समय के साथ 'पुरुषार्थ' के मायने तो नहीं उसके तरीके जरूर बदल गए हैं. जॉब मिलते ही फाइनेंशियल मैनेजमेंट शुरू नहीं किया तो लोन की ईएमआई चुकाते-चुकाते जिंदगी बीत जाती है. आइए इस कहानी के जरिए यह समझने की कोशिश करते हैं कि उत्‍कर्ष ने इन समस्‍याओं से किस तरह निजात पाई...


कन कन जोरे मन जुरै, खाते निबरै सोय।बूंद बूंद सो घट भरे, टपकत रीतौ होय।।पीजी के बाद बना क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट


पीजी के बाद उत्कर्ष दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड अलाइड साइंसेज में क्लीनिकल सॉइकोलॉजिस्ट अप्वाइंट हो गया था. वहीं से वह रिसर्च भी कर रहा था. आज उत्कर्ष को पहली सैलरी मिली थी. मां ने रात को लैपटॉप पर स्काईप लॉगिन किया और उत्कर्ष से वीडियो चैट करने लगी. मां ने उससे पूछा, 'बेटा कैसा है?' उत्कर्ष ने कहा, 'मॉम ठीक हूं, आई मिस यू एंड लव यू मॉम.' मां ने कहा, 'लव यू टू बेटा. कल तुझे पहली सैलरी मिली होगी. क्या किया?' उत्कर्ष ने लापरवाही से कहा, 'क्या मॉम! तुम भी? अरे कुछ नहीं सब पार्टी में चले गए. एक्चुअली कुछ उधार भी हो गया है. जॉब लगने पर दोस्तों के साथ एक ग्रैंड पार्टी थ्रो की थी. कुछ उधार भी हो गया है. मैं तुमसे कुछ पैसे ट्रांसफर करने के लिए कहने ही वाला था...' मां ने उसे बीच में ही टोका, 'क्या! सब खर्च हो गए. उधार भी...' बीच में ही उत्कर्ष बोल उठा, 'मॉम! अभी तो जॉब लगी है. मौज मस्ती तो बनती है ना.' मां ने कहा, 'नहीं बेटा. अभी से बचत की आदत नहीं डालोगे तो...' उत्कर्ष नाराज से लहजे में बोला, 'मॉम! तुम मुझे अभी से चूल्हे-चक्की में झोंकने की बात कर रही हो. कुछ दिन तो ऐश करने दो. वैसे भी तुम्हें पैसे नहीं देने तो...'  बेटे की भावनाओं को समझ मां ने थोड़ा लाड़ वाले लहजे में कहा, 'ओ मेरा बेबी! नाराज मत हो. मैं तुम्हें पूरी सैलरी बचाने को थोड़े कह रही हूं. तुम गलत सोच रहे हो बेटा. वैसे भी मेरा सबकुछ तो तुम्हारा ही है. मैं तो बस फाइनेंशियल मैनेजमेंट की बात कर रही थी. देखो बेटा तुम्हारे पिता का फाइनेंशियल मैनेजमेंट बहुत अच्छा था तभी तो उनकी डेथ के बाद तुम्हें या मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई. सिर्फ दो-तीन हजार रुपये में ही तुम रिटायरमेंट तक करोड़ों रुपये का रिटर्न लेकर अपना फ्यूचर और प्रेजेंट रिस्क मैनेज कर सकते हो.' अब उत्कर्ष को अपनी जिम्मेदारी का कुछ अहसास हुआ तो बोला, 'पर मॉम, दो-तीन हजार रुपये में रिस्क और करोड़ कैसे बन सकते हैं? जरा ठीक से समझाओ. दोस्तों को भी बताउंगा.'जान है तो जहान है

मां ने कहा, 'बेटा सबसे पहले तुम्हारे पास एक अच्छी मेडिक्लेम पॉलिसी होनी चाहिए. अभी तुम्हारी एज कम है इसलिए प्रीमियम कम होगा. एज बढऩे पर ऐसी पॉलिसी का प्रीमियम भी ज्यादा देना पड़ता है.' उत्कर्ष ने कहा, 'मॉम मुझे यहां मेडिकल कवर मिला है. तो भी मुझे ऐसी पॉलिसी लेनी पड़ेगी?' मां ने कहा, 'हां बेटा, मेडिक्लेम ले लेना चाहिए. क्योंकि आज के बच्चे बहुत महत्वाकांक्षी होते हैं. वे ज्यादा पैसे और करियर के चक्कर में सरकारी नौकरी छोड़ देते हैं. तुम तो जानते ही हो प्राइवेट सेक्टर में हाई लेवल पर सरकारी से ज्यादा सैलरी मिलती है. तुम्हारी कम एज को देखते हुए करीब 600-700 रुपये महीने में तुम्हें 10 लाख रुपये तक का मेडिक्लेम मिल सकता है.' उत्कर्ष ने पूछा, 'मॉम, ये पॉलिसी तो मैं जब प्राइवेट जॉब करुंगा तब भी ले सकता हूं ना. तब अभी से पैसे क्यों बर्बाद करूं?' मां ने कहा, 'बेटा, कोई भी बीमा कंपनी मेडिक्लेम पॉलिसी लेते ही हर बीमारी का कवर नहीं देती. इंश्योरेंस नियामक इरडा के अनुसार, हर तरह की बीमारी का क्लेम लेने के लिए मेडिक्लेम पॉलिसी कम से कम तीन साल पुरानी होनी चाहिए.' उत्कर्ष बोला, 'समझ गया मॉम. अभी से ले लूंगा तो प्रीमियम कम देना होगा और जब भी प्राइवेट जॉब स्विच करूंगा हर बीमारी का तुरंत कवर मिलेगा. है ना मॉम...' मां ने कहा, 'बिलकुल ठीक समझे.'इंश्योरेंस बोले तो रिस्क कवरेज, इन्वेस्टमेंट नहीं

उत्कर्ष ने पूछा, 'मॉम, ये तो सिर्फ 600-700 रुपये में ही निपट गया. तुम तो दो-तीन हजार की बात कर रही थी.' मां ने कहा, 'बेटा, वो तो हेल्थ सिक्योरिटी की बात थी. लाइफ में अभी दो रिस्क और हैं.' उत्कर्ष बोला, 'वो क्या-क्या मॉम?' मां बोली, 'बेटा पहला ये कि आप के बाद आपके डिपेंडेंट्स यानी वाइफ और बच्चों का क्या? दूसरा रिटायरमेंट के बाद आपका खर्च कैसे चलेगा? इनमें हम पहले डिपेंडेंट्स के रिस्क की बात करते हैं. कोई टर्म प्लान ले लो. यह तुम्हारी सालाना इनकम के लगभग 30 गुना तक हो सकती है. यानी यह रकम पॉलिसी लेने वाले के डिपेंट्स को उसकी मौत या खुद उसको विकलांगता के केस में मिलती है. इसके अलावा इसमें और किसी तरह के रिटर्न का प्रावधान नहीं है.' उत्कर्ष बोला, 'लेकिन मॉम, मेरी वाइफ और बच्चे तो हैं नहीं तो मैं ये पॉलिसी क्यों लूं? और लेना भी है तो किसी रिटर्न वाली पॉलिसी क्यों ना खरीदूं?' मां ने कहा, 'बेटा, अभी तुम्हारी एज कम है, तो प्रीमियम कम लगेगा. दूसरा यह कि यह प्लान सिर्फ 60 साल की एज तक के लिए होता है. जितनी ज्यादा एज पर यह पॉलिसी कराओगे उतना ही ज्यादा प्रीमियम देना होगा. फॉर एग्जांपल तुम्हारी एज पर 50 लाख रुपये की टर्म पॉलिसी ली जाए तो पर मंथ करीब 500-600 रुपये प्रीमियम होगा. जबकि इतनी ही रकम की मनी बैक पॉलिसी लेने पर हर महीने तुम्हें करीब 24 हजार रुपये प्रीमियम देना होगा.' उत्कर्ष बोला, 'समझ गया मॉम. यू आर ग्रेट फाइनेंशियल मैनेजर. अब जल्दी से तीसरा वाला भी बता दो.'बूंद से सागर बनाने करने की आर्ट है एसआईपीमां बोली, 'बेटा, आज की डेट से तुम एक हजार रुपये हर महीने की एसआईपी शुरू कर दोगे तो 40 साल बाद तुम्हें एक करोड़ रुपये से ज्यादा रिटर्न मिलेगा. उसे मंथली इनकम स्कीम में इन्वेस्ट कर दो और उसके ब्याज से रिटायरमेंट का मजा लो. पैसा भी सेव रहेगा खर्चा भी चलता रहेगा. हर पांच साल पर बोनस भी मिलेगा जिससे तुम कहीं टूरिस्ट प्लेस जा सकते हो.' उत्कर्ष ने आश्चर्य से पूछा, 'मॉम! तुम्हारी ये बात समझ नहीं आई. एसआईपी के तहत मैं 40 साल में सिर्फ 4.8 लाख रुपये जमा करूंगा और मुझे एक करोड़ रुपये से ज्यादा मिलेगा. ये कैसे मॉम? कौन देगा इतना पैसा?' मां ने कहा, 'बेटा ये कंपाउंड इंटरेस्ट की पावर है. फॉर एग्जांपल पंजाब नेशनल बैंक के एक शेयर की प्राइज 3 मई, 2002 को 9.30 रुपये थी. उस एक शेयर की प्राइज 17 दिसंबर, 2014 को 217.16 रुपये थी. यानी उस 2002 में तुमने एक हजार रुपये के शेयर लिए होते तो करीब 12 साल बाद उसकी कीमत 23 हजार रुपये से ज्यादा होती. इस रकम पर कंपाउंड इंटरेस्ट कैलुकेट किया जाए तो वह करीब 30 परसेंट का रिटर्न होगा.' उत्कर्ष बोला, 'मॉम, यदि रेट ऑफ रिटर्न यह होगा तो मेरे एसआईपी का रिटर्न डेढ़ अरब रुपये से ज्यादा होगा. तुम तो सिर्फ एक करोड़ रुपये के आसपास बता रही हो.' मां ने कहा, 'बेटा, एसआईपी की रकम लांग टर्म ग्रोथ म्युचुअल फंड के जरिए इक्विटी मार्केट में लगती है और शेयर बाजार का हाल तो तुम जानते ही हो. हर समय एक सा नहीं रहता. बाजार के ऊपर-नीचे वोलेटाइल नेचर और जोखिम को देखते हुए कम से कम रेट ऑफ इंट्रेस्ट कैलकुलेट किया जाता है.' उत्कर्ष बोला, 'समझ गया मॉम. फ्राइडे की छुट्टी ले लेता हूं और कल काम के बाद घर के लिए ट्रेन पकड़ लूंगा. मेरी भी एसआईपी, टर्म और मेडिक्लेम पॉलिसी करवा देना.'Related Apps:1- investment manager+क्या आप अपना पोर्टफोलियो मैनेज कर पाते हैं? यदि आपका जवाब ना है तो यह एप आपकी मदद कर सकता है. यह एप न सिर्फ आपके फाइनेंशियल गोल को तय करने में मदद करता है बल्कि आपकी इनकम के हिसाब से आपको इन्वेस्टमेंट फील्ड चूज करने में भी मदद करता है. यह आपके फिक्स्ड इनकम को मैनेज करता है और टाइम-टाइम पर यह भी बताता है करेंट में आपके इन्वेस्ट की क्या स्थिति है. आपको बस इतना करना है कि अपने मोबाइल में इस एंड्रायड एप को प्ले स्टोर से डाउनलोड करके इंस्टॉल करना है. एक बार एप इंस्टॉल हो जाए तो आप अपनी इनकम संबंधी सारी जानकारी फीड कर दीजिए. आपके खर्चों के हिसाब से यह आपको गाइड करना शुरू कर देगा. मसलन कहां इन्वेस्ट करें, किन खर्चों में कटौती करने से आपको फर्क नहीं पड़ेगा, मार्केट रेट पर आपके करेंट इन्वेस्टमेंट की क्या हालत है.2- money manager expense and budgetखर्चों पर कंट्रोल नहीं रख पाते तो यह एप आपके लिए है. इस पर्सनल असेट मैनेजमेंट एप के जरिए आपको दोहरी इंट्री करनी पड़ती है यानी इनकम और खर्च दोनों फीड करने होंगे. बाकी यह एप आपको टाइम-टाइम पर बताता रहेगा कि आप कितने नुकसान में हैं. और फायदे में हैं तो उस पैसे को आपकी वित्तीय लक्ष्य के हिसाब से अडजेस्ट करने की सलाह भी देता रहता है. दूसरे शब्दों में कहें तो यह आपके क्रेडिट और डेबिट का पूरा प्रबंध करता है.  इसमें आप अपने क्रेडिट और डेबिट कार्ड का ब्यौरा भी रख सकते हैं. आपके मोबाइल में एक बार यह एप इंस्टॉल हो जाए तो आपको अपने हर इनकम और एक्सपेंसेज इसमें ईमानदारी से फीड करना होगा. करेंट मंथ में आपका बजट लॉस में जाता है तो नेक्स्ट मंथ में यह एप आपको फालतू खर्चों में कटौती की सलाह देगा. ऐसा करने से यह एप आपके खर्चों को कंट्रोल करता है.Story by: Satyendra Kumar Singh

Posted By: Satyendra Kumar Singh