- यूपी में निमोनिया से रोजाना 30 बच्चों की मौत

- भारत में 430 लोग निमोनिया से पीडिुत

- पैदा होने वाले बच्चों में 10 फीसद निमोनिया की चपेट में

- हर वर्ष दो फीसद की निमोनिया से होती है मौत

- दुनिया में 18 फीसद बच्चों की मौत का कारण है निमोनिया

- भारत में हर मिनट एक बच्चे की मौत का कारण निमोनिया

LUCKBNOW:

वातावरण में पॉल्यूशन का खतरा लगातार बना हुआ है। सांस के साथ शरीर में प्रवेश करने वाले अति सूक्ष्म कणों (पीएम 10 व पीएम 2.5) की मात्रा अप्रत्याशित रूप से अधिक चल रही है। पिछले करीब एक हफ्ते से मानकों से कहीं अधिक स्तर चल रहा है। इसका सीधा असर निमोनिया के मरीजों पर पड़ रहा है। जो मरीज पहले से सांस की दिक्कतों से ग्रसित हैं और बुजुर्गो, बच्चों व गर्भवती महिलाओं को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। उनमें निमोनिया होने का खतरा अधिक है। व‌र्ल्ड निमोनिया डे की पूर्व संध्या पर डॉक्टर्स ने यह जानकारी दी।

पॉल्यूशन से बढ़ी मरीजों की संख्या

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में क्रिटिकल केयर एंड पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के डॉ। वेद प्रकाश ने बताया कि मौसम तेजी से बदल रहा है। जिसके कारण वायु शुष्क है। ऐसी हवा में सांस लेने से सांस नली भी शुष्क होती है। इससे हमारी नेचुरल डिफेंस कमजोर होती है। जबकि वातावरण में भारी मात्रा में वायरस, बैक्टीरिया, फंगस, धूल के अतिसूक्ष्म कण यानी पर्टिकुलेट मैटर भी मौजूद हैं जो सांस के साथ सीधे फेफड़ों में पहुंच रहे हैं। डॉ। वेद प्रकाश ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में निमोनिया के मरीजों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। साथ ही सीओपीडी और ब्रोंकाइटिस के भी मरीज बढ़े हैं।

ये मरीज रहे सावधान

यदि पहले से ही सांस संबंधी दिक्कते हैं तो सावधान रहें। आपको आसानी से फंगस या बैक्टीरिया का इंफेक्शन हो सकता है। एलर्जी से फेफड़ों की अंदर की परत क्षतिग्रस्त हो सकती है और उस पर बैक्टीरिया हमला करता है जिससे निमोनिया की समस्या हो जाती है।

निमोनिया के लक्षण

निमोनिया होने पर मरीज को बुखार, जुकाम, छींक, सांस फूल सकती है, सीने में दर्द, खांसी बलगम, ज्यादा बढ़ेगा तो हाथ पैर नीले पड़ सकते हैं, और बढ़ने पर बीपी कम होने के साथ चक्कर आने और बेहोशी की दिक्कत हो सकती है.खांसी के साथ गंदा बलगम आए, सांस बढ़े तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। जब जुबान और उंगलियां नीली पड़े तो यह इमरजेंसी है और मरीज को तुरंत आईसीयू की जरूरत है।

बॉक्स् बॉक्स --डॉ। प्रदीप शुक्ला

बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाएं

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ। प्रदीप शुक्ला ने बताया कि बच्चे को बुखार है, पसीना आ रहा है, कंपकपी हो रही है, बहुत अधिक खांसी और गाढ़ा पीला, हरा या खून के अंश वाला बलगम है और बच्चे को भूख नहीं लग रही तो तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं। समय पर इलाज न मिलने से बच्चे में निमोनिया गंभीर रूप धारण कर सकती है। सांस फूलने और होंठ उंगलियों के नाखून नीले होने पर यह खतरनाक स्थिति है।

प्रदूषण के कारण बच्चों को खतरा ज्यादा

केजीएमयू के बाल रोग विभाग की डॉ। शैली अवस्थी ने बताया कि हवा में इस समय प्रदूषण का स्तर बढ़ा हुआ है। जिसके कारण प्रदूषण वाले हानिकाकरक फेफड़े तक पहुंचते हैं और बच्चों के फेफड़ों में संक्रमण का कारण बनते हैं। बच्चों को बुखार होने, सर्दी जुखाम होने पर तत्काल डॉक्टर को दिखाना चाहिए। जरा सी लापरवाही से बच्चे निमोनिया की चपेट में आ सकते हैं। ध्यान रखें कि एक साल तक के बच्चे की सांस एक मिनट में 50 से अधिक बार तो नहीं चल रही हैं, बच्चा दूध पीना छोड़ दे, उंगली होठ नीले दिखे तो सावधान रहें। उल्टी दस्त, पेट फूलना भी निमोनिया का संकेत है।

Posted By: Inextlive