RANCHI : आखिर फार्मेसी में डिग्री और डिप्लोमा की पढ़ाई कोई क्यों करेगा? मुझे देखिए फार्मेसी किए हुए चार साल हो गए लेकिन न तो नौकरी है और न गवर्नमेंट जॉब निकाल रही है. 1983 के बाद से ही गवर्नमेंट ने फार्मासिस्टों की नियमित बहाली बंद कर दी है. ऐसे में स्टूडेंट्स फार्मेसी पढऩे में टाइम क्यों जाया करें. यह दर्द है फार्मासिस्ट राहुल का. लेकिन यह दर्द सिर्फ राहुल का नहीं बल्कि हर उस फार्मासिस्ट का है जो झारखंड में फार्मेसी की पढ़ाई कर रहे हैं. गवर्नमेंट न तो नियमित बहाली कर रही है और न ही कांट्रैक्ट पर काम कर रहे फार्मासिस्टों को मानदेय ही सही दे रही है.


2000 की जगह वर्क कर रहे 250झारखंड फार्मासिस्ट एसोसिएशन के ज्वाइंट सेक्रेटरी मुकेश कुमार ने बताया कि फार्मासिस्ट एक्ट 1940 के तहत यह प्रोविजन है कि हर सदर हॉस्पिटल और जहां भी ड्रग मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट है, वहां एक फार्मासिस्ट की बहाली होगी। इस लिहाज से देखें, तो झारखंड में 2000 फार्मासिस्टों की जरूरत है, लेकिन वर्किंग केवल 250 हैं। उनमें परमानेंट सिर्फ 50 के आसपास हैं और बाकी कांट्रैक्ट पर हैं। गवर्नमेंट ने 1984 से नियमित बहाली नहीं की है और अब तक कांट्रैक्ट पर 2006 और 2009 में 181 फार्मासिस्टों की बहाली की है। ऐसे में कोई क्यों फार्मासिस्ट बनना चाहेगा? कांट्रैक्ट पर काम कर रहे फार्मासिस्टों को 8,000 रुपए मानदेय मिलता है। यही कारण है कि स्टूडेंट फार्मासिस्ट नहीं बनना चाहते हैं।खतरे में है मान्यता
 मुकेश ने बताया कि स्टेट में कुल तीन फार्मेसी कॉलेज हैं, जिनमें से मानगो स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी सरकारी उपेक्षा के कारण बंद हो चुका है। हटिया स्थित रांची कॉलेज ऑफ फार्मेसी में 60 सीटें हैं, लेकिन चूंकि स्टूडेंट्स को जॉब ही नहीं मिल पाता, इसलिए संस्थान की 60 में से 40 सीटें ही भर पाती हैं। बरियातू स्थित एकमात्र सरकारी कॉलेज की सारी 60 सीटें भर जाती हैं, लेकिन कॉलेज की मान्यता ही खतरे में है। यहां छह सŽजेक्ट को पढ़ाने के लिए छह टीचर थे, लेकिन दो का सेलेक्शन ड्रग इंस्पेक्टर के रूप में हो गया है। वहीं चार लैब इंचार्ज की जगह एक ही वर्किंग हैं। ऐसे में फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया से उसे एफिलिएशन भी कंटीन्यू रखना मुश्किल हो गया है। वैसे भी सरकार रिक्त पदों को भर ही नहीं रही है। इससे संस्थान की मान्यता खतरे में पड़ गई है।1750 फार्मासिस्ट हैं रजिस्टर्डबिहार से अलग होने के बाद झारखंड में फार्मेसी काउंसिल का गठन ही नहीं किया गया। यहां झारखंड फार्मेसी ट्रिŽयूनल है, जिसमें रजिस्टर्ड फार्मासिस्टों की संख्या 1750 है। गवर्नमेंट से कई बार झारखंड में रिक्त पड़े पदों को भरने की मांग की गई, लेकिन गवर्नमेंट ने कोई गंभीर पहल नहीं की।

Posted By: Inextlive