मध्य प्रदेश के दतिया ज़िले के रतनगढ़ मंदिर पहुंचने पर ऐसा नहीं लगता है कि इससे कुछ ही दूर पर एक दिन पहले इतना बड़ा हादसा हुआ था.


दशहरे के मौके पर यहां लोग मंदिर में पूजा-अर्चना कर रहे हैं और उत्सव मना रहे हैं. रंगे-बिरंगे कपड़ों और तमाम आभूषणों से लदे लोग मंदिर परिसर में तालियाँ बजाते हुए गीत गा रहे हैं और ढोलक बजा रहे हैं.श्रद्धालुओं का कहना था कि उन्हें रविवार को हुए हादसे का अफ़सोस है लेकिन उन्हें अपनी तीर्थ यात्रा भी पूरी करनी है, इसलिए वो मंदिर तक आए हैं.छोटे दुकानदार खाने-पीने की चीजों के साथ अन्य कई तरह की वस्तुएं बेचते नज़र आ रहे थे. यहां का माहौल देखकर तो यही लग रहा है कि लोग त्योहार के रंग में रँगे हुए हैं और एक दिन पहले यानी रविवार को हुए दर्दनाक हादसे को भूलने की कोशिश कर रहे हैं.


रतनगढ़ मंदिर को जाने वाले जिस पुल पर रविवार को पुल टूटने की अफ़वाह के बाद भगदड़ मची थी वो पुल आज यात्रियों से भरा हुआ था और सुबह से ही लोगों की आवाजाही जारी थी.सौ से ज्यादा मौतें

रविवार को इसी पुल पर हुए हादसे में सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग अभी भी जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे हैं. कुछ श्रद्धालुओं से जब पूछा गया कि उन्हें रविवार के हादसे के बाद डर नहीं लग रहा है तो उनका कहना था कि उन्हें किसी तरह का भय नहीं है. रविवार का हादसा एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी और वो हादसा अब गुज़र चुका है.ग़ौरतलब है कि रतनगढ़ मंदिर जाने वाले इसी पुल पर कुछ साल पहले भी भगदड़ मचने से एक बड़ा हादसा हुआ था. उस हादसे में भी पचास से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी.

Posted By: Subhesh Sharma