-8 अक्टूबर को सर्वपितृ श्राद्ध, अपराह्न 1:33 बजे से सूर्यास्त तक रहेगा गज छाया योग

- 9 अक्टूबर को होगी देव कार्य भौमवती अमावस्या

BAREILLY :

पितृ विसर्जन अमावस्या इस बार एक नहीं दो दिन रहेगी। इस वर्ष सर्वपितृ श्राद्ध की अमावस्या 8 अक्टूबर 2018 को होगी, क्योंकि आश्विन अमावस्या का प्रारम्भ 8 अक्टूबर पूर्वाह्न 11:32 बजे हो रहा है। बालाजी ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं। राजीव शर्मा ने बताया कि अमावस्या की समाप्ति 9 अक्टूबर सुबह 09:17 बजे हो रही है। अत: 8 अक्टूबर सोमवार को पितृ कार्य अमावस्या अर्थात् सर्वपितृ श्राद्ध है और 9 अक्टूबर 2018, मंगलवार को देव कार्य अमावस्या अर्थात भौमवती अमावस्या रहेगी, जो कि कर्ज दोष निवारण के लिए अति उलाम रहेगी।

श्राद्ध करने से तृप्त होते हैं पितृ

इस बार 8 अक्टूबर के दिन बनने वाला गज छाया योग अपराह्न 01:33 बजे से सूर्यास्त तक है। इस योग में श्राद्ध, तर्पण एवं पितृ दोष निवारण करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है, एवं पितृ तृप्त होते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन सोमवार को श्राद्ध करने से धन की प्राप्ति एवं इस दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र होने के कारण श्राद्ध करने वाले को सौभाग्य के साथ धन की प्राप्ति भी होती है। इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध अमावस्या को अज्ञात पुण्यतिथि वाले सभी मृतक पुरुष जातकों का श्राद्ध किया जाता है।

पितृ दोष शिन्त के उपाय

-पितृ दोष शान्ति के लिए श्रीमद् भागवत महापुराण, श्रीमद् भागवत गीता, बाल्मीकि रामायण, हरिवंश पुराण आदि का श्रवण करना चाहिए। इसके साथ विष्णु सहस्त्रनाम, गजेन्द्र मोक्ष, रूद्राष्ट्राध्यायी, पुरूष सुक्त, विष्णु सूक्त, यम सूक्त, प्रेत सूक्त आदि का पाठ भी करना अच्छा रहता है।

-पीपल के वृक्ष का पूजन करना चाहिए, वहां जल चढ़ाना चाहिए और उसकी प्रदक्षिणा करनी चाहिए। पितरों के नाम का एक पीपल का पौधा अवश्य ही लगाना चाहिए।

-घर की दक्षिण दिशा में पितरों के निमित प्रत्येक दिन सायंकाल चौमुखा दीपक जलाना चाहिए तथा जल का पात्र भरकर रखना चाहिए।

-सुबह डेली अपने घर के मेन गेट पर पानी डालकर अगरबत्ती अथवा धूपबत्ती जलाए एवं सायंकाल पानी के स्थान पर दीपक जलाकर अगरबत्ती अथवा धूपबत्ती जलाएं।

-माघ, वैशाख, च्येष्ठ, माह में अमावस्या को पितरों के निमित्त वस्त्र आदि दान करना चाहिए। श्राद्ध चिन्तामणि के अनुसार किसी मृत आत्मा का तीन वर्षो तक श्राद्ध कर्म नहीं करने पर जीवात्मा का प्रवेश प्रेत योनि में हो जाता है। जो तमुगोणि, रजोगुणि एवं सतोगुणि होती है।

-पृथ्वी पर रहने वालीे आत्माएं तमोगुणी होती हैं। अत: इनकी मुक्ति अवश्य करनी चाहिए।

Posted By: Inextlive