हाल ही में मानव संसाधन एवं विकास मंत्री स्‍मृति ईरानी को लेकर झूठी डिग्री विवाद काफी चर्चा में रहा। लंबे समय से इस विवाद को स्‍मृति सुर्खियों में हैं। इतना ही नहीं इस मामले को तूल देते हुए अब तो विपक्ष ने स्‍मृति के इस्‍तीफे की मांग कर दी है लेकिन राजनीतिक गलियारे में स्‍मृति ईरानी ऐसी पहली मंत्री नहीं हैं जिनकी डिग्री सवालों के विचाराधीन है। कई ऐसे और भी राजनेता हैं जिनकी भी डिग्री हो सकती है विचाराधीन। आइए देखें कौन हैं वो।

स्मृति ईरानी
एक बार फिर स्मृति ईरानी फंस गईं हैं विवादों के साए में। एक फ्रीलांस लेखक अहमर खान ने अपनी शिकायत में यह बात उठाई है कि मानव संसाधन एवं विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने नामांकन दाखिल करते समय चुनाव के सामने अपनी शैक्षणिक योग्यता को लेकर गलत जानकारी प्रस्तुत की थी। 2004 अप्रैल के लोकसभा चुनाव में अपने एफिडेविट में स्मृति ने कहा कि उन्होंने 1996 में दिल्ली यूनीवर्सिटी से BA की पढ़ाई पूरी की। वहीं 11 जुलाई 2011 को गुजरात से राज्य सभा के लिए चुनाव लड़ते समय उन्होंने अपने एक और एफिडेविट में DU के माध्यम से एक स्कूल से कॉरस्पॉन्डेंट कोर्स के द्वारा B.Com पार्ट 1 की उच्चतम शैक्षणिक योग्यता बताई। दिल्ली की एक अदालत में इस शिकायत का संज्ञान में लिया गया। वहीं मामले के प्रकाश में आते ही AAP और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने उनके इस्तीफे की मांग का जोर-शोर के साथ उठा दिया।    
जितेंद्र सिंह तोमर
दिल्ली के कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर के नाम पर एक नोटिस जारी किया गया। ये नोटिस था उनके ऊपर लगे खुद को झूठी डिग्री के सहारे बतौर एडवोकेट एनरोल कराने के आरोप को लेकर। उन्होंने अपने ऊपर लगे इस आरोप को सरासर गलत बताया। तोमर ने सफाई देते हुए कहा कि जल्द ही वह अपने शैक्षिक रिकॉर्ड्स को लोगों के सामने लाकर रखेंगे। तोमर ने इस बात का दावा किया कि उन्होंने बिहार के मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय से लॉ की पढ़ाई पूरी करने के बाद इसकी डिग्री ली है। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ कि विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड में उनके नाम की कोई डिग्री ही नहीं है। उनके दिए सीरियल नंबर से बने अस्थाई प्रमाण पत्र पर किसी और व्यक्ति के नाम का रिकॉर्ड नजर आया। ऐसे साक्ष्य मिलने के बाद तोमर अब फिलहाल जेल में हैं।

रामकृष्ण धावलिकर
गोवा लोक निर्माण विभाग मंत्री रामकृष्ण धावालिकर पर भी नकली डिग्री का आरोप लगाया गया। मामला उस समय सामने आया जब गोवा में आम आदमी पार्टी की ओर से धावलिकर पर सर्वेक्षण अधिकारियों से सामने शपथ पत्र में उनकी स्नातक डिग्री को लेकर सवाल उठाया गया। धावलिकर, जो महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी से ताल्लुक रखते हैं और राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन के एक सदस्य हैं, उन्होंने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया। यहां तक कि उन्होंने 1978 में साउथ गोवा के कॉलेज से B.Sc. की डिग्री लेने की भी बात कही। इसको संज्ञान में लेकर Aap ने उस डिग्री से जुड़े असली डॉक्यूमेंट लाकर सामने रख दिए, जिसमें धावलिकर का नाम नहीं था। बल्कि असली डॉक्युमेंट्स में धावलिकर 1979 के रेगुलर एग्जाम में फेल पाए गए।

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Posted By: Ruchi D Sharma