आंध्र प्रदेश का विभाजन कर तेलंगाना बनाने के प्रस्ताव के विरोध में जारी आंदोलन से सीमांध्र में जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित हो रहा है.


बिजली कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से क़रीब चार हज़ार मेगावाट का बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ है. हड़ताल की वजह से सीमांध्र में यातायात और स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं.हड़ताली बिजली कर्मचारियों ने थोड़ी नरमी बरतते हुए सोमवार रात दस बजे से मंगलवार सुबह पाँच बजे तक बिजली की आपूर्ती बहाल की.बिजली का संकटबिजली कर्मचारियों की हड़ताल का सीमांध्र के विशाखापत्तन सिटी, सिरनाकुलम, विजयनगरम, ईस्ट गोदावरी, वेस्ट गोदावरी, कृष्णा, गुंटूर, प्रकाशम, नेल्लोर, चित्तूर, कडप्पा, अनंतपुर और नेल्लोर में ज्यादा प्रभाव पड़ा है.हैदराबाद में ईटीवी के वरिष्ठ संवाददाता धनंजय के मुताबिक़  विजयनगरम में शनिवार से जारी कर्फ़्यू में सोमवार शाम छह से सात बजे के बीच एक घंटे की छूट दी गई.उन्होंने बताया कि विजयनगरम में सोमवार को हुई हिंसा की घटनाओं से निपटने के लिए पुलिस ने आंदोलनकारियों पर आंसू गैसे के गोले छोड़े.


इस बीच सीमांध्र के सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर सोमवार से हड़ताल पर चले गए. इससे स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गईं, जो कि बिजली आपूर्ति न होने की वजह से पहले से ही प्रभावित थीं.डॉक्टरों के मुताबिक़ उनका शूगर लेबल गिर रहा है और रक्तचाप बढ़ रहा है.

तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रमुख और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायूड ने सोमवार से नई दिल्ली में अपना अनशन शुरू किया.वहीं भारत की सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सीमांध्र में हड़ताल पर स्वत: संज्ञान लेने संबंधी एक याचिका पर सुनवाई से सोमवार को इनकार कर दिया.समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ याचिका के कृष्णमूर्ती नाम के एक वलीक ने दायर की थी.मुख्य न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह इस मामले में स्वत: संज्ञान नहीं ले सकती. लेकिन अगर इस मुद्दे पर कोई याचिका दायर की जाती है तो, वह उस पर सुनवाई करेगी.आंध्र प्रदेश के प्रस्तावित बंटवारे का रॉयल सीमा और तटीय आंध्र के लोग काफ़ी विरोध कर रहे हैं.

Posted By: Subhesh Sharma