- भाजपा के लिए अनसुलझी पहेली बन गई फूलपुर की सीट

- वाराणसी से लड़ रहे पीएम कैंडिडेट मोदी, फिर भी जीत को लेकर आश्वस्त नहीं है पार्टी

- टिकट देने में लगातार चल रही है बहानेबाजी

भाजपा के लिए अनसुलझी पहेली बन गई फूलपुर की सीट

- वाराणसी से लड़ रहे पीएम कैंडिडेट मोदी, फिर भी जीत को लेकर आश्वस्त नहीं है पार्टी

- टिकट देने में लगातार चल रही है बहानेबाजी

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: देशभर में मोदी फैक्टर के दम पर चुनाव लड़ रही भाजपा को फूलपुर कैंडिडेट घोषित करने में पसीने छूट रहे हैं। वह भी तब जब खुद पार्टी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी वाराणसी से चुनावी महासमर में उतर चुके हैं। बावजूद इसके पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इस सीट की जीत को लेकर आश्वस्त नहीं हो सका है। यही रीजन है कि कभी अपना दल से गठजोड़ तो कभी जातिगत वोट बैंक के नाम पर टिकट देने में देरी हो रही है। इसको लेकर पार्टी के भीतर ही दावेदारी पर घमासान शुरू हो चुका है।

महज सौ किमी दूर हैं मोदी

वाराणसी से मोदी को उम्मीदवार घोषित किए जाने के साथ ही भाजपा ने आसपास की सीटों पर अपने कैंडिडेट्स के नाम की घोषणा शुरू कर दी है। मोदी फैक्टर को भुनाने में जुटी पार्टी के विज्ञापनों में भी भाजपा सरकार की जगह मोदी सरकार के अलाप सुनाई देने लगे हैं। ऐसे में काशी नगरी से महज सौ किमी दूर फूलपुर के कैंडिडेट की घोषणा नहीं होना लोगों को अचरज में डाल रहा है। केशव प्रसाद मौर्य और सिद्धार्थ नाथ सिंह जैसे मजबूत नामों के होते हुए भी टिकट देने में हो रही देरी खुद पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए परेशानी का सबब बन गई है।

खाता खोलने के लिए चल रही टोटकेबाजी

पिछले क्भ् लोकसभा चुनावों में भाजपा फूलपुर से अपना खाता नहीं खोल सकी है। यही डर उसके मन में बैठा है कि कहीं इस बार भी ये सीट हाथ से न निकल जाए। इसी के चलते पार्टी ने अपना दल का दामन थाम रखा है। उसे यकीन है कि अनुप्रिया पटेल के साथ होने वाले गठबंधन के चलते यह सीट उसके खाते में दर्ज हो जाएगी। उधर इस टोटकेबाजी के फलस्वरूप पार्टी के भीतर ही नाराजगी पैदा हो रही है। खुद केशव प्रसाद और सिद्धार्थ नाथ के समर्थक शीर्ष नेतृत्व के इस कदम पर असंतोष व्यक्त कर रहे हैं। अब माना जा रहा है कि ख्फ् मार्च को जारी होने वाली सूची में इस क्षेत्र से कैंडिडेट का नाम एनाउंस कर दिया जाएगा।

हर जगह गणित फेल

फूलपुर संसदीय क्षेत्र में पटेल और मुस्लिम का वर्चस्व माना जाता है। सपा ने पहले धर्मराज पटेल को प्रत्याशी घोषित कर अपना ट्रंप कार्ड खेल दिया है तो सांसद कपिल मुनि करवरिया बसपा की सोशल इंजीनियरिंग को दोबारा भुनाने की जुगत में लगे हैं। उनकी नजर ब्राम्हण और दलित वोटों पर टिकी है। कांग्रेस भी क्रिकेटर मो। कैफ के जरिए ग्लैमर कैश करा रही है। ऐसे में भाजपा के पास शायद ही कोई विकल्प बचा हो। खुद विहिप मुखिया अशोक सिंघल चाहते हैं कि पार्टी कार्यकर्ता को ही टिकट जारी किया जाए। क्षेत्र में लगभग दो लाख कायस्थों की मौजूदगी भी सिद्धार्थ नाथ पर दांव खेले जाने का इशारा कर रही है।

Posted By: Inextlive