खोदाई ने बढ़ाई घुटन
-जगह-जगह हो रही खोदाई व उड़ रही धूल से पॉल्यूशन का लेवल पहुंचा अपने उच्च स्तर पर
-शहर में फिर बढ़ने लगा प्रदूषण का लेवल, पीएम 2.5 व पीएम 10 का मानक बढ़ने से सांस के मरीजों का घुटने लगा दमस्मार्ट सिटी बनारस में एक बार फिर एयर पॉल्यूशन अपना रंग दिखाने लगा है। शहर में जगह-जगह हो रही खोदाई से जो मिट्टी निकल रही है उससे उड़ रही धूल के गुबार के चलते पॉल्यूशन का लेवल अपने उच्च स्तर पर जा पहुंचा है। इसके चलते सांस के रोगियों का दम घुटना भी शुरू हो गया है। एयर फॉर केयर संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक इधर एक माह से लगातार पॉल्यूशन का स्तर बढ़ा है। संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक इधर 15 दिनों में बेहद चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। धूल भरे कैंट एरिया में 10 अक्टूबर को पीएम 2.5 का लेवल 142 दर्ज किया गया था, जो कि तय मानक से दुगने से भी ज्यादा है। यही हाल पीएम 10 का भी रहा। कमोवेश ऐसा ही हाल शहर के अन्य क्षेत्रों में भीे है।
ताजी हवा को कर रही दूषितएक्सपर्ट की मानें तो बारिश थमते ही शहर की आबोहवा बिगड़ने लगी है। अब मौसम में भले ही थोड़ी नमी आ गई है, लेकिन जैसे जैसे ठंड बढ़ेगा लोग स्मॉग और पॉल्यूशन को लेकर परेशान होने लगेंगे। शहर की हवा में हानिकारक व विषैले पदार्थो का लगातार बढ़ना वायु प्रदूषण का कारण बन रहा है। द क्लाइमेट एजेंडा के सीनियर रिसर्चर धीरज कुमार दबगरवाल का कहना है कि सिटी में विभिन्न विषाक्त गैस और सड़कों की खोदाई से उड़ रही धूल के गुबार के कारण उत्पन्न प्रदूषण ताजी हवा को दूषित कर रहा है, जो न सिर्फ इंसान बल्कि पेड़-पौधों और पशुओं को भी प्रभावित कर रहा है।
ऐसा कैसे हो रहा? वायु प्रदूषण का स्तर उन सभी प्रदूषणों पर निर्भर करता है जो विभिन्न स्त्रोतों से क्रिएट होते हैं। मौसम की स्थिति प्रदूषण की निरंतरता को बढ़ा रही हैं। उद्योगों में निर्माण प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले विभिन्न प्रकार के कच्चे माल से हानिकारक गैसों के उत्सर्जन की मात्रा बढ़ती जा रही है। यही नहीं बढ़ता औद्योगिकीकरण भी वायु प्रदूषण फैलाने का काम कर रहा है। खत्म हो रही ग्रीनरीएक्सपर्ट का कहना है कि प्लास्टिक का ज्यादा इस्तेमाल, कचरों का जलना, अनियंत्रित निर्माण कार्य, उद्योगों का बढ़ना व जेनसेट आदि पर्यावरण को दूषित करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। पेड़ पौधों की कटाई से ग्रीन कवर क्षेत्र खत्म हो रहे हैं। ग्राउंड लेवल पर पार्टिकुलट कंस्ट्रक्शन का बढ़ता दायरा भी कहीं कम नहीं हो रहा। इन सब की वजह से सांस संबंधी बीमारियों में लगातार इजाफा हो रहा है। जिन क्षेत्रों में ग्रीन कवर का स्तर ज्यादा है वहां सांस से जुड़ी समस्याएं कम हैं।
क्या है मानक? पीएम 2.5 60 60 से ज्यादा बढ़ेगा तो खतरा बढ़ जाएगा पीएम 10 100 100 से ज्यादा होने पर खतरा बढ़ेगा एक सप्ताह का लेवल डेट पीएम 2.5 पीएम 10 5 अक्टूबर -122 223 6 अक्टूबर -114 207 7 अक्टूबर -109 224 8 अक्टूबर -115 228 9 अक्टूबर -132 221 10 अक्टूबर -142 22411 अक्टूबर -138 199
12 अक्टूबर 111 168 वर्जन-- सिटी में कुछ माह पहले तक पॉल्यूशन का लेवल थोड़ा कम हुआ था, लेकिन इधर एक माह से इसका स्तर बढ़ता जा रहा है। अभी अगर ध्यान नहीं दिया गया तो स्थिति बिगड़ सकती है। एकता शेखर, प्रेसिडेंट, द क्लाइमेट एजेंडा बढ़ते एयर पॉल्यूशन को नियंत्रित करने के लिए पॉल्यूशन वाले क्षेत्रों को चिन्हित कर उन एरिया में सघन जन जागरूकता अभियान आयोजित करते हुए निर्माण कार्य, विकास कार्य की सीमाएं निर्धारित करने की आवश्यकता है। धीरज कुमार दबगरवाल, सीनियर रिसर्चर, द क्लाइमेट एजेंडा