Kanpur: फिल्म शोले के कैरेक्टर सांभा आपको जरूर याद होगा. वहीं सांभा जो गब्बर के अड्डे पर ऊंचाई पर बैठकर अड्डे की रखवाली करता था. कुछ ऐसा ही सीन इन दिनों कोर्ट कैम्पस में बनी सदर हवालात का है. एक कांस्टेबल हवालात की छत से बंदियों की निगरानी करता है. ऐसा करने के लिए कोई नया फरमान जारी नहीं किया गया है बल्कि हवालात में तैनात पुलिस वालों को अपनी नौकरी बचाने के लिए मजबूरी में ऐसा करना पड़ रहा है. क्योंकि हवालात के हालात ही इतने बदतर हैं. हवालात का गेट लगवाने और छत की रिपेयेरिंग सिपाहियों को अपने पैसों से करानी पड़ रही है.


एक लात में ढह जाएगी हवालातआई नेक्स्ट रिपोर्टर ने कांस्टेबल से इस तरह ड्यूटी देने की मजबूरी पूछी तो सारा दर्द बाहर आ गया। सदर हवालात इतनी जर्जर हो चुकी है कि कोई भी एक लात में उसकी दीवार तोड़ सकता है। लॉकअप की छत टूट गई है। जिससे कभी भी बंदी भाग सकते हैं। इसके बाद भी हवालात में बंदी रखे जा रहे हैं। ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती बंदियों की सुरक्षा के लिए तैनात रहने वाले कांस्टेबल्स के सामने रहती है। एक भी कैदी भागा तो सीधे नौकरी पर आएगी। इसलिए नौकरी बचाने के लिए हर समय एक से दो कांस्टेबल छत पर ड्यूटी देते हैं। दोपहर की कड़ी धूप हो या तेज बारिश, कांस्टेबल नीचे नहीं उतरता है। अफसर सुनते ही नहीं


हवालात प्रभारी का कहना है कि कई बार अफसरों को हवालात की जर्जर हालत के बारे में बताकर आगाह किया, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। लगता है कि अफसरों को किसी बड़ी घटना का इंतजार है, तभी उनकी नींद टूटेगी और हवालात का जीर्णोद्धार हो सकेगा। नौकरी के लिए सर्कस

सदर हवालात की जर्जर हालत के चलते यहां पर बंदियों को निगरानी के लिए एक से दो कांस्टेबल की ड्यूटी छत पर लगाई जाती है। छत में जाने के लिए न तो स्टेयर्स बनी हैं और न सीढ़ी है। कांस्टेबल जर्जर दीवार के सहारे छत पर चढ़ते हैं, इसके बाद वे एक ईंट की दीवार पर 10 से 15 कदम चलकर छत पर पहुंचते है। छत के काफी जर्जर होने और गिरने के डर से उनको वहां पर भी ड्यूटी करते समय काफी सतर्कता बरतनी पड़ती है। एक खस्ताहाल तो दूसरी शानदारकचहरी में बंदियों को रखने के लिए सेशन और सदर हवालात है। इसमें सदर हवालात खस्ताहाल है, जबकि सेशन हवालात शानदार है। यह अन्डरग्राउंड बनी है। इसमें रोशनी की समुचित व्यवस्था है। साथ ही यहां पर बंदी भी सुरक्षित हैं। दो साल पहले तक इसका भी हाल सदर हवालात की तरह था। जिस पर बार महामंत्री अनूप कुमार द्विवेदी ने विधायक निधि से बजट की व्यवस्था कर इसका जीर्णोद्धार कराया था। तब से हवालात शानदार हो गई है। बंदी के भागने का कोई खतरा नहीं है।सड़ चुकी हैं सलाखें, सिर्फ तीन लॉकअप

किसी भी हवालात की मजबूती की पहचान उसकी सलाखों से होती है। सदर हवालात की दीवार और छत की तरह सलाखें भी कमजोर हो गई है। जिसे कोई भी बंदी एक झटके में अलग कर सकता है। सदर हवालात में बंदियों को रखने के लिए आठ लॉकअप हैं, लेकिन इस समय सिर्फ तीन लॉकअप ही बंदियों को रखने के लायक हैं। बाकी लॉकअप इतने जर्जर हैं कि उसमें बंदियों को नहीं रखा जा सकता है। तीन लॉकअप में ही डेढ़ सौ बंदी रखेे जाने से दिक्कत आ रही है। बंदियों का उमस और गर्मी से बुरा हाल हो जाता है। कई बार तो बंदी बेहोश तक हो जाते हैं और उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ता है। 150 बंदी रोज आते हैंसदर हवालात सेशन से ज्यादा बड़ी है। इसमें औसतन रोज डेढ़ सौ से ज्यादा बंदी रखे जाते हैं। जिनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी हवालात प्रभारी समेत अन्य पुलिस कर्मियों की होती है। हवालात की जर्जर हालत पर बंदी कई बार हंगामा कर चुके हैं, लेकिन जिला प्रशासन के कान में जूं तक नहीं रेंगी। करीब तीन महीने पहले हवालात का छप्पर टूट कर गिर गया था। एक ओर की छत की दीवार भी टूट गई थी। फिर तो भागेंगे ही बंदी
सदर हवालात एक तो जर्जर हालत में है। साथ ही फोर्स की कमी रहती है। मानक के अनुरूप हर बंदी की सुरक्षा के लिए एक सिपाही होना चाहिए, लेकिन यहां पर सिर्फ 40 से 45 पुलिस कर्मियों को ही तैनात किया है। ऐसे में यहां हमेशा बंदियों के भागने का खतरा बना रहता है। हवालात प्रभारी कई बार पुलिसकर्मियों की मांग कर चुके हैं लेकिन फोर्स की कर्मी का हवाला देकर मामला टाल दिया जाता है। इससे चलते कई बार यहां से बंदी फरार हो चुके हैं। महीनों से नहीं हुई सफाईसदर हवालात में हर तरफ गंदगी ही गंदगी है। सालों से इसकी सफाई नहीं हुई है। हवालात प्रभारी के मुताबिक सफाईकर्मी तो हैं वो सिर्फ खानापूरी करते हैं। जल्दबाजी में अधूरा काम करते हैं। हवालात के टॉयलेट में गंदगी होने से सिपाही उसका यूज नहीं करते है। बंदी पान मसाला खाकर लॉकअप में ही थूकते रहते हैं।चंदा करके लगवाया गेटनौकरी बचाने के लिए सदर हवालात में तैनात पुलिसकर्मियों को क्या-क्या नहीं करना पड़ रहा। मुश्किल हालात में ड्यूटी तो करनी ही पड़ रही है, अपनी जेब भी ढीली करनी पड़ रही है। बंदी भाग न सकें इसलिए हवालात की छत का एक हिस्सा पुलिसकर्मियों ने आपस में चंदा करके बनवाया है। साथ ही लॉकअप का एक गेट जो दीवार से अलग हो गया था, उसे दोबारा दीवार पर जड़वा दिया है।

Posted By: Inextlive