नाराज होने पर पितृगण संतान सुख में भी बाधक बनते हैं इसलिए पितरों को खुश रखने के लिए पितृ पक्ष यानी श्राद्घ पक्ष में कुछ बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

मनुष्यों के लिए देव-ऋण, ऋषि-ऋण और पितृ ऋण बतलाए गए हैं। मृत पिता आदि के उद्देश्य से श्रद्धा पूर्वक जो प्रिय भोजन दिया जाता है, वह श्राद्ध कहलाता है। श्राद्ध करने से कुल मे वीर, निरोगी, शतायु एवं श्रेय प्राप्त करने वाली संततियां उत्पन्न होती हैं।

शास्त्रों में बताया गया है कि पितृपक्ष के दौरान पितर अपने परिजनों के आस-पास रहते हैं इसलिए इन दिनों कोई भी ऐसा काम नहीं करें, जिससे पितृगण नाराज हों।

पितरों के नाराज होने से जीवन में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। आर्थिक एवं स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आती हैं।

नाराज पितृगध संतान सुख में बनते हैं बाधक

नाराज होने पर पितृगण संतान सुख में भी बाधक बनते हैं, इसलिए पितरों को खुश रखने के लिए पितृ पक्ष यानी श्राद्घ पक्ष में कुछ बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

इन 6 लोगों को कराएं भोजन


पितृपक्ष के दौरान ब्राह्मण, जमाता, भांजा, मामा, गुरू और नाती को भोजन करना चाहिए। इससे पितृगण अत्यंत प्रसन्न होते हैं। जो किसी कारण से इन्हें श्राद्घ पक्ष में भोजन नहीं करवाता है उससे पितृगण तथा देवता भी नाराज होते हैं।

ऐसा करने से राक्षस ग्रहण कर लेते हैं भोजन

ब्राह्मणों को भोजन करवाते समय भोजन का पात्र दोनों हाथों से पकड़कर लाना चाहिए अन्यथा भोजन का अंश राक्षस ग्रहण कर लेते हैं, जिससे ब्रह्मणों द्वारा अन्न ग्रहण करने के बावजूद भी पितृगण भोजन का अंश ग्रहण नहीं करते हैं।

ऐसा करने से मिलता है उन्नति का आशीर्वाद

पितृ पक्ष में द्वार पर आने वाले किसी भी जीव-जंतु को मारना नहीं चाहिए बल्कि उनके योग्य भोजन का प्रबंध करना चाहिए। ब्राह्मण अथवा कोई भीखारी आए तो उसे भोजन करवाएं इससे पितृगण संतुष्ट होकर उन्नति का आशीर्वाद देते हैं।

कौए को कराएं भोजन


हर दिन भोजन बनने के बाद एक हिस्सा निकालकर गाय, कुत्ता, कौआ अथवा बिल्ली को देना चाहिए। मान्यता है कि इन्हें दिया गया भोजन सीधे पितरों को प्राप्त हो जाता है।

शाम को दीप जलाएं

शाम के समय घर के द्वार पर एक दीपक जलाकर पितृगणों का ध्यान करें।

— ज्योतिषाचार्य पं गणेश प्रसाद मिश्र, शोध छात्र, ज्योतिष विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय

 

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Posted By: Kartikeya Tiwari