एक Study के मुताबिक Chinese coal plants से निकलने वाली sulphur global warming रोकती है. इसमें बताया गया है कि अगर चाइनीज कोल प्लांट्स के पॉल्यूशन में कमी की गई तो दुनिया और गर्म बन जाएगी.


दुनिया भर के साइंटिस्ट्स का मानना है कि अगर ग्लोबल वॉर्मिंग का खतरा कम करना है तो पॉल्यूशन कम करना ही होगा. मगर अब एक नई स्टडी ने चौंकाने वाला दावा किया है. इसके मुताबिक चाइनीज कोल प्लांट्स के पॉल्यूशन में कमी दुनिया को और गर्म बना देगी. साइंटिस्ट्स के इस दावे के मुताबिक चाइना के पावर प्लांट्स से निकलने वाला सल्फर सूरज की रोशनी को रोकता है. इससे ग्लोबल वॉर्मिंग का इफेक्ट कम होता है और दुनियाभर का वातावरण काफी ठंडा होता है.Temperature रखता है Low साइंटिस्ट्स का दावा है कि सल्फर एमिशन सूरज की साइकल के कूलर स्टेज के साथ जुड़ा हुआ है. इस तरह साउथ अटलांटिक के वेदर में अल नीनो से ला नीना तक का बदलाव टेंप्रेचर को आर्टिफिशियली लो रखता है.
अगर यह दावे सच साबित होते हैं तो इसका मतलब होगा कि सूरज की 11 साल की साइकल में चेंज आया है. साथ ही चाइनीज कोल ब्वॉयलर्स के टेंपरेचर में बढ़ोत्तरी की वजह माने जाने को भी नए सिरे से देखने की जरूरत होगी. कुछ ने किया खंडन


हालांकि मैन-मेड क्लाइमेट चेंज पर यकीन ना करने वालों का कहना है कि रिसर्चर्स ने आउट ऑफ डेट क्लाइमेट कंप्यूटर मॉडल चुन लिया है. इस पर वे अपने मन-मुताबिक रिजल्ट्स पाना चाहते हैं. उन्होंने लिखा है कि 1999 और 2008 के बीच मैन-मेड क्लाइमेट चेंज की स्पीड पिछले दशक के तुलना में काफी धीमी थी. इसकी वजह यह बताई गई थी कि ग्रीनहाउस गैस कांसन्ट्रेशन की तुलना में सल्फर एमिशंस का कूलिंग इफेक्ट काफी कम था. टेलीग्राफ ने यूनिवर्सिटी लीड्स में क्लाइमेट चेंज के प्रोफेसर पीयर्स फोर्सटर को कोट करते हुए लिखा है कि शॉर्ट टर्म सल्फर एमिशन के जरिए सीओ2 से होने वाली ग्लोबल वॉर्मिंग की मास्किंग के बारे में सब जानते हैं. मगर यह भी जानना जरूरी है कि कोई भी इस तरह की कोई भी मास्किंग बहुत कम समय के लिए होती है.वहीं इस कोल से पैदा हुई सीओ2 एटमॉस्फियर में लंबे समय तक के लिए मौजूद रहेगी और लंबे समय तक ग्लोबल वॉर्मिंग का कारण बनेगी.

Posted By: Divyanshu Bhard