RANCHI : सिटी के प्ले स्कूलों व प्री नर्सरी क्लासेज में बच्चों का खेलना उनकी पढ़ाई से महंगा हो चुका है। यहां जो फीस देनी पड़ रही है, वह डीपीएस, सेंट जेवियर्स, सेंट एंथोनी, सेंट थॉमस, कैरलि और बिशप ग्रुप समेत अन्य स्कूलों में क्लास 1 से लेकर 10 तक की सालाना फीस से काफी अधिक है। बता दें कि नामचीन प्ले स्कूलों में बच्चे के दाखिला और सालाना फीस 50 हजार रुपयों से लेकर एक लाख रुपये तक है, जबकि सिटी के टॉप स्कूलों में गिने जाने वाले कई स्कूलों में क्लास 1 से लेकर 10 तक पढ़ने वाले बच्चों की सालाना फीस औसतन 40 हजार रुपये के करीब है।

ट्रांसपोर्टेशन के नाम पर लूट

बच्चों को स्कूल वैन से लाने ले जाने के लिए 500 रुपयों से लेकर 1000 रुपये तक वसूले जा रहे हैं। जबकि, परिवहन विभाग के तमाम निर्देशों को ताक पर रख स्कूल वैन का संचालन किया जा रहा है। सीटिंग कैपासिटी से ज्यादा बच्चों को वैन में बिठाया जा रहा है। इतना ही नही, डीजल ऑटो या गैस चालित वाहनों में जाली लगाकर उसके मूल बॉडी से खिलवाड़ करते हुए उसे स्कूल वैन बना दिया गया है। सामान ढोने वाले वाहनों में बच्चों को धड़ल्ले से स्कूल लाने- ले जाने का खेल चल रहा है पर किसी का इस ओर ध्यान नहीं जा रहा है।

बिन रजिस्ट्रेशन रन कर रहे ज्यादातर प्ले स्कूल

अधिकांश प्ले स्कूल बिना रजिस्ट्रेशन के ही चल रहे हैं। इसके बाद भी इन स्कूलों में दाखिला और पढ़ाई के नाम पर मनमानी फीस वसूली जा रही है। यहां नर्सरी और प्रेप में बच्चों के दाखिले के लिए 50 हजार से लेकर एक लाख रुपए फीस तय की गई है, फिर भी यहां अभिभावकों के बीच अपने बच्चे के एडमिशन के लिए होड़ मची हुई है। खास बात है कि रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने के सरकारी फैसले का ये खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं पर कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है।

आखिर क्यों जरूरी है प्री-स्कूलिंग

सिटी के मेन स्ट्रीम स्कूलों में क्लास नर्सरी से लेकर 1 तक में दाखिले के लिए प्री स्कूलों की एक साल की पढ़ाई अनिवार्य है। इसका फायदा उठाते हुए प्री क्लासेज के लिए मनमानी रकम मांगी जा रही है। 10 से 15 बच्चों के लिए एक शिक्षिका व एक आया मैडम रखने का दावा करते हुए स्कूलों में अभिभावकों से लाखों रुपये वसूले जा रहे हैं।

एक क्लास के कई-कई सेक्शन

खास बात है कि ज्यादा से ज्यादा फीस वसूली के लिए प्ले स्कूलों में भी एक-एक क्लास के कई सेक्शन खोल दिए गए हैं। यहा एक-एक क्लास के आठ-आठ सेक्शन तक हैं, जो नियम विरुद्ध हैं। इतना ही नही, इन क्लासेज में निर्धारित संख्या से ज्यादा बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। इसकी वजहें सिर्फ ज्यादा से ज्यादा फीस वसूल फंड को बढ़ाना है।

Posted By: Inextlive