- कार्यकारिणी बैठक में नगर निगम कर्मचारियों की खुली पोल

- कुत्ता स्वामियों को चिह्नित करने के बाद भी नहीं दिए लाइसेंस

बरेली : आजकल कुत्ता पालना एक शौक बन गया है। शहर के हर मुहल्ले में कम से कम 50 परिवार ऐसे होंगे जहां कुत्ते पल रहे हैं, लेकिन वह यह नहीं जानते कि कुत्ता पालने के लिए भी निगम से लाईसेंस लेना आवश्यक है और कुत्ता पालने पर टैक्स भी देना होता है। बिना लाइसेंस कुत्ता पालने पर जुर्माने के साथ-साथ कानूनी कार्रवाई का भी प्रावधान है। हालांकि नगर निगम के अधिकारियों की उदासीनता के चलते इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हैरत की बात तो यह है कि पूर्व में मूल बजट की बैठक में शहर में व्यापक रूप से अभियान चलाकर उन लोगों का चिंहित करना था जिनके घरों में कुत्ते पले हुए हैं। इसके बाद अभियान चलाकर करीब 10 हजार कुत्ता स्वामियों को चिह्नित भी किया गया, लेकिन उन्हें लाइसेंस नहीं दिए गए। इसके चलते नगर निगम के आंकड़ों में सिर्फ 8 कुत्ता स्वामी ही दर्ज हैं।

राजस्व हानि के जिम्मेदार कर्मचारी

निगम में बैठक के दौरान राजस्व हानि होने पर चर्चा होती है लेकिन कहीं न कहीं कर्मचारी ही इसके लिए जिम्मेदार हैं। छोटे मदों की ओर से ध्यान न देना कर्मचारियों की आदत में शुमार है।

अभियान कब चलाया कर्मचारी नहीं जानते

पूर्व में हुई विशेष बजट बैठक में भी कुत्तों पर कर वसूली में उदासीनता के चलते कर्मचारियों को कड़ी फटकार का सामना करना पड़ा था, बावजूद इसके लाईसेंस वितरण के लिए अभियान नहीं चलाया गया।

आंकड़े पर नजर

10,000- लोगों ने शहर में पाल रखे हैं कुत्ते

10- रुपए लगता है एक कुत्ते पर सालाना कर

8-कुत्ता स्वामी ही नगर निगम में दर्ज

वर्जन --

कुत्ता पालने पर कर व लाइसेंस के लिए बैठक में विचार किया गया है। कुत्ता पालन का लाइसेंसी संबंधी कार्य का जिम्मा अब किसी संस्था का सौंपा जाएगा। यह प्रक्रिया टेंडर के माध्यम से पूर्ण होगी, अगर चिह्नांकन के बाद भी कर्मचारियों ने लाइसेंस नहीं बनाए हैं तो उनसे स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।

सैमुअल पॉल एन, नगर आयुक्त।

Posted By: Inextlive