इक्का दुक्का डाक्टरों से आयुष्मान बना रही सरकार
छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र :सरकार जिले के गरीब तबके के लोगों को आयुष्मान योजना से जोड़कर पांच लाख रुपये का इलाज दे रही है. लेकिन जिले के अस्पताल में डाक्टर न होने से लोग कैसे आयुष्मान होंगे. बताते चले कि कोल्हान प्रमंडल में मेडिकल कॉलेज न होने से तीनों जिलों के मरीजों के साथ ही पश्चिमी बंगाल के पुरुलिया और उड़ीसा बार्डर के लोग भी इलाज के लिए जमशेदपुर ही आते है. प्रखंड और अनुमंडल में इलाज के पीएचसी और सीएचसी की स्थापना की गई है. अस्पतालों में डाक्टरों के न होने पर लोगों को जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज का चक्कर काटना पड़ रहा है. एमजीएम अस्पताल में भी जरूरत के हिसाब से कर्मचारी न होने से मरीजों का इलाज नहीं मिल पा रहा हैं. सिविल सर्जन डा. माहेश्वर प्रसाद ने बताया कि डाक्टरों की कमी के लिए विभाग को लिखा जा चुका है. हाल में ही सदर अस्पताल में एक फिजीशियन और अनुमंडल अस्पताल में एक गायनी डाक्टर की तैनाती की गई है. जल्द ही जिले में डाक्टरों की कमी को दूर किया जाएगा.
अस्पतालों की ड्यूटी से तौबा कर रहे डाक्टरजिले के सरकारी अस्पतालों में तैनात डाक्टर ड्यूटी से तौबा कर रहे है. नाम न छापने की शर्त पर डाक्टर ने बताया कि अस्पतालों में आय दिन होने वाली मारपीट से नये डाक्टर सरकारी अस्पतालों में तैनात से तौबा कर रहे है. उन्होंने बताया कि काम के दबाव के बाद कर्मचारियों की संख्या कम होने के चलते डाक्टरों को ओवर टाइम करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि किसी तरह की घटना होने पर मरीज के परिजन और प्रशासन के दबाव को सहना बेहद मुश्किल होता है. जिससे चलते युवा डाक्टर प्राइवेट प्रेक्टिस या फैकल्टी के रूम में काम करना ज्यादा पसंद कर रहे है.
सुरक्षा कानून की मांग कर रहा आईएमए डाक्टरों की सुरक्षा के लिए लंबे समय से आईएमए प्रोटक्शन कानून की मांग कर रहा है. आईएमए के महासचिव मृत्युंजय सिंह ने बताया कि कानून बनने से डाक्टर स्वतंत्र रूप से काम कर पाएंगे. उन्होंने बताया कि प्रदेश में रांची, धनबाद जमशेदपुर मेडिकल कॉलेज से ही डाक्टर निकलते है. उनमें से कई डाक्टर बड़े शहरों में निकल जाते है. जिले के सरकारी अस्पतालों के हॉल को देखकर कोई भी डाक्टर सरकारी अस्पताल ज्वाइन करने को तैयार नहीं है उन्होंने बताया कि जब डाक्टरों की सुरक्षा पर कोई कठोर कानून नहीं बनता हैं. तब जक जिले में डाक्टरों की कमी को पूरा नहीं किया जा सकता है.सीटी स्कैन और एमआरआई की सुविधा भी नहीं
जिला अस्पताल और एमजीएम मेडिकल कॉलेज में सिटी स्कैन और एमआरआई की सुविधा न होने से मरीजों को रिम्स रांची, कलकत्ता और भुवनेश्वर जैसे शहरों में जाना पड़ता है. प्राइवेट में एमआरआई, सीटी स्कैन आदि कराने में ही मरीजों को 10 हजार रुपये तक खर्च हो जाते है. लंबे समय से एमजीएम अस्पताल में एमआरआई और सिटी स्कैन मशीन लगाने को लेकर कयास लगाये जा रहे है लेकिन अभी तक योजना धरातल नहीं उतर सकी है. अस्पताल का नाम पद तैनाती रिक्त पद एमजीएम अस्पताल 81 45 36जिला सदर अस्पताल 31 12 19
आयुष हास्पिटल 09 02 07 जुगलसलाई पीएचसी 07 02 05 सीएचसी पोटका 12 04 08 अनुमंडल अस्पताल घाटशिला 12 06 06पीएचस बहरागोड़ा 07 04 03
चीएचसी चाकुलिया 07 03 04 सीएचसी धालभूमगढ़ 07 01 06 पीएचसी मुसाबनी 07 03 04 पीएचसी पटमदा 07 03 04 पीएचसी दुमरिया 07 03 04 जिले के सभी सीएचसी, पीएचसी और सदर अस्पताल में जल्द ही डाक्टरों की तैनाती की जाएगी. जिले में एक लेडी व जेंट डाक्टर की तैनाती की गई है. जल्द ही रिक्त पदों पर भी भर्ती की जाएगी माहेश्वर प्रसाद सिविल सर्जन पूर्वीसिंहभूम जमशेदपुर