पुलिस के लिए सिर दर्द बने शातिर टप्पेबाज
- 3 माह में 40 वारदातों को दिया अंजाम
- 2 मेंबर देते हैं वारदात को अंजाम - पुलिस के नाम पर टप्पेबाजी कर रहे शातिर - बुजुर्ग महिला को करते हैं टारगेट, पुलिस के लिए बने चैलेंज - सीसीटीवी फुटेज की जद से दूर करते हैं वारदात mayank.srivastava@inext.co.inLUCKNOW : पुलिस के चुनाव ड्यूटी में बिजी होने का फायदा टप्पेबाज जमकर उठा रहे हैं. यह टप्पेबाज पुलिस की नाक के नीचे वारदात करके फरार हो जा रहे हैं. यहीं नहीं यह पुलिस के नाम का सहारा लेकर वारदात को अंजाम दे रहे हैं. ट्रांसगोमती से लेकर पूरे शहर में एक्टिव टप्पेबाज बुजुर्ग महिलाओं को अपना शिकार बना रहे हैं. तीन महीने में करीब चालीस से ज्यादा वारदात को अंजाम देकर यह पुलिस के लिए सिर दर्द बन गए हैं. हैरत की बात यह है कि शहर में सक्रिय इन टप्पेबाजों को पकड़ना तो दूर पुलिस के पास उनका सुराग तक नहीं है.
बुजुर्ग महिलाएं साफ्ट टारगेटटप्पेबाज केवल बुजुर्ग महिलाओं को ही शिकार बना रहे है. रोड पर अकेले जाने वाली बुजुर्ग महिलाओं को वह पुलिस कर्मी बनकर मिलते हैं और फिर किसी क्राइम की वारदात का हवाला देकर चेकिंग की बात करते हैं. इसके बाद उन्हें बातों में उलझा कर उनके जेवर उतरवाकर सुरक्षित रखने का झांसा देते हैं. जब उनके द्वारा दी गई पुडि़या लेकर बुजुर्ग महिला घर पहुंचती हैं तो उन्हें ठगी का अहसास होता है.
सीसीटीवी से दूर रहकर करते है वारदात टप्पेबाज वारदात को अंजाम देने से पहले ऐसे प्वाइंट को टारगेट करते हैं जहां पर सीसीटीवी कैमरे नहीं होते हैं. इसके लिए यह पहले रेकी करते हैं और फिर वारदात को अंजाम देते हैं. ज्यादातर वारदात में एक दो लोग ही होते हैं. उनकी कद काठी पुलिस कर्मियों की तरह हैं. यही वजह है कि खुद को पुलिस कर्मी बताकर वारदात को अंजाम देते हैं. बाहर से आकर कर रहे वारदात टप्पेबाजों द्वारा जिस तरह से घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है वह मॉडस ऑपरेंडी तमिलनाडू गैंग की तरह है. गैंग के दो मेंबर वारदात को अंजाम देते हैं. एक एरिया में लगातार वारदात करने के बाद यह दूसरे एरिया में मूव कर जाते हैं. गैंग बुजुर्ग और अकेली महिलाओं को टारगेट करते हैं ताकि वह उनके जाल में आसानी से फंस जाए. यह केवल ज्वैलरी की टप्पेबाजी करते हैं. केस नंबर- 1 पुलिस चौकी के पास लाखों की टप्पेबाजीजानकीपुरम निवासी वंदना परवानी सीडीआरआई में क्लर्क हैं. वे गुरुवार सुबह ऑफिस जा रही थीं. साढ़े 8 बजे छुईयापुर चौराहे पर पुलिस चौकी के पास एक आदमी आया और खुद को कांस्टेबल बताकर बोला चौकी में इंस्पेक्टर बुला रहे हैं. वंदना जब चौकी के पास पहुंची तो वहां खडे़ व्यक्ति ने खुद को इंस्पेक्टर बता कहा कि रोज लूट हो रही है. अपने जेवर बैग में रख लो नहीं तो दो हजार जुर्माना देना होगा. इस पर वे 40 ग्राम सोने की चूडि़यां, 18 ग्राम की अंगूठियां उतारकर बैग में रखने लगीं तो फर्जी इंस्पेक्टर ने उनसे जेवर लेकर एक पुडि़या में लपेटकर दिए, जिसे उन्होंने बैग में रख लिया. कुछ दूर जाने के बाद वंदना ने जब बैग से पुडि़या निकालकर चेक किया तो उसमें सोने के जेवर की जगह कांच की चूडि़यां निकलीं.
केस नंबर- 2 घर जाकर ही खोलनातेलीबाग गोपालनगर निवासी रानी गुरुवार सुबह पास में ही डॉ. नरेश खरे के क्लीनिक गई थीं. लौटते वक्त एक युवक ने आवाज देकर उसे रोका और कहा, सामने साहब खड़े हैं. वो तुमको बुला रहे हैं. रानी के इंकार करने पर सामने खड़ा युवक वहां आया और खुद को पुलिस वाला बताकर डांटते हुए उनकी चेन, मंगलसूत्र और अंगूठी उतरवा ली. इसे कागज में लपेटकर उन्हें वापस दिया और कहा कि इसे घर जाकर ही खोलना. घर पर रानी ने जब इसे खोला तो इसमें उन्हें अपनी ज्वैलरी नहीं मिली. पीजीआई थाने में इसकी रिपोर्ट दर्ज की गई है.
केस नंबर- 3 मैं एसटीएफ का सिपाही हूं सआदतगंज निवासी ऊषा गुप्ता अपनी बहू दुर्गेश को दिखाने बुधवार को मडि़यांव के आईकॉन हास्पिटल गई थीं. मडि़यांव टेम्पो स्टैंड के पास एक आदमी ने खुद को एसटीएफ का सिपाही बता उन्हें रोका और ज्वैलरी उतारने को कहा. इस पर ऊषा ने सोने के चार कड़े और चेन उसे दे दी, जिसे आरोपी कागज में लपेटने लगा. शक होने पर ऊषा ने कागज खोलकर देखा तो उसमें प्लास्टिक की चूडि़यां थीं. इस पर उन्होंने शोर मचाया तो शातिर वहां से भाग गया. इस मामले की रिपोर्ट मडि़यांव थाने में दर्ज कराई गई है. केस नंबर- 4 बातों में उलझाया और ले गए जेवरनाका दुर्विजयगंज निवासी ओंकार द्विवेदी ने बताया कि उनकी मां 26 मार्च को रानीगंज गई थीं. मंशाराम पान की दुकान के पास स्कूटी सवार तीन युवकों ने उन्हें रोका और बातों में उलझाकर जेवर, 12 सौ रुपए और मोबाइल ले गए. मौके पर पहुंची पुलिस ने आसपास लगे सीसीटीवी की फुटेज चेक की, जिसमें तीनों शातिर कैद मिले हैं. बुधवार को नाका पुलिस ने इसकी रिपोर्ट दर्ज की है.
केस नंबर पांच बैंक से घर जा रही थी विकासनगर सेक्टर-2 में सुजाता वर्मा (60) को बैंक से वापस लौटते समय चर्च रोड पर एक बाइक सवार दो युवकों ने उनको रोक लिया. दोनों ने खुद को पुलिस वाला बताया और चेकिंग की बात कही. दोनों ने सुजाता को ज्वैलरी उतार कर अपने पास रखने के लिए कहा. सुजाता ने जेवरात उतार दिये. युवकों ने हाथ से जेवरात लेकर एक कागज में लपेट कर दे दिए और घर जाकर कागज खोलने की बात कहीं. बुजुर्ग सुजाता ने जब कागज खोला तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई. कागज में असली की जगह नकली जेवरात रखे थे. कोट- टप्पेबाजों पर शिंकजा कसा जा रहा है. अभी तक जितनी भी वारदात की है उनकी स्टडी से यह पता चला कि गैंग में दो मेंबर हैं जो वारदात को अंजाम देते हैं. यह ऐसी जगह वारदात करते हैं, जहां कैमरे नहीं लगे होते हैं. अमित कुमार, एसपी टीजी