- 120 दिनों में कटे 1121 पेड़, फोर लेन की भेंट चढ़े 8701 पेड़

- कड़ाके की धूप में पेड़ की छांव के लिए भटकते हैं लोग

nirankar jaswal

BARABANKI: विख्यात भजन गायक शर्मा बंधुओं के बहुचर्चित भजन में पेड़ की छाया की तुलना ईश्वर की चरणों में जाने जैसे सुख से किया गया है, लेकिन इस भीषण तपिश में राहगीरों को अब यह सुख प्राप्त नहीं होता है। हरियाली के हत्यारों की करतूत के चलते कड़ाके की धूप से बचने के लिए छाया की आस लोगों में टूटती जा रही है।

हरियाली के दुश्मन अपने निजी स्वार्थ के लिए प्रकृति को चुनौती दे रहे हैं। दिन प्रतिदिन जिले में हरे पेड़ों की कटान जारी है। यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष गर्मी का पारा सारे रिकॉर्ड तोड़ती है। वहीं विकास के रास्ते में पड़ने वाली हरियाली का भी सफाया कर दिया जाता है। नेशनल हाईवे पर बने फोर लेन के लिए 870क् हरे पेड़ों का काट डाला गया। वहीं सफेदपोश और माफिया के समाने नतमस्तक वन विभाग कार्रवाई के पेड़ कटने के बाद फाइन वसूल कर अपने दायित्व का इतिश्री कर लेते हैं। आकड़े बताते हैं कि इस वर्ष जनवरी से अपै्रल तक परमिट पर 9ख्0 पेड़ों पर कुल्हाड़ी चली। तो वन क्षेत्र के ख्म् व अन्य स्थानों के क्7भ् पेड़ों को अवैध रूप से काट डाला गया। वन क्षेत्र के ख्म् पेड़ों के लिए विभाग ने क्.8ख् लाख और क्7भ् पेड़ों के लिए ब्.ख्क् लाख रुपये का जुर्माना वसूला। इस प्रकार चार माह के क्ख्0 दिनों के भीतर क्क्ख्क् हरे पेड़े काटे गए हैं जिनका विवरण विभाग में दर्ज है। जबकि इससे कई गुना अधिक उन पेड़ों की संख्या है जिसमें वन, पुलिस विभाग सहित रसूकदार लोगों की मिली भगत से सफाया कर डाला गया। यही कारण है कि इस तपिश में यदि राहत के लिए कोई दो क्षण के लिए पेड़ की छाया लेना चाहे तो वह नसीब नहीं होती

फ्ब्,म्क्0 रोपण का दावा

वन विभाग दावा करता है कि हाईवे नाम पर कुर्बान हुए 8, 70क् पेड़ों के बदले फ्ब्, म्क्0 पौधों को नए फोर लेन किनारे रोपा गया है। जबकि हकीकत यह है कि इनमें से हजारों पेड़ सूखकर समाप्त हो चुके हैं।

यह हैं नियम

हरे पेड़ों को काटने का परमिट लेने के लिए आवेदक को निर्धारित कीमत की नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट छह वर्ष के लिए जमा करना होता है। वहीं एक पेड़ के बदले दो पौधों को रोपित करना होता है। एनएससी वापस लेते समय आवेदक को उसके द्वारा रोपित पौधों का विवरण दिया जाता है। जिसका वन विभाग सत्यापन करता है, लेकिन मजेदार बात यह है कि विभाग के पास इसका कोई आकड़ा ही उपलब्ध नहीं है।

Posted By: Inextlive