गलन के बीच सेफ तो है ना आपका लाडला?
ठंड और गलन से बढ़े निमोनिया के मामले, टीकाकरण से हो सकता है बचाव
हॉस्पिटल्स में लगी है भीड़, समय पर इलाज नहीं मिलना बन रहा गंभीर कारण ALLAHABAD: ठंड और गलन के बीच क्या आपका लाडला स्वस्थ है? अगर उसे सर्दी हुई है तो अलर्ट हो जाइए। क्योंकि, इस मौसम में बच्चे ठंड लगने से कई रोगों से ग्रसित हो जाते हैं। ऐसा ही एक खतरनाक रोग निमोनिया है। इसकी चपेट में आने से बच्चों की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है। वर्तमान में बड़ी संख्या में बच्चे इस रोग से ग्रसित होकर हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं। ओपीडी में बढ़ गए 20 फीसदी मरीजनिमोनिया से ग्रसित बच्चों की संख्या बढ़ने से हॉस्पिटल्स में भारी भीड़ लग रही है। ओपीडी में 15 से 20 फीसदी नए मरीज दस्तक दे रहे हैं। चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के वार्डो में ठंड से पीडि़त कई बच्चों को भर्ती किया गया है। उनका इलाज चल रहा है। डॉक्टर्स का कहना है कि पांच साल से छोटे बच्चों को अधिक खतरा होता है। इनको ठंड ज्यादा लगती है और यही कारण है कि संक्रमण भी तेजी से फैलता है।
क्या है निमोनिया?यह एक तरह का वायरस है जो फेफड़ों में तरल पदार्थ जमा करके खून और हवा के बहाव को रोकता है। इससे तेज बुखार, बलगम वाली खांसी, सीने में दर्द और सांस का तेजी से चलना आदि प्रमुख लक्षण होते हैं।
लक्षण -बच्चे को सांस लेने में परेशानी का होना। -घरघराहट की आवाज आना। -पेट और छाती में दर्द। -नाखूनों का रंग नीला पड़ना। -उल्टी आना। -जोड़ों में दर्द होना। -थकान। बचाव -बच्चों को संक्रमित व्यक्ति से दूर रखें। इसके वायरस हवा के जरिए भी शरीर में प्रवेश करते हैं। -बच्चों को मां का दूध आवश्यक रूप से दिया जाना चाहिए। -समय रहते बच्चे का टीकाकरण कराने से वह निमोनिया से बच सकता है। -बच्चों के सिर और पैरों को पूरी तरह से ढंक कर रखें। -बच्चे को अधिक समय तक धूप में रखें। -खुले में नहलाने और मालिश करने से बचना होगा। -बार-बार ठंड लगने पर डॉक्टरी की सलाह ली जाए। धूप निकल रही है तो भी बच्चों के लिए गलन बनी हुई है। ऐसे में बच्चों को गर्म कपड़ों में अधिक से अधिक ढंक कर रखें। लक्षण नजर आने पर बिना देरी किए डॉक्टर के पास जाना जरूरी है। -डॉ। डीके मिश्रा, फिजीशियनअधिक संक्रमण हो जाने पर बच्चे दूध नहीं पीते और बार-बार रोते हैं। उनको उल्टी भी हो जाती है। अगर ऐसी सिचुएशन को हैंडिल नहीं किया गया तो मरीज गंभीर परिस्थिति से गुजर सकता है। पैरेंट्स को होशियारी बरतनी होगी।
-डॉ। आशुतोष गुप्ता, चेस्ट फिजीशियन