PATNA (7 March) : रुपसपुर थाना क्षेत्र में बुधवार को कार चालक ने एक युवक को टक्कर मार दी थी। इसके बाद युवक कार में फंस गया था और शहर में 10 किलोमीटर तक कार लेकर भागता रहा। पुलिस ने कार में सवार दोनों युवक और उनके पिता के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस का कहना है कि बच्चे नाबालिग हैं। इस कारण बच्चों को गाड़ी नहीं देने चाहिए।

 

बैंककर्मी और इंजीनियर हैं पिता

पुलिस ने जब पड़ताल की तो पता चला कि दोनों बच्चे नाबालिग हैं। एक के पिता बैंक में हैं। वहीं दूसरे किशोर के पिता इंजीनियर हैं। वहीं अभी तक ये पता नहीं चल पाया है कि कार में सवार दोनों लड़कियां कौन थी और वो लोग कहां जा रही थी। मामले में पुलिस पड़ताल में जुटी हुई है। लाश की नहीं हो पाई शिनाख्त घटना में मृत युवक की लाश की शिनाख्त अब तक नहीं हो पाई है। पुलिस घटना स्थल पर लगे सीसीटीवी कैमरे को खंगाला। फुटेज के आधार पर पुलिस मृतक की पहचान करने की कोशिश कर रही है। हालांकि युवक की बॉडी काफी क्षतिग्रस्त हो गई है इस कारण उसका चेहरा पहचान में नहीं आ रहा है। पुलिस शिनाख्ती में जुटी हुई है।

तेज रफ्तार में दौड़ा रहे गाड़ी

तेज रफ्तार में बाइक या कार चलाते बच्चे अक्सर सड़कों पर दिख जाते हैं। बच्चों की यह हरकत कई बार खुद उन्हें, उनके पैरंट्स और राहगीरों को परेशानी में डाल सकती है। इस मामले में लोगों को खूनी कार से सबक लेना चाहिए और नाबालिग बच्चों को गाड़ी देने से बचे नहीं तो आप भी जेल जाने के लिए तैयार रहिए।

 

कानून में ये है दंड देने का प्रावधान

अगर बच्चा एक्सिडेंट कर देता है, तो उसके खिलाफ निश्चित तौर पर कार्रवाई होगी। उसके पैरंट्स को भी इसके लिए दंड भुगतना पड़ सकता है।

मोटर व्हीकल एक्ट (एमवी एक्ट) के तहत 18 साल से कम उम्र के लोगों को लाइसेंस जारी नहीं किया जाता। ऐसे में 18 साल से कम उम्र में वाहन चलाना ही कानून का उल्लंघन है।

अगर कोई नाबालिग वाहन चलाते पकड़ा जाए तो उसके खिलाफ ट्रैफिक पुलिस एमवी एक्ट की धारा-133/177 के तहत चालान काटती है और जुर्माना वसूलती है।

हाईकोर्ट में सरकारी वकील मनोज कुमार ने बताया कि नाबालिग अगर एक्सिडेंट कर दे तो उसके खिलाफ लापरवाही से गाड़ी चलाने का केस दर्ज हो सकता है।

पुलिस आईपीसी की धारा-279 के तहत मुकदमा दर्ज करती है और गाड़ी जब्त भी की जा सकती है। बाद में कार कोर्ट से छूटती है।

 

इंश्योरेंस के लिए आप हो सकते हैं परेशान

=अगर गाड़ी इंश्योर्ड नहीं है तो मुआवजे का भुगतान गाड़ी मालिक को करना होगा, लेकिन गाड़ी इंश्योर्ड है तो कोर्ट आमतौर पर इंश्योरेंस कंपनी को मुआवजा भुगतान करने का निर्देश देती है।

=हालांकि नाबालिग द्वारा गाड़ी चलाने के कारण अगर नुकसान हुआ है तो इंश्योरेंस कंपनी मुआवजे की रकम वाहन मालिक से वसूलती है।

=जानकारों का मानना है कि कंपनी की यह दलील होती है कि चालक के पास वैलिड लाइसेंस नहीं था। ऐसे में गाड़ी मालिक पर जिम्मेदारी बनती है।

 

इन धाराओं में दर्ज हो सकता है केस

1 नाबालिग ने जिसे टक्कर मारी है, अगर वह घायल हुआ हो, तो आईपीसी की धारा-279 के अलावा धारा-337 (जख्मी करना) के तहत भी केस दर्ज हो सकता है.दोषी पाए जाने पर सजा भी हो सकती है।

 

2 गाड़ी की टक्कर से अगर किसी को गंभीर चोटें आई हों तो धारा-338 के तहत केस दर्ज होगा, लेकिन टक्कर से अगर किसी की मौत हो जाए तो वाहन चालक पर धारा-304 ए (लापरवाही से मौत) का मामला दर्ज होगा।

Posted By: Inextlive