पंजाब नेशनल बैंक के 11500 करोड़ रुपये के फ्रॉड में सीबीएस स्विफ्ट और एलओयू जैसे शब्‍द बार-बार सुनने को मिल रहे हैं। दरअसल इस महाघोटाले की बुनियाद इन्‍हीं तीन शब्‍दों में छिपी है। जानकारों के अनुसार यह पूरी तरह से बैंकिंग प्रशासन की घोर लापरवाही है। भारतीय रिजर्व बैंक और इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड की एक पूर्व सदस्‍य के अनुसार कोर बैंकिंग के जमाने में यह फ्रॉड अविश्‍वसनीय और आश्‍चर्यजनक है। यह फ्रॉड बैंकिंग प्रशासन में घोर लापरवाही को उजागर करता है। यह घोटाला बैंक के इंटरनल रिस्‍क मैनेजमेंट गाइडलाइन के उल्‍लंघन को उजागर करता है। आइए समझते हैं बैंकिंग सेक्‍टर के इस सबसे बड़े घोटाले के लूप होल और पीएनबी की लारवाही।

क्या है CBS, SWIFT और LOU
सीबीएस यानी कोर बैंकिंग सॉल्यूशन। आजकल सभी बैंक इसी सीबीएस के तहत ही कारोबार या लेन-देन करते हैं। कोर बैंकिंग के जरिए ही देश में सभी बैंक आपस में भी ट्रांजेक्शन करते हैं। स्विफ्ट यानी सोसाइटी फार वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन के जरिए दुनियाभर के बैंक आपस में कारोबारी लेन-देन के संदेशों का आदान-प्रदान करते हैं। स्विफ्ट पूरी तरह विश्वसनीय है और दुनिया में अभी तक इसके जरिए किसी घपले या घोटाले का मामला सामने नहीं आया है। यह पहली बार है कि स्विफ्ट के जरिए किसी ने पीएनबी को 11500 करोड़ रुपये का चूना लगा दिया। एलओयू यानी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग। एलओयू वह गारंटी है जिसके जरिए बैंक अपने खाताधारक को विदेश में किसी विदेशी बैंक से लोन दिलाने की व्यवस्था करता है। एलओयू की शर्त के अनुसार लोन डिफाल्ट होने की स्थिति में रकम एलओयू जारी करने वाले बैंक को चुकानी पड़ती है।
बैंकों से एलओयू जारी करने की प्रक्रिया
दरअसल एलओयू के जरिए बैंक अपने खाताधारकों को विदेश में किसी बैंक से एक निश्चित समय अवधि के लिए लोन दिलाने में मदद करता है। जानकारों के अनुसार, एलओयू जारी करने के लिए बैंक खाताधारक की क्षमता का आंकलन करता है कि वह लोन चुका भी पाएगा या नहीं। आंकलन करने के बाद बैंक क्लाइंट से सिक्योरिटी के तौर पर लोन की रकम के अनुपात में कुछ गिरवी रखने को कहता है। किसी भी डिफाल्ट की सूरत में रिकवरी के लिए संतुष्ट होने पर ही बैंक एलओयू की प्रक्रिया शुरू करता है। इसके बाद लोन की रकम सीबीएस में इंट्री कर दी जाती है। सीबीएस में इंट्री के बाद स्विफ्ट के लिए ट्रांजेक्शन कोड जनरेट किया जाता है। इसके बाद एक अधिकारी कोड को अप्रूव करता है जो स्विफ्ट के जरिए संबंधित बैंक को एलओयू जारी हो जाता है। एलओयू के जरिए लोन 90 दिन के लिए मिलता है। यानी क्लाइंट को 90 दिन के भीतर ब्याज सहित रकम का भुगतान करना होता है। निश्चित समय में रकम नहीं मिलने पर लोन देने वाला बैंक एलओयू जारी करने वाले बैंक से अपनी रकम प्राप्त करने के लिए संपर्क करता है।

 


इंटरनल रिस्क मैनेजमेंट गाइडलाइन का उल्लंघन
राज्यसभा टीवी पर भारतीय रिजर्व बैंक और इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड की एक पूर्व सदस्य रेणु कोहली ने बताया कि यह फ्रॉड इंटरनल रिस्क मैनेजमेंट गाइडलाइन का उल्लंघन है। यदि पीएनबी में सीबीएस, स्विफ्ट और एलओयू आपस में इंटीग्रेट होते तो यह फ्रॉड संभव नहीं था। यह घोर लापरवाही ही मानी जाएगी कि इतने महत्वपूर्ण काम के लिए दो लोग एक डेस्क पर थे। वे लंबे समय से इस काम को अंजाम दे रहे थे। जबकि इंटरनल रिस्क मैनेजमेंट गाइडलाइन के अनुसार ऐसे पदों पर समय-समय पर ट्रांसफर होते रहने चाहिए यानी कर्मचारियों की अदला-बदली होते रहने चाहिए थी। ध्यान रहे कि इस फ्रॉड को पीएनबी की एक शाखा में दो शख्स मिलकर एलओयू जारी कर रहे थे। ये दोनों लंबे समय तक स्विफ्ट के जरिए एलओयू जारी किए करते रहे। उनके लंबे समय तक इस डेस्क पर बने रहना, बिना सीबीएस इंट्री के एलओयू जारी होते रहना और बैंक में कोई रिकॉर्ड नहीं होना पीएनबी के इंटरनल रिस्क मैनेजमेंट गाइडलाइन उल्लंघन को उजागर करता है। यह घटना बैंकिंग प्रशासन में घोर लापरवाही का मामला है।
छापेमारी में 5100 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त
गीतांजलि, नक्षत्र, गिन्नी और नीरव मोदी की आभूषण कंपनी को इस मामले से जोड़ कर देखा जा रहा है। इन्हीं कंपनियों ने बैंक कर्मचारियों से मिलीभगत करके बैंक से पैसे लिए और धोखाधड़ी की। सीबीआई ने इस मामले में कइयों के घर पर छापेमारी की कार्रवाई की है। इसमें नीरव मोदी, उनके भाई निशाल, पत्नी एमी और उनके कारोबारी सहयोगी मेहुल चीनूभाई चौकसी का आवास शामिल है। छापेमारी की कार्रवाई में बैंक के दो अधिकारियों के आवास भी शामिल है। पंजाब नेशनल बैंक का 11,500 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आने पर बैंक ने अपने 10 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया था। सीबीआई और ईडी ने 10 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी करके 5100 करोड़ की संपत्ति जब्त की है।

 

Posted By: Satyendra Kumar Singh