फैक्ट फाइल

40 मंडल में कुल प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र

25 हैं प्रयागराज में कुल केंद्र

10 है सरकारी हॉस्पिटल्स में केंद्रों की संख्या

-दो साल में खुले महज 40 औषधि केंद्र

-आधा दर्जन ने किया सरेंडर, डॉक्टर्स पर सहयोग नहीं करने का आरोप

PRAYAGRAJ: दो साल होने के बाद भी प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र योजना रफ्तार नहीं पकड़ सकी है. डॉक्टरों के सहयोग नहीं करने से यह मेडिकल स्टोर बंद होने के कगार पर आ चुके हैं. पूरे प्रयागराज मंडल में इनकी संख्या 50 के आंकड़े को भी पार नहीं कर सकी है. हालात को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने जांच-पड़ताल की कोशिश की लेकिन यह भी बेनतीजा साबित हुई है.

शासन ने जताई चिंता

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र योजना के तहत मंडल में कुल 40 मेडिकल स्टोर खोले जा सके हैं. इनमें से दस सरकारी हॉस्पिटल में खुले हैं. सरकार ने सब्सिडी देने की घोषणा की थी फिर भी कोई फायदा नहीं हुआ. दो साल में चार मेडिकल स्टोर का लाइसेंस भी सरेंडर हो चुका है. यह सब होने के बाद शासन ने भी चिंता जताई है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा जांच की गई तो पता चला कि हॉस्पिटल्स के डॉक्टर जन औषधि केंद्र की दवाएं नहीं लिख रहे हैं. वह अधिकतर ब्रांडेड दवाएं लिख रहे हैं या फिर ऐसे साल्ट लिखते हैं जो इन केंद्र में अवेलेबल नहीं होते.

..तो सस्ता हो जाएगा इलाज

इन केंद्रों को खोलने के पीछे शासन की गरीब मरीजों को सस्ती दवाएं मुहैया कराने की थीं. यह दवाएं 40 से 70 फीसदी तक सस्ती हैं और कारगर भी बताई जाती हैं. इनमें कई जेनेरिक दवाएं भी शामिल हैं. शुरुआत में जनता जरूर इन मेडिकल स्टोर्स तक पहुंची लेकिन पर्चे पर लिखी दवाएं उपलब्ध नहीं होने से उन्हें निराशा हाथ लगी. हाल ही में सरकारी हॉस्पिटल्स में भी इन केंद्रों को खोलने की पहल की गई लेकिन वह भी फ्लॉप साबित हो रहे हैं. इन केंद्रों को सरकार हॉस्पिटल परिसर में फ्री ऑफ कास्ट जमीन उपलब्ध करा रही है.

बॉक्स..

सुबूत दिए फिर भी कार्रवाई नहीं

बताया जाता है कि शासन के आदेश पर हॉस्पिटल्स में लिखे जाने वाले पर्चो की विधिवत जांच की गई. एमएलएन मेडिकल कॉलेज से लेकर तमाम हॉस्पिटल्स के पर्चो की फोटोकॉपी करवाकर इसे स्वास्थ्य विभाग और शासन को भेजा गया है. लेकिन अभी तक कार्रवाई नहीं की जा सकी है. जानकारी के मुताबिक इन पर्चो में साफ पाया गया कि डॉक्टर्स महंगे ब्रांड की दवाएं लिख रहे हैं. इनमें उन्हें ऊंचा कमीशन मिलता है. हालांकि कुछ डॉक्टर्स का कहना है कि इन केंद्रों पर सभी तरह की दवाएं उपलब्ध नहीं है. इससे मरीजों को निराश होना पड़ता है.

बॉक्स..

इनसे कैसे लेंगे टक्कर

जिले में नॉर्मल मेडिकल स्टोर्स की संख्या 3500 से अधिक है. मंडल में इनकी संख्या 7000 है. इसके मुकाबले महज 40 प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खुलना वाकई मजाक का विषय है. जबकि सरकार सब्सिडी के साथ आसानी से लाइसेंस उपलब्ध करा रही है. इन केंद्रों से मरीजों को बेहद सस्ती दवाएं मिलती हैं. बशर्ते प्रचार प्रसार के साथ डॉक्टर्स द्वारा यहां बिकने वाली दवाएं लिखी जाएं. तब जाकर गरीब और मजबूर मरीजों को लाभ मिल सकेगा.

वर्जन..

जितनी उम्मीद थी उतने केंद्र नहीं खुल सके हैं. इनकी गिनती इतनी कम है कि लोग यहां तक पहुंच नहीं पा रहे हैं. दो साल में 40 खुले हैं और चार लाइसेंस सरेंडर हो गए हैं. यह वाकई चिंता की बात है. इन केंद्रों को प्रचार-प्रसार और डॉक्टर्स के सहयोग की जरूरत है.

केजी गुप्ता, डीएलए, प्रयागराज मंडल

Posted By: Vijay Pandey