राजीव हत्याकांड: दोषियों की रिहाई मामले में केंद्र पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
गुरूवार सुबह केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से तमिलनाडु सरकार के फ़ैसले पर रोक लगाने के संबंध में अर्ज़ी दाख़िल की. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की अर्ज़ी स्वीकार करते हुए उस पर फ़ौरन सुनवाई करने का फ़ैसला किया है.इस बीच राजीव गांधी की हत्या के अभियुक्तों की रिहाई की सिफ़ारिश के तमिलनाडु सरकार के फ़ैसले पर कई सवाल उठने लगे हैं.जयललिता मंत्रिमंडल ने बुधवार को एक आपात बैठक में फ़ैसला किया कि राजीव गांधी की हत्या के जुर्म में जेल में बंद सात क़ैदियों की रिहाई के लिए राज्य सरकार, केंद्र सरकार से सिफ़ारिश करेगी.तमिलनाडु सरकार ने केंद्र सरकार को केवल तीन दिन का समय दिया है, जिसमें केंद्र सरकार यह फ़ैसला कर ले कि इस मामले में उसे क्या करना है.
राज्य सरकार के मुताबिक़ अगर केंद्र सरकार ने तीन दिन के अंदर कोई फ़ैसला नहीं किया तो राज्य सरकार ख़ुद ही उन्हें रिहा करने का फ़ैसला कर लेगी.राज्य सरकार की इस सिफ़ारिश को लेकर एक तरफ़ जहां राजनीतिक बयानबाज़ी शुरू हो गई है, वहीं ये भी बहस शुरू हो गई है कि आख़िर इस पूरे मामले में क़ानून क्या कहता है.जाने माने वकील केटीएस तुलसी के अनुसार राज्य सरकार को इस मामले में क़ैदियों की रिहाई का अधिकार नहीं है.
तुलसी ने बीबीसी से बातचीत में कहा, ''सीआरपीसी की धारा 435 के तहत जो मुक़दमे सीबीआई दर्ज करती है और उसका अभियोजन करती है, उन मामलों में केंद्र सरकार से विचार विमर्श के बाद ही राज्य सरकार क़ैदियों की रिहाई के फ़ैसले कर सकती है.''क़ानूनी हैसियत