-मौसम से बदलाव से परेशान हैं लोग ओपीडी में लग रही है भीड़.

-दो सप्ताह से अधिक ठहर रही है खांसी, लोग करा रहे टीबी की जांच

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PRAYAGRAJ: दो सप्ताह से लगातार खांस रहे हैं तो टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। सावधानी बरतने के साथ डॉक्टर की सलाह पर दवाएं लीजिए। क्योंकि, मौसम और वायरस का यह घातक कॉम्बिनेशन लंबी खांसी की सौगात दे रहा है। इससे बड़ी संख्या में लोग परेशान हो रहे हैं। ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। खांस-खांसकर उनका दम निकल रहा है।

मौसम के साथ नहीं चल पा रहा शरीर
इस बीच बार-बार मौसम में बदलाव हो रहा है। कभी धूप तो कभी छांव हो रही है। इन सबके बीच बारिश ने नाक में दम कर रखा है। इस बदलाव का साथ शरीर नहीं दे पा रहा है। नतीजा, जुकाम, बुखार और बदन दर्द के मामले बढ़ रहे हैं। बच्चों में उल्टी-दस्त के साथ विंटर डायरिया के केसेज भी खूब बढ़ रहे हैं। ऐसे में वायरस का अटैक सबसे ज्यादा गले पर हो रहा है। दस में से पांच ऐसे मरीज हैं जिनको खांसी और गले में खराश की शिकायत लंबे समय से बनी हुई है।

इन्होंने करा ली टीबी की जांच
बेनीगंज के रहने वाले वेद प्रकाश दुबे को पिछले 13 दिन से लगातार खांसी की शिकायत थी। डर के मारे उनको इसकी टीबी की जांच करानी पड़ी। हालांकि इसमें कुछ निकला नहीं इसी तरह बेली गांव के रहने वाले शफीक ने भी दो सप्ताह से खांसी सही नही होने पर टीबी की जांच कराई लेकिन जांच निगेटिव थी। डॉक्टर्स का कहना है कि जांच कराने में कोई बुराई नही है। लेकिन लगातार मौसम में बदलाव से पनपने वाले वायरस खांसी और खराश का कारण बन रहे हैं। इसलिए बिना डॉक्टरी सलाह कोई भी जांच कराना जरूरी नहीं।

ऐसे होगा खांसी से बचाव

-ठंडे पानी से स्नान करने से बचें।

-गले, सीने और कान को खुला न छोड़ें।

-भीड़ भाड़ वाली जगह पर जाने से बचें।

-अगर खांसी आ रही है तो मुंह में रुमाल या मास्क लगा लें।

-जुकाम होने पर ठंडी चीजों का सेवन करने से बचें।

बढ़ाएं बॉडी की इम्युनिटी
अगर खांसी और जुकाम आदि मौसमी बीमारियों से बचना है तो बॉडी की इम्यूनिटी बढ़ानी होगी। डॉक्टर्स का कहना है कि साफ सुथरे मौसमी फल और हरी सब्जियों के सेवन से बैक्टीरिया और वायरस के हमले से बचा जा सकता है। बासी और बाजारू खानपान की चीजों का सेवन करने से मौसमी बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं।

यह मौसमी बीमारी है। दस में से पांच खांसी और जुकाम से परेशान हैं। लेकिन परेशान होने की जरूरत नहीं है। यह वायरस गले से नीचे फेफड़ों को जल्दी नुकसान नहीं पहुंचाते। बस थोड़ा सावधान रहने की जरूरत है.-डॉ। आशुतोष गुप्ता, चेस्ट एंड स्लीप स्पेशलिस्ट

Posted By: Inextlive