राम मंदिर पर अगर संसद में बिल आया तो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट जाने को तैयार है.

- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा, मंदिर पर मानेंगे सुप्रीम कोर्ट का डिसीजन

- सेक्यूलर पार्टी से मिलकर कह रहे तीन तलाक कानून पास न होने दें

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LUCKNOW : राम मंदिर पर अगर संसद में बिल आया तो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट जाने को तैयार है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारिणी की बैठक के बाद कहा गया कि संसद को कानून बनाने का अधिकार है, वहीं सुप्रीम कोर्ट उसकी व्याख्या करती है कि वह वैध है या नहीं। इससे पहले भी कोर्ट संसद द्वारा पास बिल को खारिज कर चुकी है।

कई मुद्दों पर चर्चा
रविवार को नदवा कॉलेज में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारिणी की बैठक में बाबरी मस्जिद, तीन तलाक, कौम में मौजूद कमी को दूर करना आदि कई मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि जनवरी में सुप्रीम कोर्ट बाबरी मस्जिद पर सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट जो फैसला देगा, वह हमें मंजूर होगा। कोर्ट को धर्म संसद और मंदिर को लेकर हो रही सभाओं का भी संज्ञान लेना चाहिए। इस दौरान सेक्रेटरी उमरैन महफूज रहमानी, कासिम इलयासी, खालिद रशीद फरंगी महली, जफरयाब जिलानी, कमाल फारूखी, डॉ आसमां जहरा मौजूद थे।

कोर्ट पर है विश्वास
धर्म संसद और बिल पर चल रही बात पर जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम खामोश रहकर साबित करना चाहते हैं कि हमें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा विश्वास है। कोर्ट ने भी कहा है कि बाहर जो भी चल रहा है उससे हमें कुछ लेना-देना नहीं है। वह हमारे फैसले पर असर नहीं डाल सकते।

सेक्यूलर पार्टी से कर रहे बात
बोर्ड के प्रतिनिधियों ने बताया कि तीन तलाक आर्डिनेंस की समय-सीमा खत्म होने वाली है। ऐसे में हम सेक्यूलर पार्टी से मिल कर अपील कर रहे हैं कि तीन तलाक पर संसद में कानून पास न किया जाये। क्योंकि यह शरीयत के खिलाफ है।

समाज की कमी दूर करना है
उमरैन महफूज रहमानी ने बताया कि दारूल कजा में महिलाओं को फायदा हो रहा है। इससे कोर्ट पर दबाव कम हो रहा है। वहां के फैसलों की एक बुकलेट जारी की जाएगी। साथ ही मुस्लिम समाज में व्याप्त कमियों को भी दूर किया जाएगा। खासकर निकाह को लेकर।

वीमेन विंग कर रही काम
डॉ। असमा जहरा ने बताया कि वीमेन विंग की देश में कई जगह मीटिंग हुई है। जहां मुस्लिम महिलाओं को जागरूक करने का काम किया जा रहा है। इसके साथ दूसरे धर्म और संप्रदाय के लोगों को भी इसमें बुलाने का विचार हो रहा है ताकि मुस्लिम समाज को लेकर जो शंका है उसे दूर किया जा सके।

यह तो सिर्फ एक प्रोपोगंडा है
इंटर रिलीजन शादियों के सवाल पर बोर्ड की बैठक में कहा गया कि इसको लेकर सभी परेशान हैं। शादी के बाद धर्म परिवर्तन की बात तो है लेकिन, यह प्रोपोगंडा से बढ़कर कुछ नहीं है। ऐसा जो भी करता है हम उसकी निंदा करते हैं।

Posted By: Inextlive