(रिएलिटी चेक)

प्रदेश के परिवहन आयुक्त की बड़ी हैसियत होती है। एक पूरा डिपार्टमेंट उसके एक आदेश से कांपने लगता है। लेकिन बनारस में उनके ऑर्डर की औकात क्या है, ये आप जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे। पिछले दिनों परिवहन आयुक्त साहब ने एक ऑर्डर दिया। हेलमेट और सीटबेल्ट लगाने को लेकर। इस ऑर्डर से लगा कि अब नजारा बदलेगा। आई नेक्स्ट ने सोमवार को यह देखने के लिये रिएलिटी चेक किया कि आदेश का कितना पालन हो रहा है। हम तो हैरान हो गये रिएलिटी देख कर, अब आप की बारी है।

ये कैसा खेल? ऑर्डर को इग्नोर कर दे रहे हैं तेल

- परिवहन आयुक्त का है ऑर्डर कि बिना हेलमेट और सीटबेल्ट लगाए ड्राइव करने वालों को न दिया जाए पेट्रोल-डीजल

- बनारस में हर पेट्रोल पम्प पर उड़ती नजर आई इस आदेश की धज्जी

- आदेश के अनुपालन में कहीं नहीं हुई कोई पहल जबकि आदेश का हो पालन तो लोग हो जाएंगे सेफ

VARANASI : हाल ही में प्रदेश के परिवहन आयुक्त के रवीन्द्र नायर ने एक आदेश जारी किया है। आदेश में कहा कि बिना हेलमेट लगाए बाइक राइडर्स और बिना सीट बेल्ट लगाए कार ड्राइवर को पेट्रोल पम्प पर फ्यूल नहीं दिया जाए। आदेश आए सप्ताह से ज्यादा वक्त बीत चुका है। आई नेक्स्ट ने सोमवार को इस आदेश के बाद आये बदलाव की जांच के लिये एक रिएलिटी चेक किया। उम्मीद थी कि काफी कुछ बदलाव नजर आएगा। लेकिन रिजल्ट ने हमें चौंकाया। हमने अपनी आंखों से देखा कि परिवहन आयुक्त के आदेश को भी शहर के लोगों और पेट्रोल पम्प वालों ने ठेंगा दिखा दिया है। आई नेक्स्ट के रिपोटर्स और फोटोग्राफर की टीम एक के बाद एक कई पेट्रोल पम्प तक पहुंची। हर जगह बिना हेलमेट लगाए और बिना सीटबेल्ट पहले लोगों को फटाफट पेट्रोल-डीजल मिल रहा था। आप भी देखिये क्या-क्या देखा हमने

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आई नेक्स्ट टीम का पहला पड़ाव नदेसर स्थित पेट्रोल पम्प पर था। यहां का नजारा चौंकाने वाला था। पेट्रोल पम्प के हर मशीन पर कर्मचारी मुस्तैद थे। पेट्रोल लेने के लिए बाइक राइडर्स की लाइन लगी थी। पेट्रोल पम्पकर्मी उन्हें बड़ी तन्मयता से डील कर रहे थे। बाइक राइडर्स से पेट्रोल की क्वॉन्टिटी पूछते। तत्काल मशीन को चालू करते और बाइक के टैंक में पाइप घुसेड़ देते। पेट्रोल देने के बाद रुपये थामकर दूसरे बाइक वाले की ओर बढ़ जाते थे। उन्हें इस बात से बिल्कुल सरोकार नहीं कि बाइक राइडर्स ने हेलमेट पहना है या नहीं। पेट्रोल पम्प का यह नजारा लगातार चलता रहा।

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आई नेक्स्ट टीम अगले पेट्रोल पम्प की ओर बढ़ी तो उम्मीद थी कि शायद आगे कुछ अलग देखने को मिल जाए। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। हमारा अगला पड़ाव नदी के किनारे बना वरुणा पुल पेट्रोल पम्प था। पम्प दो पहिया और चार पहिया वाहनों की कतार नजर आई। हर किसी को फ्यूल चाहिए था। गिनती के बाइक राइडर्स के सिर पर हेलमेट था। किसी कार ड्राइवर ने सीट बेल्ट नहीं पहनी थी। फ्यूल लेने की जिसकी बारी आती वह मशीन के पास पहुंचता। कड़क अंदाज में बताता कि उसे कितना तेल चाहिए। मशीन पर तैनात पेट्रोल पम्पकर्मी को बिना हेलमेट या सीट बेल्ट देखे मशीन में रीडिंग देखता और दूसरा रुपये गिनता नजर आया। बिना हेलमेट या सीटबेल्ट वालों को वापस करने की बजाय ये उन्हें वर्कर्स की तरह पूरे रिस्पेक्ट के साथ डील कर रहे थे।

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दो पेट्रोल पम्प पर रिएलिटी चेक में यह अहसास होने लगा कि हेलेमट पहनने और सीट बेल्ट लगाने के ताजा फरमान से किसी को कोई मतलब नहीं है। इसे यकीन में बदलने के लिए कुछ अन्य पेट्रोल पम्प के जांच के लिए टीम बढ़ चली। अबकी बार आई नेक्स्ट की टीम पहुंची वरुणा पुल से नदेसर रोड पर स्थिति मौजूद पेट्रोल पम्प पर। यहां अन्य पेट्रोल पम्प से भीड़ थोड़ी कम नजर आई। हेलमेट बिना पेट्रोल नहीं के आदेश का यहां भी पालन होता नजर नहीं आया। दो-चार बाइकर्स पेट्रोल लेते नजर आए। इनमें से किसी ने हेलमेट नहीं पहना था। पेट्रोल पम्पकर्मी उनसे इस बारे में कुछ कहने या बोलने की जरूरत नहीं समझ रहे हैं। उन्हें काम तो सिर्फ इतना है कि पेट्रोल दिया, रुपये लिए। कुछ लोग पैदल आकर बोतल में भी पेट्रोल ले जा रहे हैं जबकि पेट्रोल पम्प पर एक तरफ बड़े अक्षरों में लिखा था कि बोतल में पेट्रोल नहीं दिया जाएगा।

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नदेसर से घौसाबाद जाने वाले रोड पर स्थित पेट्रोल पम्प पर आई नेक्स्ट टीम पहुंची तो स्टेशन पर तमाम तरह से निर्देश इधर-उधर लिखे नजर आए। टीम ने इस उम्मीद में नजर दौड़ायी कि हेलमेट और सीट बेल्ट से संबंधित कोई निर्देश भी लिखा नजर आ जाए। वह कहीं नहीं दिखा, पेट्रोल पम्प पर फ्यूल लेने वालों की अच्छी खासी भीड़ दिखी। यहां बाइक, कार, आटो, मालवाहक भी मौजूद हैं। नजारा अन्य जगहों से बिल्कुल भी जुदा नहीं है। लगभग सभी व्हीक‌र्ल्स वालों के सिर नंगे थे। चार पहिया वाले भी सीट बेल्ट नहीं लगाए थे। लेकिन पम्प पर आने वाले हर किसी को पूरी तन्मयता और आदर के साथ तेल मिल रहा था।

ऐसे तो हो चुका आदेश का पालन

(द फ्लिप साइड)

- हेलमेट और सीटबेल्ट की अनिवार्यता का शहर में नहीं है कोई मतलब।

- जितने लापरवाह व्हीकल्स ओनर हैं उतने ही बेपरवाह पेट्रोल पम्प वाले हैं।

- जिन अफसरों पर हैं आदेश का पालन कराने की जिम्मेदारी उनको भी इसकी परवाह नहीं।

- पेट्रोल पम्पकर्मी बिना हेलमेट लगाए और बिना सीटबेल्ट वालों को वॉर्न तक नहीं करते।

- आरटीओ, टै्रफिक पुलिस भी आदेश के पालन के लिये नहीं कर रही कोई पहल

- पेट्रोल पम्प पर हेलमेट या सीट बेल्ट अनिवार्यता के बारे में कोई मैसेज तक नहीं है लिखा।

फिर भी जान जोखिम में है

- बनारस में करीब पांच लाख लोग बाइक, स्कूटर या स्कूटरेट का करते हैं इस्तेमाल

- इनमें से सिर्फ लगभग एक लाख लोग ही हेलमेट का इस्तेमाल करते हैं

- इनमें से भी पचास प्रतिशत लोग स्टैण्डर्ड क्वालिटी का हेलमेट यूज नहीं करते

- चालान से बचने के लिये कुछ दिखावे में सस्ते और रद्दी क्वॉलिटी का हेलमेट पहनते हैं

- आईएसआई मार्क वाले हेलमेट ही एक्सिडेंट केस में कर सकते हैं सिर की रक्षा

- कुछ इंजीनियरिंग वर्क या स्पो‌र्ट्स यूटीलिटी के हेलमेट का करते हैं यूज जो सही नहीं

जागरूकता से ज्यादा वसूली पर ज्यादा

पिछले कई सालों में बनारस की टै्रफिक पुलिस रेवेन्यू वसूलने में यूपी में अव्वल रही है। वह ये रिकार्ड ब्रेक नहीं करना चाहती। नवम्बर को ट्रैफिक अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जा रहा है। इस मंथ में ट्रैफिक पुलिस की ओर से अवेयरनेस पर कम और चालान काटने पर ध्यान ज्यादा है। मंथ के शुरूआत में वीआईपीज के आने की वजह से ट्रैफिक वाले ज्यादा कुछ नहीं कर सके। लेकिन अब फ्री होने पर वसूली में दिलो-जान से जुट गए हैं। ट्रैफिक पुलिस को लगता है कि चालान काटने से ही लोग सुधरेंगे लेकिन ऐसा होता तो बनारस के लोग कब का सुधर चुके होते।

मोबाइल और गाड़ी की चिंता लेकिन सिर की नहीं

(शॉकिंग ऑस्पेक्ट)

सोशल नेटवर्किग साइट्स पर इन दिनों एक मैसेज खूब वायरल है। इसमें लिखा गया है कि लोग अपने महंगे मोबाइल सेट पर स्क्रीन गार्ड लगवाना नहीं भूलते हैं। लेकिन अपने सिर पर हेलमेट लगाना पसंद नहीं करते। यानि सर भले फूट जाए, कितना भी खून बह जाए लेकिन मोबाइल पर खरोंच ना बाबा ना। ठीक ऐसा ही लोग अपनी व्हीकल के साथ करते हैं। कार हो तो आगे-पीछे बम्पर गार्ड, साइड बीट लगवाना नहीं भूलते लेकिन जिंदगी बचाने के लिए जरूरी सीट बेल्ट लगाना उन्हें पसंद नहीं। कार में सीट बेल्ट के लिये अलग से कुछ खर्च नहीं करना होता। सिर्फ आदत डालनी होती है। जबकि टू व्हीलर्स वालों को क्000 से ख्000 के बीच अच्छी क्वॉलिटी का स्टैंडर्ड आईएसआई मार्क हेलमेट मिल जाता है जो सालों साल चलता है।

हम रखें ध्यान आखिर जान हमारी है

- हेलमेट या सीटबेल्ट लगाने के लिए किसी आदेश या नियम का इंतजार नहीं करना चाहिए।

- हेलमेट और सीटबेल्ट एक्सिडेंट को नहीं रोक सकते लेकिन एक्सिडेंट केस में जान बचा सकते हैं।

- एक्सिडेंट के ज्यादातर केस में सिर पर या सीने पर गंभीर अंदरूनी चोट मौत की वजह बनती है।

- पैरेंट्स को चाहिए कि वो अपने बच्चों को बिना हेलमेट के व्हीकल चलाने की परमिशन ना दें।

- स्कूल-कॉलेज वालों को भी चाहिए कि वो बिना हेलमेट के स्टूडेंट्स को कॉलेज में एंट्री न दें।

- हेलमेट इन दिनों जानलेवा बन चुके चाइनीज मांझे से भी चेहरे को सेफ रखने का एकमात्र जरिया है।

- पेट्रोल पम्प यदि हेलमेट और सीटबेल्ट देखकर ही तेल दें तो भी कुछ बदलाव जरूर आएगा।

हेलमेट पहनते तो शायद ये जिंदा होते

- ख्0 दिनों में आधा दर्जन बाइक राइडर्स ने अपनी जान गंवा दी है।

- पचास से अधिक लोग बाइक सवारों जख्मी हो चुके हैं

-इनमें से सभी ने हेलमेट नहीं पहना था

- ख्म् अक्टूबर को बाइक सवार परिवार को कार ने रोहनिया में टक्कर मारा, तीन साल के शिवम की मौत

- ख्म् अक्टूबर को ही फूलपुर में दो बाइक आमने-सामने टकरा गयीं। अवध पाल (फ्भ् वर्ष) की हुई मौत

- पांच नवम्बर को बड़ागांव में अज्ञात वाहन ने बाइक को टक्कर मार दी। सवार अखिलेश पटेल की मौत

- सात नवम्बर को मलदहिया में बाइक सवार खम्भे से टकरा गए। बाइक चला रहे बादल सिंह की मौत

-नौ नवम्बर को कपसेठी में अज्ञात वाहन की चपेट में आने से रामंचदर यादव (फ्0 वर्ष) की मौत

हेलमेट-सीटबेल्ट लगाने की व्यवस्था तभी सही ढंग से लागू हो पाएगी जब प्रशासन सख्ती करेगा। ढिलाई होने पर इसका लागू होने मुश्किल है। एक पर नहीं तेल मिलेगा तो दूसरे पर मिल जाएगा। कोई पम्प संचालक अपना नुकसान नहीं कराना चाहेगा।

विनोद सिंह, महामंत्री, वाराणसी पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन

जल्द ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जो भी हेलमेट या सीटबेल्ट का उपयोग नहीं करते हैं, उन्हें किसी पेट्रोल पम्प पर फ्यूल न मिले। चाहे वो कोई भी हो। पेट्रोल पम्प वालों को भी इसका पालन करना होगा। पालन न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

लाल बहादुर, एसपी ट्रैफिक

नियम अच्छा है इसे कड़ाई से फॉलो कराना चाहिए हमें अपनी चिंता है लेकिन क्या करे सड़क पर इतना जाम रहता है। जिसके कारण हेलमेट पहनना संभव नहीं हो पाता है।

पंकज कुमार, पाण्डेयपुर

ट्रैफिक पुलिस को पहले ट्रैफिक जाम की प्रॉब्लम से निजात दिलानी होगी। ट्रैफिक जाम खत्म होगा तो लोग बाइक और कार तेज चलायेंगे तब हेलमेट और सीट बेल्ट का मतलब है।

-सोनू सेठ, रथयात्रा

ट्रैफिक सिस्टम को सुधरने में वक्त लगेगा। हेलमेट के बगैर पेट्रोल न देने का नियम अच्छा है लेकिन पहले ट्रैफिक में सुधार करें इस नियम को पालन कराये।

-अशोक गोगिया, सिगरा

बगैर हेलमेट और सीटबेल्ट न लगाने वालों को पेट्रोल नहीं मिलना चाहिए। ये हमारी सेफ्टी के लिए है। अगर इस नियम का कड़ाई से पालन हो तो हादसों में कमी आयेगी।

-कन्हैया दूबे, लक्सा

मैं तो ट्रैफिक रुल्स को फॉलो करता हूं लेकिन गर्मी और धूप में जब जाम में फंसता हूं तो हेलमेट उताकर गाड़ी के पीछे टांग देता हूं। इसलिए पहले ट्रैफिक में सुधार करना होगा।

-हेमंत जेतली, चौक

हेलमेट और सीटबेल्ट जीवन रक्षक है। हर किसी को इसका यूज करना चाहिए। अगर बगैर हेलमेट और सीट बेल्ट न पहनने वालों को पेट्रोल पंप पेट्रोल देना बंद कर दे तो लोग सुधर जायेंगे।

-नवीन सिंह, चौकाघाट

Posted By: Inextlive