से मिलकर समस्या बताई थी। जिसके बाद वित्त मंत्री ने पेनाल्टी और ब्याज खत्म कर दिया था लेकिन इसके बाद अब फिर से पेनॉल्टी और बकाया की रकम पर ब्याज शुरू हो गया है। जिससे व्यापारियों की प्रॉब्लम फिर से बढ़ गई है। वहीं परेशान व्यापारी सेल टैक्स ऑफिस के चक्कर लगाने को मजबूर है। व्यापारियों का कहना है कि इसके लिए पहले से ही वर्कशॉप करानी चाहिए थी। जिससे की व्यापारियों को जानकारी हाे सके।

पेनाल्टी के साथ ब्याज का भार

-महीने की 20 तारीख तक जीएसटी फाइल न करने पर प्रतिदिन की दर से 50 रुपए की पेनाल्टी लगती है।

-टैक्स की बकाया कुल रकम पर 15 प्रतिशत की दर से सरकार ब्याज भी लेती है। जबकि, खुद 9 प्रतिशत से अधिक ब्याज नहीं देती है।

जीएसटी व्यापारी खुाद या फिर किसी भी पढ़े लिखे व्यक्ति से ऑनलाइन वेबसाइट पर फाइल कर सकते हैं। समय से जीएसटी फाइल नहीं करने पर व्यापारी को पेनॉल्टी और बकाया रकम पर ब्याज भी देना पड़ता है। जीएसटी की वेबसाइट में समय-समय पर जरूरी संशोधन होते रहते हैं। ताकि व्यापारियों को प्रॉब्लम न आए। इसके बाद भी व्यापारी प्रॉब्लम की शिकायत करते हैं, तो समाधान किया जाता है। रही बात वर्कशॉप ऑर्गनाइज करने की तो व्यापारियों की इस बात को भी अमल में लाया जाएगा।

एसपी सिंह एडिशनल कमिश्नर कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट

Posted By: Inextlive