- फाइलों और गवाहों के बयानों के आधार पर चलता है केस

- खास वजह से लगाए गए इल्जाम पर भी किया जाता है गौर

Meerut : रेप काफी घिनौना अपराध है। कानून में इसके लिए सजा के कड़े प्रावधान हैं। कुछ महिलाओं ने ये प्रावधान हथियार के रूप में भी इस्तेमाल करने शुरू कर दिए हैं, जिसमें लड़के को फंसाने की कोशिश की जाती है। कोर्ट भी लड़की के बयानों को सच मानकर आरोपी पर मुकदमा चलाती है। फिर शुरू होता है इंसाफ दिलाने का संघर्ष। आखिर किस तरह से झूठे रेप केस में फंसे व्यक्ति को इंसाफ दिलाने की कोशिश की जाती है, आइए आपको भी बताते हैं

जांच में कमी पाए जाने पर

एक्सपर्ट की मानें तो रेप का चार्ज लगने पर आरोपी को बचा पाना काफी मुश्किल होता है, क्योंकि कोर्ट के अनुसार कोई लड़की अपने आप को इस तरह से बदनाम करने का प्रयास नहीं करेगी। फिर भी वकीले सफाई पुलिस की जांच रिपोर्ट का पोस्टमार्टम करते हुए इस बात को कोर्ट के सामने लाने की कोशिश करता है कि पुलिस जांच रिपोर्ट में कितने होल हैं। ताकि ये बात साबित करने में आसानी हो सके कि लड़का निर्दोष है और उसे फंसाने की कोशिश की जा रही है।

गवाह के बयानों के आधार पर

रेप के केस में गवाहों के बयान भी काफी इंपोर्टेट होते हैं। जब कोर्ट में केस जाता है तो लड़की के अलावा दोनों पक्षों के गवाहों को सुना जाता है। दोनों पक्षों के गवाहों के बयानों को क्रॉस चेक किया जाता है, जिनकी सत्यता के बाद ही जज किसी फैसले पर पहुंचते हैं। वहीं इस बात का भी ख्याल रखा जाता है कि कोई गवाह किसी के दबाव में या किसी मजबूरी में तो गवाही नहीं दे रहा है।

गवाहों के बिकने पर

सीनियर लॉयर अनिल बख्शी कहते हैं कि ऐसे केसेज में गवाहों के बिकने की बातें सामने आती हैं। अगर लड़की पक्ष की ओर से किसी किसी गवाह के बिकने पर अपने बयान से पलट जाता है या फिर झूठा बयान देने के बाद सच्चाई सामने आती है तो लड़के को बेनिफिट मिलने की काफी संभावना रहती है।

कोई खास वजह तो नहीं

एक्सपर्ट की मानें तो वकील सफाई कोर्ट में इस बात को भी सामने रखते हैं कि लड़के पर रेप का झूठा मुकदमा किसी पर्टिकुलर वजह से लगाया गया है। एक्सपर्ट कहते हैं कि जब भी कोई लड़की किसी के साथ अफेयर में हो उसके बाद उस पर रेप का केस बनाए तो कोई कारण इसके पीछे होगा ही। ऐसे में लड़के केस से बचने के चांसेस बन जाते हैं।

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दो पक्षीय जांच की जरुरत

मेरठ के सीनियर लॉयर्स की एक ही राय है कि अगर कोई लड़की या लड़की पक्ष किसी लड़के पर रेप का चार्ज लगाते हैं तो सिर्फ एक पक्ष को सुनकर ही कोई कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। दोनों पक्षों को सुनना जरूरी है, क्योंकि कानून में कठोर प्रावधान होने के बाद जिम्मेदारी और भी ज्यादा बढ़ जाती है कि कहीं कोई निर्दोष तो कानून के शिकंजे में नहीं फंस रहा है। सबसे पहले ये जिम्मेदारी पुलिस और उसके बाद कोर्ट की है।

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फ्7म् के साथ और भी गंभीर धाराएं हैं

जब भी किसी लड़के पर धारा फ्7म् या यूं कहें कि रेप का चार्ज लगता है तो इसके साथ पुलिस रिपोर्ट में फ्म्म् शादी का झांसा देकर रेप, फ्म्फ् अपहरण, फ्म्ब् जान से मारने की धमकी, फ्म्ब् ए फिरौती आदि के इल्जाम लगाए जाते हैं। वकीलों की मानें तो ये सारी धाराएं नॉन बेलेबल होती हैं। इनसे पीछा छुड़ा पाना काफी मुश्किल होता है।

पुलिस को दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोई कार्रवाई करनी चाहिए। रेप का चार्ज लगना कोई छोटी बात नहीं है। मैंने भी कई केसों में लड़कों को झूठे रेप के आरोप से निकलवाया है।

- अनिल बख्शी, सीनियर एडवोकेट

ऐसे कुछ केस मैं भी लड़ रहा हूं, जिनमें एक केस जल्द ही फाइनल हो जाएगा। इसमें लड़के को झूठे रेप केस में फंसाया गया है। मुकदमा कोर्ट में ऑन गोइंग है इसलिए मैं कुछ ज्यादा नहीं कहूंगा।

- एफएच जैदी, सीनियर एडवोकेट

कुछ दिन पहले एक कोर्ट ने रेप का केस बीच में इसलिए रिजेक्ट कर दिया कि लड़की लड़के को जेल में उसके लिए कपड़े देकर आई थी। जजमेंट में भी साफ लिखा है कि जो लड़की लड़के के लिए जेल में सामान देकर आ रही है तो ये कैसा रेप है।

- तेजभान, सीनियर एडवोकेट

मैं भी एक केस फॉलो कर रही हूं, जिसमें लड़की पक्ष ने लड़के पर रेप का केस फाइल किया है। लड़की मर चुकी है। इसके माता-पिता ने मौत का कारण बीमारी बताया है।

- रजनीश कौर, एडवोकेट

Posted By: Inextlive