बरेली :

देश में आधी से अधिक आबादी युवा है. ऐसे में देश के विकास की जिम्मेदारी भी युवाओं के कंधे पर है. यूथ का पॉलिटिक्स में रूझान और फील्ड में उनका अहम योगदान है. इन सबके बीच अगर आगामी चुनाव को लेकर बात करें तो यूथ के लिए उसका कॅरियर ही फ‌र्स्ट च्वाइस है. वहीं आम लोगों को महंगाई, करप्शन और महिला सुरक्षा अहम है. वजह बढ़ती उम्र के बीच नौकरी के घटते चांसेज. इसके चलते हमारे देश का यूथ भी परेशान है. वह अपने फ्यूचर को सिक्योर नहीं महसूस कर रहा है. वेडनसडे को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट और रेडियो सिटी के मिलेनेयिल्स स्पीक में गोल्डन ग्रीन पार्क में कॉलोनी निवासियों ने खुलकर अपनी बात रखी.

रोजगार परक मिले शिक्षा

डिबेट में वीपी सक्सेना ने कहा कि यूथ को रोजगार देने वाली सरकार ही चाहिए. सरकार यूथ को रोजगार देने के लिए देश में इंडस्ट्रीज लगाए, ताकि यूथ को जॉब मिल सके. एचएस राठी ने कहा कि यूथ को जो भी शिक्षा दी जाए, वह क्वालिटी परक और रोजगार से जुड़ी हो. ऐसी शिक्षा न दी जाए जो रोजगार से न जुड़ी हो. शिक्षा ऐसी हो जिससे उसे जॉब मिले या फिर वह अपने आप खुद कुछ कर सके. सरिता ने कहा कि देश में हर तरफ करप्शन फैला हुआ है. करप्शन मुक्त देश होना चाहिए.

कानून का सख्ती से हो पालन

सोमपाल ने कहा कि महिला सुरक्षा की जो बात की जाती है, उससे महिलाएं सुरक्षा होने वाली नहीं है. इसके लिए पुरुषों को महिलाओं के प्रति अपनी मानसिकता बदलनी पड़ेगी. महिला सुरक्षा के लिए सबसे जरूरी है कि पुरुष अपनी मानसिकता बदले तभी महिला सुरक्षित होंगी. आलोक ने कहा कि जो भी वैकेंसी हमारे यहां निकलती है, वह भर्ती होने से पहले ही निरस्त हो जाती है. इसके लिए प्रक्रिया में सुधार हो ताकि बेरोजगारों को निराश न होना पड़े.

शिक्षा का सुधरे सिस्टम

महेश शर्मा ने कहा कि शिक्षा में सुधार की जरूरत है. बेसिक में अच्छी एजुकेशन नहीं मिलती है तभी तो वहां के टीचर्स अपने बच्चों को कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाते हैं. मोहन सिंह ने कहा कि जब तक सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाला टीचर अपने बच्चों को वहां नहीं पढ़ाएगा तब तक शिक्षा सिस्टम में सुधार नहीं होगा. इस बात को सभी ने अपनी सहमति जताई. उत्तल बाबू ने कहा कि हमारे देश में जनसंख्या बड़ी समस्या है, इस पर कंट्रोल होना चाहिए. क्योकि जितनी तेजी से हमारे देश की जनसंख्या बढ़ रही है उतनी तेजी से जॉब नहीं. इसीलिए बेरोजगारी बढ़ रही है. हमारी सरकार को चाहिए कि जनसंख्या पर नियंत्रण करे और जॉब के साधन बढ़ाए जाएं, तभी हमारा देश तेजी से प्रगति करेगा. इसके साथ ही देश में जो भी कानून बने हैं, उन्हें प्रभावी बनाने की जरूरत है.

कड़क मुद्दा

-अब पब्लिक समझदार हो गई है. कोई नहीं चाहता है कि अब जाति धर्म के नाम पर राजनीति करने वाला नेता आए. युवा भी रोजगार और देश के विकास के नाम पर ही वोट देगा. क्योंकि अभी तक तो लोग जाति धर्म के नाम पर गुमराह हो जाते थे लेकिन अब कोई गुमराह होने वाला नहीं है. यूथ को अपने एजेंडे के वादे पूरा करने वाली सरकार की दरकार है.

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मेरी बात

-देश का विकास चाहते हो तो यूथ के लिए आगे आना होगा. यूथ में ही देश को विकास को गति देने की क्षमता है. इसीलिए सरकार को चाहिए कि वह पढ़े लिखे यूथ को देश में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए इंडस्ट्रीज लगाए ताकि वह अपने देश में ही काम करे. साथ ही हमारे देश से करप्शन आतंकवाद आदि खत्म होना चाहिए.

अभिजीत

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सतमोला खाओ कुछ भी पचाओ

सरकारी स्कूल में जो भी टीचर पढ़ाने आते हैं उनके लिए सख्त नियम बनाए जाए. जब वह भी अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाएंगे तभी बेसिक स्तर की शिक्षा में सुधार होगा. नहीं तो बेसिक शिक्षा में सुधार होने वाला नहीं है.

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-देश की सरकार चुनने में वोटर अब सोच-समझकर ही वोट करेगा. अब वोटर का पहले जैसा मिजाज नहीं रह गया है. वह देश में बदलाव देखना चाहता है. इसीलिए इस बार सभी अपने एजेंडे को देखकर ही वोट करेगा.

आलोक

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-जब तक बेसिक शिक्षा में सुधार नहीं होगा तब तक शिक्षा में क्वालिटी नहीं आ सकती है. क्योंकि कम आमदनी वाला व्यक्ति अपने बच्चों को निजी स्कूल्स में नहीं पढ़ा सकता है.

रामऔतार

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-करप्शन की शुरूआत कहीं न कहीं हम लोगों से ही होती है. इसीलिए करप्शन के लिए हम लोगों को पहल करनी होगी तभी करप्शन रुकेगाग अन्यथा करप्शन रूकने वाला नहीं है.

राजकुमार

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-करप्शन इतना हावी हो चुका है कि जब भी सरकार कोई बैकेंसी निकालती है तो योग्य लोगों के बजाए उन लोगों को नौकरी मिल जाती है जो उस पद के योग्य ही नहीं हैं. अब ऐसे में जो व्यक्ति खुद करप्शन करके सरकारी पद पर आएगा वह भी करप्शन ही करेगा. इस पर रोक लगनी चाहिए.

अरविन्द

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-जो भी प्रत्याशी चुन कर आएगा वह हमारे आपके बीच का ही होगा. कौन का प्रत्याशी कैसा है यह हम आप अच्छी तरह जानते हैं. इसलिए ऐसे व्यक्ति का ही चुनाव करें जो समाज और देश के हित के बारे में सोच सके.

दिनेश सक्सेना

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- चुनाव आते ही नेता पब्लिक के बीच दौड़ लगाने लगते हैं लेकिन जब इलेक्शन जीत जाते हैं तो फिर पब्लिक को भूल जाते है. नेता ऐसा हो जो जीतने के बाद भी आसानी से पब्लिक की सुन सके.

राजेश सिंह

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-जो भी नेता चुनाव में जीते वह जुमलेबाजी न करे. सिर्फ एक्शन, रिएक्शन और जॉब देने वाली सरकार बने, लेकिन अब तक हमारे यहां पर सभी काम हुए लेकिन यूथ की कोई सुनने वाला नहीं मिला इसीलिए यूथ अब तैयार है एजेंडे के साथ.

महेश

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-हमारे देश की सरकार ने बेरोजगारों के लिए स्टार्टअप शुरू किया जो अच्छी पहल है. लेकिन हमारे यहां का यूथ उसका उपयोग नहीं कर पा रहा है. सरकार को चाहिए कि स्टार्टअप के लिए अवेयरनेस प्रोग्राम चलाए.

सरिता शर्मा

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-जब किसी नेता को वोट लेना होता है तो उसे यूथ, विकास सभी कुछ याद आता है, लेकिन जैसे ही इलेक्शन निकल जाता है तो वह सभी भूल जाता है इसीलिए नेता ऐसा हो जो बात कम और काम अधिक करे.

अल्केश सिंह

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-देश में बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराने के लिए सरकार को सर्वे कराना चाहिए. हमारे देश में बेरोजगारी इस कदर बढ़ी है कि एक बैकेंसी निकलने पर हजारों बेरोजगार उसके लिए दावेदार बन जाते हैं.

मोहन सिंह

Posted By: Radhika Lala