- लोक अदालत में पारिवारिक समस्याओं के आए दस मामले

- बच्चे नहीं होने पर तलाक को पहुंचे कोर्ट, समझाने पर भी नहीं माने

बरेली -शादी के बाद झगड़े और अन्य समस्याओं के हसबैंड और वाइफ के सैटरडे को लोक अदालत में दस मामले आए, जिनमें से नौ मामलों का मौके पर ही निस्तारण हुआ। एक अन्य जोड़ा पहले तो सुलह करने को तैयार हो गया, लेकिन बाद में वह तलाक की जिद पर अड़ा रहा। इसको लेकर जज ने बाद में फैसला सुनाने को कहा है।

केस नंबर 1

नहीं मिला सोच तो छोड़ दिया

फरीदपुर निवासी रेवेंद्र और आगरा निवासी अंजलि की शादी 7 साल पहले हुई थी। रेवेंद्र फरीदपुर में ही कम्प्यूटर हार्डवेयर की शॉप है। रेवेंद्र ने बताया कि उसकी वाइफ अंजलि रिच फैमिली से है और वह ससुराल में भी वैसे ही रहना चाहती है। इससे दोनों के बीच आए दिन झगड़े होते रहते थे। दोनों ने तलाक के लिए अप्लाय किया था, लेकिन लोक अदालत में दोनों की सुलह करा दी गई। इसके बाद दोनों खुशी-खुशी घर चले गए।

केस नंबर 2

बच्चे नहीं तो तलाक के लिए पहुंचे

सुभाष नगर निवासी पप्पू और रेखा ने बच्चे नहीं होने पर तलाक के लिए अप्लाय किया था। वकील धर्मेद्र तोमर ने बताया कि दोनों की शादी को 14 साल हो चुके है, लेकिन उनके अभी तक कोई बच्चा नहीं है। जिसकी वजह से दोनों के बीच जमकर लड़ाई झगड़ा होता था। इसीलिए दोनों तलाक लेना चाहते हैं। जज ने बच्चा अडॉप्ट करने की सलाह दी तो मान गए, लेकिन बाद में वो तलाक पर अड़े रहे। जज ने बाद में फैसला सुनाने को कहा है।

कुल 6270 केस का हुआ समाधान

राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 6270 वादों का निस्तारण हुआ। सिविल के 69, मोटर दुर्घटना प्रतिकर के 110, पारिवारिक मामलों के 84, लड़ाई झगड़े के 3919 और राजस्व के 338 वादों का निस्तारण किया गया। साथ ही 7.97 करोड़ रुपए की वसूली की गयी। नोडल अधिकारी हरीश त्रिपाठी ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत को सफल बनाने में सभी अधिकारियों और कर्मचारियों का सहयोग रहा।

Posted By: Inextlive