- सालों से बिना फर्मासिस्ट के चल रहे हैं कॉलेज और हॉस्पीटल

- 14 साल पहले फर्मासिस्ट के 771 पद अब तक है खाली, हर साल 350 स्टूडेंट्स होते हैं पास

- कोर्ट के बार-बार आदेश के बावजूद कोई हल नहीं, फार्मेसी एक्ट 1948 का हो रहा उल्लंघन

PATNA : बिहार में पिछले ख्फ् साल से फर्मासिस्टों की कोई रिक्रूटमेंट नहीं की गई है जबकि ख्000 में ही 77क् पद खाली पड़े थे। नतीजा यह है कि गवर्नमेंट डिपार्टमेंट में फर्मासिस्टों के पदों पर अनट्रेंड स्टाफ से मेडिसीन डिट्रीब्यूशन और उसके मेनटेंनेंस का काम कराया जा रहा है। यह रूल्स के मुताबिक बिल्कुल गलत है। इस मामले में एग्जाम में पास लोग कोर्ट की शरण में गए। लेकिन कोर्ट के बार-बार आदेश देने के बाद उसकी अवमानना की गई। आज हालत यह है कि इससे संबंधित लोग न्याय की आस में दर-दर भटकने को मजबूर हैं।

ख्000 में निकाल था विज्ञापन

बिहार में फर्मासिस्टों के 77क् पदों को भरने के लिए ख्भ् जनवरी, ख्000 में हेल्थ डिपार्टमेंट ने एक विज्ञापन निकाला था। यह विज्ञापन कोर्ट के निर्देश पर निकाला गया था। इसके बाद स्वास्थ्य निदेशालय द्वारा क्0भ्9 पदों पर अप्वाइंटमेंट के लिए लिस्ट डिपार्टमेंट के पास भेजी गयी, लेकिन बिहार-झारखंड के बटवारे के बाद मात्र 77क् पोस्ट बिहार के हिस्से में रह गया। यह पोस्ट अबतक खाली पड़ा है।

स्टूडेंट्स ने दायर किया था केस

फार्मेसी डिग्री के स्टूडेंट्स ने ख्00ब् में बिहार गवर्नमेंट के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का केस दायर किया। इसका निर्णय ख्007 में आया। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया कि इनकी अप्वाइंटमेंट जल्दी से जल्दी की जाए। एक जानकारी के मुताबिक बिहार के विभिन्न कॉलेजों में हर साल कम से कम फ्भ्0 फार्मेसी स्टूडेंट्स पास आउट होते हैं। अकेले पीएमसीएच में ही म्0 स्टूडेंट्स पास आउट।

नॉन टेक्निकल करते काम

इस टेक्निकल पोस्ट पर पटना सहित पूरे बिहार में नन-टेक्निकल पोस्ट के स्टाफ से काम चलाया जा रहा है, जबकि इसकी जरूरत कॉलेज, हॉस्पिटल और रूरल एरिया के हेल्थ सेंटर्स सभी जगह है।

नकली दवा पर कैसे लगेगी लगाम

जानकारों का कहना है कि चूंकि अधिकांश मामले में बिना डिग्री वाले इस प्रोफेशन में हैं तो यहां नकली दवा सप्लाई करने वाले भी तुरंत निशाने पर नहीं आते हैं। वैसे हाल ही ऐसी तीन-चार घटनाएं हो चुकी हैं जहां नकली दवा बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया गया है।

कब क्या हुआ

विज्ञापन संख्या-ख्ख् / फार्मा -क् / 99

फाइल नं- ख्ख् / विधि 8-क्क्म् / 98

फाइलिंग नं-ब्फ्0ख् /98 में हाई कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले में प्राप्त वैकेंसी के आधार पर क्0भ्9 खाली पदों पर अप्वाइंटमेंट के लिए ख्भ् जनवरी, ख्000 को विज्ञापन पब्लिश किया गया। बिहार का बंटवारा क्भ्/क्क्/ ख्000 को होने के कारण अप्वाइंटमेंट प्रॉसेस अटक गया। बंटवारे के बाद बिहार के हिस्से में 77क् पोस्ट रह गया। कोर्ट के आदेश के मुताबिक क्फ् अप्रैल, ख्0क्0 तक संबंधित पोस्ट और प्लेस पर ज्वाइन कर लेना था, लेकिन हेल्थ डिपार्टमेंट ने दिलचस्पी नहीं दिखायी।

फैसला पक्ष में आया लेकिन

इस मामले को लेकर गवर्नमेंट हाई कोर्ट में डिवीजनल बेंच और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट भी गई लेकिन दोनों ही स्तरों पर फैसला फार्मासिस्टों को बहाल करने का ही आया। रिटेन में पास कैंडिडेट्स का इंटरव्यू ख्ब् अक्टूबर, ख्0क्क् से 9 दिसंबर, ख्0क्ख् तक हुआ। फिर भी रिजल्ट को अटका कर रखा गया। इसमें शामिल कैंडिडेट आयु में छूट नहीं मिलने के कारण बड़ी संख्या में बेरोजगार घूम रहे हैं।

मेडिसीन देने का काम डिग्री या डिप्लोमाधारी ही कर सकते हैं

फार्मेसी एक्ट क्9ब्8 के तहत फार्मेसी एजुकेशन और फार्मेसी प्रोफेशन का रेग्यूलेशन किया जाता है। इसके मुताबिक मेडिसीन देने और उसका मेनटेनेंस का काम डिग्री या डिप्लोमाधारी लोगों के माध्यम से किया जाना चाहिए। लेकिन पूरे स्टेट में इस नियम का उल्लंघन किया जा रहा है। जानकारी हो कि बिहार के विभिन्न कॉलेजों में अनक्वालिफाइड लोगों से मेडिसीन डिस्ट्रीब्यूशन का काम लिया जा रहा है। इस एक्ट के मुताबिक अनक्वालिफाइड लोगों द्वारा मेडिसीन डिस्ट्रीब्यूट करने पर छह महीने की सजा या जुर्माना या दोनों की सजा का प्रोविजन है।

विडंबना है कि गवर्नमेंट इस ओर उदासीन है। फर्मासिस्टों की नियुक्ति नहीं होने से पूरे सिस्टम की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। इससे इस पेशे में गलत लोगों का दखल बढ़ा है।

- डॉ राजीव रंजन प्रसाद, प्रिंसिपल फार्मेसी डिपार्टमेंट, पीएमसीएच

मैंने इस एग्जाम में पास किया था। लेकिन गवर्नमेंट के लचर रवैये के कारण कोर्ट का चक्कर काटने को मजबूर हूं।

- अरुण कुमार

कोर्ट के आदेश की अवहेलना क्यों हो रही यह समझ से परे है। अगर नियुक्ति नहीं होनी थी तो विज्ञापन निकाला ही क्यों गया।

- मुकेश कुमार

Posted By: Inextlive