- चौराहों पर जेबकतरों ने बना रखा है अड्डा, सवारियों पर लगी रहती है शातिरों की नजर

- ऑटो गैंग के साथ मिलकर लूटते हैं लोगों को, वारदात के बाद दोनों भाग निकलते हैं

आगरा। जेबकटी की अब तक सैकड़ों वारदातें हो चुकी हैं। जेबकतरे चौराहों पर घात लगाए बैठे रहते हैं पर पुलिस इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाती। लोग शिकायत लेकर थाने आते हैं, इसके बाद भी पुलिस शातिरों को पकड़ पाने में नाकाम होती है। पुलिस के पास इस समस्या को खत्म करने का कोई प्लान नहीं है। इसी के चलते जेबकट आसानी से चौराहों पर कब्जा जमाए रहते हैं।

ऑटो गैंग से रहती है सांठ-गांठ

जेबकतरे अकेले किसी को निशाना नहीं बना सकते। वह ऑटो गैंग के साथ मिल कर इसकी प्लानिंग करते हैं। सवारी के आते ही प्लानिंग के तहत अपनी-अपनी जगह तय कर ली जाती है। जेब पर हाथ साफ करने के बाद दोनों भाग निकलते हैं। इसके बाद माल के हिस्से कर लिए जाते हैं। यह सिलसिला सालों से ऐसे ही चलता आ रहा है।

सवारी बन कर बैठते हैं

इस गैंग की खास बात यह है कि गैंग के सदस्य सवारी के रूप में बैठते हैं। शिकार बनने वाली सवारी को हमेशा बीच में बैठाया जाता है। कई बार सवारी को पहले बैठाया जाता है। कुछ दूरी पर शातिर ऑटो को हाथ देकर बैठ जाते हैं। इनके पास एक बड़ा बैग होता है जिसे वह अपनी और सवारी की गोद में इस तरह रखते हैं कि उनके हाथों की हरकत नजर न आ सके।

लोगों को कर देते हैं गुमराह

गैंग के सदस्य ऑटो में बैठते ही लोगों को बातों में उलझा लेते हैं। कई बार बीमार होने का बहाना कर उनसे सट कर बैठ जाते हैं। सवारी भी उसे बीमार समझ कर ध्यान नहीं देती। इसी बीच में जेब पर ब्लैड मार कर वारदात को अंजाम दे देते हैं। जेब पर हाथ साफ करने वाला युवक चलते ऑटो से कूद कर भाग जाता है और ऑटो चालक सवारी को दूरी पर जाकर उतारता है, जिससे जेब काटने वाले को भागने का मौका मिल सके।

चौराहे पर करते हैं रैकी

जेबकतरे विभिन्न चौराहों पर घूमते रहते हैं। पुलिस भी वहीं पर घूमती है् इसके बाद भी जेबकतरे उनकी नजर से बचे रहते हैं। शातिर अधिकतर ऐसे लोगों को निशाना बनाते हैं जो दूसरे जिलों से आते हैं या फिर दूर से आते हैं। ऐसे लोगों के लिए पुलिस को और थाने को तलाशना आसान नहीं होता। कई बार लोग अपनी शिकायत कराने को परेशान हो जाते हैं। पुलिस सीमा विवाद में उलझी रहती है।

Posted By: Inextlive