Allahabad:देश प्रेम त्याग और बलिदान. ये सबकुछ कूट-कूट कर भरा था चित्तौड़ के राज महल में रहने वाली धाय माता के दिल में. त्याग किसे कहते हैं बलिदान कैसे देते हैं यह सब कुछ देखने को मिला संडे को एनसीजेडसीसी के ऑडिटोरियम में जहां पर डॉ. राम कुमार वर्मा लिखित दीप दान का आर्टिस्ट ने स्टेज पर मंचन कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया. इसका निर्देशन बसंत लाल त्यागी ने किया था.

 

 

1536 की है कहानी

दीप दान वर्ष 1536 में राजस्थान के चित्तौड़ राज्य की कहानी है। वहां के राजा विक्रमादित्य की बनवीर नामक योद्धा ने हत्या करके राज्य पर कब्जा कर लिया था। विक्रमादित्य का मासूम बेटा था उदय सिंह। जिसका लालन पालन की जिम्मेदारी धाय माता पन्ना पर थी। उदय सिंह के उम्र का ही पन्ना का बेटा चंदन था। धाय माता पन्ना को पता चला कि बनवीर राजकुमार की हत्या करने जा रहा हैं। उन्होंने महल में पत्ता पहुंचाने वाले कीरत को बुलाया। एक डोलची में उदय को रख कर कीरत के थ्रू महल से बाहर भिजवा दिया। और खुद अपने बेटे चंदन को राजकुमार उदय सिंह के बेड पर लेटा दिया। पन्ना की सूचना सटीक थी। कुछ देर में वहां बनवीर पहुंचा और चंदन को राजकुमार उदय समझ कर उसे मौत की नींद सुला दी। इस तरह धाय माता पन्ना ने अपने बेटे की कुर्बानी देकर राज कुमार की जान बचाई। मंच पर नट धीरज अग्रवाल, नटी शालिनी श्रीवास्तव, पन्ना सोनाली चक्रवर्ती, उदय सिंह अनन्या मोहिले, चंदन सार्थक सारस्वत, सामली समरल, बनवीर नीरज अग्रवाल और कीरत का रोल शिव प्रकाश सरस्वती ने प्ले किया।

Posted By: Inextlive